आपदा में घिरे तुर्किये में मददगार बन रहे भारतीय, MP के दीपेंद्र ने भूकंप पीड़ितों के लिए खोला अपना होटल
Turkey Earthquake दीपेंद्र का तुर्किये के कप्पाडोसिया में ‘नमस्ते इंडिया’ नाम से रेस्तरां है। इसी तरह तेक्कया केव होटल व तारु केव सुईट है जो भूकंप के केंद्र से तकरीबन 400 किमी दूर हैं। फोन पर दीपेंद्र ने बताया कि यहां पर राहत कार्य तेजी पर है।
By Nimish HemantEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 09 Feb 2023 09:44 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भूकंप से दहले तुर्किये में सैकड़ों लोगों की मौतों के साथ ही हजारों लोग घायल व बेघर हुए हैं। भारत सरकार ने बचाव दल के साथ राहत सामग्री भेजकर तुर्किये की मदद को हाथ बढ़ाया है। पीड़ित लोगों की मदद करने में वहां रह रहे भारतीय मूल के लोग भी पीछे नहीं हैं।
कई भारतीयों ने अपने घर, कार्यालय, होटल व रेस्तरां तक भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए खोलकर भारतीय संस्कृति की विश्व बंधुत्व की भावना को साकार किया है। उनमें से एक हैं दीपेंद्र गरेन, जिन्होंने अपने होटल व रेस्तरां भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए खोल दिए हैं। उन्हें वहां पर निश्शुल्क ठहराने और भोजन के साथ अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
भाई ने किया प्रेरित
दीपेंद्र ने बताया कि भूकंप में उनकी सलामती जानने के लिए भी घर वालों के फोन आए थे। दिल्ली में रह रहे उनके भाई भूपेंद्र ने कहा कि उन्हें पीड़ितों की मदद के लिए कुछ करना चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपने होटल व रेस्तरां पीड़ितों के लिए खोले हैं। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर साझा करने के साथ अंकारा स्थित भारतीय दूतावास व स्थानीय प्रशासन को भी सूचित किया।उनके होटल में फिलहाल 50 से अधिक भूकंप पीड़ित लोग ठहरे हैं। उनके साथ चार भारतीय स्टाफ और स्थानीय निवासियों का स्टाफ भी मदद में है। दीपेंद्र ने बताया कि उनके एक कर्मचारी के परिवार के कई सदस्यों की मौत इस भूकंप में हो गई है। उन्होंने उसके लिए भी मदद भेजी है।
जीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे पारा, तेज ठंड बनी आफत
दीपेंद्र का तुर्किये के कप्पाडोसिया में ‘नमस्ते इंडिया’ नाम से रेस्तरां है। इसी तरह तेक्कया केव होटल व तारु केव सुईट है, जो भूकंप के केंद्र से तकरीबन 400 किमी दूर हैं। फोन पर दीपेंद्र ने बताया कि यहां पर राहत कार्य तेजी पर है। रास्ते साफ किए जाने के बाद अब पीड़ित लोग रिश्तेदारों और परिचितों के यहां जा रहे हैं।काफी लोग रास्ते में हैं। वहां तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से भी कम है। ऐसे में उन पीड़ित लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास ठीक से कपड़े और जरूरी सामान तक नहीं है।
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