Ram Mandir: अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे मंदिर है, यह कहने पर जब जाते-जाते बची केके मोहम्मद की नौकरी
Ram Mandir News यह बात 1990 की है उस समय चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री थे उस समय वामपंथी इतिहासकार प्रो इरफान हबीब रोमिला थापर आदि ने अखबारों में एक बयान दिया कि अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे कुछ नहीं मिला है और ढांचा सपाट जमीन पर खड़ा है इन लोगों ने तर्क दिया कि पुरातत्वविद प्रो बी बी लाल को भी वहां खोदाई में ऐसा कुछ नहीं मिला है।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। बहुत पहले ही खोदाई में यह बात साबित हो गई थी विवादित ढांचा के नीचे मंदिर (Ram Mandir) है। अयोध्या राम जन्मभूमि स्थान पर 1976-77 में पुरातत्वविद प्रो बी बी लाल के नेतृत्व में खाेदाई हुई थी, उस खोदाई में मैं भी शामिल रहा था।
उस खोदाई में वहां राम मंदिर के प्रमाण मिले थे। मगर जब मैंने 1990 में यह बात सार्वजनिक रूप से कह दी थी तो मेरी नौकरी जाते जाते बची थी।क्या हुई थी घटना, आइए सुनते हैं पद्मश्री डा केके मोहम्मद की कहानी, उन्हीं की जुबानी।
यह बात 1990 की है, उस समय चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री थे, उस समय वामपंथी इतिहासकार प्रो इरफान हबीब, रोमिला थापर आदि ने अखबारों में एक बयान दिया कि अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे कुछ नहीं मिला है और ढांचा सपाट जमीन पर खड़ा है, इन लोगों ने तर्क दिया कि पुरातत्वविद प्रो बी बी लाल को भी वहां खोदाई में ऐसा कुछ नहीं मिला है।इसलिए यह बात गलत है कि ढांचे के नीचे मंदिर के प्रमाण हैं।
विवादित ढांचे के नीचे मिले मंदिर होने के प्रमाण
अंग्रेजी के एक अखबार में इन लोगों का बयान छपा। इस पर प्रो लाल ने संबंधित अखबार से बात की और बताया कि आप के समाचार पत्र में गलत दावा किया गया है।उन्होंने बताया कि अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं। मगर उस समय इस मुद्दे पर प्रो लाल के साथ खड़ा हाेेने वाला कोई नहीं था।प्रो लाल अकेले पड़ गए थे।यह बात मुझे अच्छी नहीं लगी कि एक सच बात काे झुटलाया जा रहा है।"खोदाई करने वाली टीम में मैं अकेला मुस्लिम था..."
इस पर मैंने एक अन्य अग्रेजी दैनिक के संपादक अरुण शौरी (बाद में केंद्रीय मंत्री) से बात की और उन्हें बताया कि प्रो लाल के साथ में अयोध्या में खोदाई में मैं भी शामिल था।मैं एक मुस्लिम हूं, मगर यह बात एक पुरातत्वविद होने के नाते कह रहा हूं कि अध्योया मेें विवादित ढांचे के नीचे के प्रमाण मिले हैं और इसके प्रमाण हमें वहां खाेदाई में मिले हैं। खोदाई करने वाली टीम में मैं अकेला मुस्लिम था।
मेरा बड़ा सा बयान उस अखबार में सभी संकरणों में प्रकाशित हुआ।इस पर बवाल तो हाेना की था।खूब बवाल मचाया गया, मैं उस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मद्रास कार्यालय में उप अधीक्षण पुरातत्वविद था, नई नई नौकरी लगी थी, उस समय प्रोबेशन पीरियड चल रहा था।बात केंद्र सरकार तक पहुंची तो मुझे नाैकरी से निकालने की तैयारी हाे चुकी थी।उस समय मद्रास में एक राष्ट्रीय सेमिनार था, वहां भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव आर के त्रिपाठी पहुंचे हुए थे, उनके साथ उस समय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक एन सी जोशी भी पहुंचे हुए थे, सेमिनार के बाद उन्होंने मुझे बुलवाया और अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के प्रमाण होने की बात तक मुझसे सवाल किए कि आप ने कैसे ये बयान दिया है।
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