Delhi: भारत टैलेंट से भरा पड़ा है, इसका प्रयोग करना बाकी- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के हीरक जयंती समारोह के समापन कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को भविष्य के अनुकूल बनाने की जरूरत है। इसके लिए एक नए शिक्षण मैट्रिक्स शिक्षाशास्त्र और सामग्री की आवश्यकता होगी जो भविष्य उन्मुख हो।
By GeetarjunEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 10:04 PM (IST)
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के हीरक जयंती समारोह के समापन कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को भविष्य के अनुकूल बनाने की जरूरत है। इसके लिए एक नए शिक्षण मैट्रिक्स, शिक्षाशास्त्र और सामग्री की आवश्यकता होगी जो भविष्य उन्मुख हो।
In the years to come, as the world anxiously looks for technological solutions to environmental challenges, I trust India’s young engineers and scientists will help humankind achieve a breakthrough. pic.twitter.com/p0jMOpUmOy
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 3, 2022
वे बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद अपने पहले कार्यक्रम में मुर्मु ने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारे प्रसिद्ध आइआइटी हमें चुनौती का सामना करने के लिए आवश्यक ज्ञान आधार और सही कौशल के साथ युवा पीढ़ी का पोषण करने में सक्षम होंगे।
भारत में प्रतिभाएं भरी पड़ीउन्होंने आगे कहा कि अगर देश भविष्य की अनिश्चितताओं से खुद को बचाने के लिए कदम उठाता है तो वह समृद्ध जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत टैलेंट से भरा पड़ा है, जिसका पूरी तरह से प्रयोग करना बाकी है।
राष्ट्रपति ने आइआइटी को बताया देश का गौरव आइआइटी को देश का गौरव बताते हुए मुर्मु ने कहा कि आइआइटी की कहानी स्वतंत्र भारत की कहानी है। आइआइटी ने दुनिया में शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमता साबित की। आइआइटी ने आज वैश्विक मंच पर भारत की बेहतर छवि बनाने में बहुत योगदान दिया है। आइआइटी के संकाय सदस्य और पूर्व छात्रों ने दुनिया को हमारी बौद्धिक ताकत दिखाई है।
ये भी पढ़ें- Deoghar Airport Case: भाजपा सांसद ने दिल्ली में देवघर के जिला उपायुक्त समेत कई के खिलाफ दर्ज कराई जीरो प्राथमिकीराष्ट्रपति ने कहा कि 2047 तक जब देश स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, चौथी औद्योगिक क्रांति की बदौलत हमारे आसपास की दुनिया में भारी बदलाव आया होगा। हम आज कल्पना नहीं कर सकते हैं कि कैसे आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) तकनीक जीवन को बदलने जा रही है। इससे रोजगार की प्रकृति पूरी तरह से बदल जाएगी।
जलवायु एक गंभीर चुनौतीराष्ट्रपति ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती है। एक उच्च जनसंख्या आधार वाले विकासशील देश के रूप में, आर्थिक विकास के लिए हमारी ऊर्जा की आवश्यकता बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि इसलिए हमें जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ने की जरूरत है। आने वाले वर्षों की पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए दुनिया तकनीकी समाधान ढूंढ रही है।
मुझे विश्वास है कि भारत के युवा इंजीनियर और वैज्ञानिक मानव जाति को इसमें सफलता हासिल करने में मदद करेंगे। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने आइआइटी के स्टार्टअप की प्रदर्शनी और शोध व नवाचार पार्क का भी उद्धाटन किया।धर्मेंद्र प्रधान ने भी किया संबोधितइसके साथ ही शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि विकासशील ही नहीं विकसित देश भी हमारी आइआटी के साथ जुड़कर काम करना चाहते हैं। ऐसा कोई सप्ताह नहीं जाता है, जब मेरे पास किसी देश से हमारी आइआइटी के साथ जुड़कर काम करने के लिए कोई पत्र न आता हो।
आइआइटी के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी ने आइआइटी की 60 साल की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डा. सुभाष सरकार, राजकुमार रंजन सिंह और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद भी मौजूद रहे।
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