31-34 वर्ष की उम्र में मां बनने की क्षमता हो जाती है कम, दिल्ली AIIMS के शोध में चौंकाने वाले खुलासे
नई दिल्ली के एम्स के एक अध्ययन से पता चला है कि भारतीय महिलाओं में 31 से 34 वर्ष की उम्र के बीच ओवेरियन रिजर्व कम होने लगता है जिससे गर्भधारण करने की क्षमता प्रभावित होती है। अध्ययन में कहा गया है कि महिलाओं को 31 से 34 वर्ष की उम्र से पहले प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए काउंसलिंग की जानी चाहिए।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। अधिक उम्र में लड़कियों की शादी का चलन भी अब बढ़ रहा है। कई युवतियां अब 30 वर्ष की उम्र के बाद भी शादी कर रही हैं। इस बीच एम्स के गायनेकोलॉजी विभाग (Department of Gynecology) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारतीय महिलाओं में 31 से 34 वर्ष की उम्र से ओवेरियन रिजर्व (अच्छे गुणवत्ता के अंडाणु) घटने लगते हैं।
इस वजह से मां बनने की क्षमता कम होने लगती है। लिहाजा, अध्ययन में कहा गया है कि महिलाओं को 31 से 34 वर्ष की उम्र से पहले प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए काउंसलिंग किया जाना चाहिए। एम्स (AIIMS) का यह अध्ययन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (पीएलओएस वन) में प्रकाशित हुआ है।
भविष्य संवारने और नौकरी पेशा वाली लड़कियां
दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के गायनेकोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. नीना मल्होत्रा ने बताया कि भविष्य संवारने व नौकरी पेशा के लिए लड़कियां देर से शादी कर रही हैं। इस वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। 38 से 40 वर्ष की उम्र में भी महिलाएं आईवीएफ (IVF) के लिए पहुंचती हैं। इसके मद्देनजर भारतीय महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व कम होने का कटआफ उम्र पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया गया।पहले नहीं थी कटऑफ उम्र निर्धारित
इससे पहले भारतीय महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व कम होने की कटऑफ उम्र निर्धारित नहीं था। इस अध्ययन के माध्यम से पहली बार इनफर्टिलिटी (Infertility) से पीड़ित महिलाओं व स्वस्थ फर्टाइल महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व (Ovarian Reserve) कम होने की उम्र का कटऑफ निर्धारित किया गया है।
महिलाओं पर किया गया अध्ययन
यह अध्ययन 3240 महिलाओं पर किया गया, जिसमें इनफर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित 1902 महिलाएं शामिल थीं। इसके अलावा 1338 ऐसी महिलाएं शामिल थीं, जिन्हें इनफर्टिलिटी की समस्या नहीं थी और कम से कम एक प्रेग्नेंसी हो चुकी थी।ब्लैड सैंपल लेकर किसकी हुई जांच?
इस अध्ययन में शामिल सभी महिलाओं का ब्लड सैंपल लेकर एंट्रल फालिकल काउंट (एएफसी) व एंटी-मुलेरियन हार्मोंस (एएमएच) जांच की गई। ओवेरियन रिजर्व की जांच के लिए एएफसी व एएमएच सबसे बेहतर मार्कर होता है।अध्ययन में पाया गया कि इनफर्टिलिटी से पीड़ित महिलाओं में औसत एएमएच 3.4 नैनोग्राम प्रति डेसी लीटर और फर्टाइल महिलाओं में एएमएस 4.37 नैनोग्राम डेसी लीटर था। वहीं, इनफर्टिलिटी से पीड़ित महिलाओं में एएफसी की संख्या 12 व फर्टाइल महिलाओं में एएफसी की संख्या 15 थी।
फर्टाइल स्वस्थ महिलाओं में 31 वर्ष की उम्र के बाद ओवेरियन रिजर्व घटने लगता है। वहीं इनफर्टिलिटी से पीड़ित महिलाओं में 34 वर्ष की उम्र से ओवेरियन रिजर्व कम होने लगता है।
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