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क्या दिल्ली का पुराना किला है पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ? रहस्य से पर्दा उठाने के लिए खोदाई करवाएगा ASI

दिल्ली में फिर इंद्रप्रस्थ ढूंढा जाएगा। इसके लिए पुराना किला में खोदाई होगी। एएसआइ ने खोदाई के लिए अनुमति दी है। अगले सप्ताह से खोदाई शुरू होने का अनु्मान जताया जा रहा है। एएसआइ को उम्मीद है कि यहां इंद्रप्रस्थ से संबंधित जरूर कोई न कोई ठोस प्रमाण मिलेगा।

By V K ShuklaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 16 Jan 2023 08:08 AM (IST)
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दिल्ली में फिर ढूंढा जाएगा इंद्रप्रस्थ, पुराने किले में खोदाई करवाएगा ASI
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ पुराना किला के टीले पर थी या नहीं, इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने एक बार फिर से कमर कसी है। आजादी के बाद से यह पांचवां प्रयास है, जब इस मामले से पर्दा उठाने के लिए खोदाई शुरू होगी। अगले सप्ताह से खोदाई शुरू कराए जाने की एएसआइ योजना है। इस प्रोजक्ट को फिर से एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारी वसंत स्वर्णकार ने हाथ में लिया है।

अभी तक नहीं मिला है कोई ठोस प्रमाण

यह वह अधिकारी हैं जो पद्मविभूषण प्रो बीबी लाल के बाद दो बार पुराना किला में खोदाई करा चुके हैं। इन दोनों खोदाई में काफी कुछ मिला है मगर स्पष्ट रूप से ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका है जिसके आधार पर सीधे तौर पर पुरातात्विक आधार पर यह दावा किया जा सके कि पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, यही वह बेचैनी है जो एएसआइ के अधिकारियों को चैन से नहीं बैठने दे रही है।

एएसआइ को उम्मीद है कि यहां इंद्रप्रस्थ से संबंधित जरूर कोई न कोई ठोस प्रमाण मिलेगा। हालांकि हालांकि चार बार की हुई खोदाई में वे चित्रित मृदभांड मिले हैं जिन्हें महाभारत के समय से जोड़ कर देखा जाता है। एएसआइ का कहना है कि इस बार इस मामले की तह तक जाने का प्रयास होगा।

दो बार खोदाई करा चुके हैं प्रो. बीबी लाल

हिंदू धार्मिक ग्रंथों में जिस जगह पांडवों की राजधानी बताई गई है, वर्तमान में वह स्थान दिल्ली में पुराना किला परिसर टीले पर स्थित है। इस सच्चाई का पता लगाने के लिए सोलहवीं शताब्दी में बने पुराने किले के नीचे परीक्षण के तौर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक प्रो. बीबी लाल द्वारा 1954-55 और 1969-1973 में खोदाई कराई गई थी।

इसके ठीक 41 साल बाद एएसआइ ने 2013-14 और फिर 2017-2018 में यहां खोदाई कराई।इस दोनों बाद भी खोदाई में भी पूर्व में हुई खोदाई से मिलते जुलते प्रमाण मिले थे।2019 में यहां फिर खोदाई की अनुमति दी गई थी, मगर समय पर काम शुरू न हो पाने से इसे बाद में निरस्त कर दिया गया था।खोदाई में क्या क्या मिलापुराना किला में चारों बार कराई गई खोदाई में टेराकोटा के खिलौने और बढ़िया भूरे रंग के चित्रित मिट्टी के मिले टुकड़ों से बर्तनों के बारे में पता चला, जिन पर सामान्यतः काले रंग में साधारण चित्रण किए गए थे।

खोदाई में मिले थे मिट्टी के पात्रों के टुकड़े

ये बर्तन जो पुरातत्व वेत्ताओं के बीच भूरे रंग के चित्रित बर्तनों के नाम से विख्यात हैं। प्रायः ईसा से 1000 वर्ष पूर्व के हैं।चूंकि ऐसे प्रमाण वाले बर्तन महाभारत की कहानी से संबद्ध अनेक स्थलों पर पहले भी पाये गए थे और इनका काल 1000 ईसा पूर्व निर्धारित किया गया था। इनके यहां से प्राप्त होने से महाभारत के प्रसिद्व पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का पुराने किले के स्थल पर होने वाली परंपरा को बल मिला है।

कहा जाता है कि पांडवों ने ईसा पूर्व 1400 वर्ष सबसे पहले दिल्ली को अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाया था।1955 में पुराने किले के दक्षिण पूर्वी भाग में हुई पुरातात्त्विक खोदाई में कुछ मिट्टी के पात्रों के टुकड़े पाए गए जो कि महाभारतकालीन पुरा वस्तुओं से मेल खाते थे।

एएसआइ द्वारा कराई गई खोदाई से पता चला था कि लगभग 1,000 ईसा पूर्व के काल में यहां लोग रहते थे। खोदाई में मिले विशिष्ट प्रकार के बर्तनों और स्लेटी रंग की चीजों के इस्तेमाल से इसकी पुष्टि होती है। यहां खोदाई में मिले बर्तनों के अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों की मान्यता है कि यही जगह पांडवों की राजधानी रही होगी।

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