Railway KAVACH System: 15 हजार किलोमीटर ट्रैक पर लगेगी कवच प्रणाली, इसी माह टेंडर होगा फाइनल
Indian Railways Kavach System भारतीय रेलवे की कवच प्रणाली रेल संचालन की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली है। यह प्रणाली डिजिटल रेडियो-आधारित सिग्नलिंग पर काम करती है और ट्रेनों के बीच टकराव को रोकने में मदद करती है। कवच प्रणाली को 2012 में विकसित किया गया था और तब से इसे लगातार इसे बेहतर किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सुरक्षित रेल संचालन के लिए सिग्नल प्रणाली को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कलर लाइट सिग्नल प्रणाली, इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग, पैनल इंटरलॉकिंग, ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल प्रणाली जैसे उन्नयन कार्य के बाद अब अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली से निर्मित कवच प्रणाली पर बल दिया जा रहा है।
फरवरी 2012 में काकोडकर समिति ने डिजिटल रेडियो आधारित सिग्नलिंग प्रणाली स्थापित करने की अनुशंसा की थी। उसके बाद भारतीय रेलवे ने इस पर कार्य शुरू किया। इस प्रणाली को अपग्रेड कर टीसीएस के रूप में विकसित किया गया।
साल 2015-16 में हुआ यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण
टीसीएएस को अब 'कवच' के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस प्रणाली को वर्ष 2014-15 में दक्षिण मध्य रेलवे पर 250 किलोमीटर रेल मार्ग में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित किया गया। वर्ष 2015-16 में यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण किया गया।
फाइल फोटो
इसके उपरांत कवच को उन्नत बनाने के लिए विभिन्न कार्य किए गए तथा वर्ष 2017-18 में कवच के विशिष्ट वर्जन 3.2 को अंतिम रूप प्रदान किया गया। वर्ष 2018-19 में प्रमाणीकरण के आधार पर आरडीएसओ द्वारा तीन विक्रेताओं को मंजूरी दी गई। कवच पर उन्नयन के कार्य को जुलाई 2020 'कवच' को राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली घोषित किया गया।
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