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AI वकील का जवाब सुन मुस्कुरा उठे CJI चंद्रचूड़, बस इतना ही पूछा था- क्या भारत में मौत की सजा संवैधानिक है?

सुप्रीम कोर्ट में नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम एंड अर्काइव (एनजेएमए) का उद्घाटन किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा क्या भारत में मौत की सजा संवैधानिक है? इस पर एआई वकील ने जवाब दिया हां भारत में मौत की सजा संवैधानिक है। इसका प्रावधान उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दुर्लभतम मामलों के लिए है। वैसे अपराध जो असाधारण रूप से जघन्य हैं उन मामलों में ऐसी सजा दी जाती है।

By Agency Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 07 Nov 2024 08:31 PM (IST)
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने AI वकील से पूछा; जवाब सुन हंस पड़े सभी।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। अदालत कक्ष के बाहर अदालती सवाल-जवाब का सजीव अहसास कैसा होता है, इसकी बानगी गुरुवार को उस वक्त देखने को मिली जब देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) वकील से संवाद किया। सीजेआई ने एआई वकील से सवाल पूछा और एआई वकील ने पूरे हावभाव के साथ उन्हें जवाब दिया।

सीजेआई ने एआई वकील से सवाल किया कि क्या भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है? एआई वकील का जवाब था-हां। वकील की ड्रेस में कोट पहने सीधे खड़े दिख रहे एआई वकील ने पहले दोनों हाथों को बाहों पर रखा, अंगुलियां चलाईं जैसे सोच कर जवाब देगा और फिर दोनों हाथ खोलकर एक वकील की तरह बहस करने के अंदाज में जवाब दिया- हां, भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक विरले मामलों में दिया जाता है। बहुत ही जघन्य और घृणित अपराध में यह दंड दिया जाता है।

एआई का जवाब सुन मुस्कुरा दिए सीजेआई

एआई वकील से ऐसा सटीक जवाब सुनकर सीजेआई ने वहां उपस्थित साथी न्यायाधीशों की ओर देखा और मुस्कुरा दिए। वहां मौजूद अन्य न्यायाधीशों ने भी सुप्रीम कोर्ट के नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम एंड आर्काइव में इस सजीव अहसास को महसूस किया और प्रशंसात्मक भाव व्यक्त किए।एआई वकील से सीजेआई का यह संवाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम एंड आर्काइव के उद्घाटन के दौरान हुआ। सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित पुरानी जज लाइब्रेरी को नए संग्रहालय में तब्दील किया गया है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस संग्रहालय का उद्घाटन किया

गुरुवार को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस संग्रहालय का उद्घाटन किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने समारोह का बहिष्कार किया। एससीबीए ने पहले एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें पुरानी जज लाइब्रेरी को संग्रहालय बनाने का विरोध किया गया था और उस जगह नया कैफेटेरिया बनाने का प्रस्ताव किया था।

एससीबीए का कहना था कि मौजूदा कैफेटेरिया वकीलों की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।चीफ जस्टिस ने नेशनल ज्यूडिशियल म्यूजियम और आर्काइव का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस नए संग्रहालय में मौजूद चीजें सुप्रीम कोर्ट के चरित्र और लोकाचार को प्रदर्शित करती हैं। सुप्रीम कोर्ट का महत्व बताती हैं।

न्यायाधीशों व वकीलों के कामों का जीवंत अनुभव हो: CJI

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि यह संग्रहालय युवा पीढ़ी के लिए संवादात्मक स्थान बने। स्कूलों-कालेजों के बच्चे, नागरिक जो जरूरी नहीं कि वकील ही हों, यहां आएं और उस हवा में सांस लें जिसे रोज हम (न्यायाधीश ) यहां अदालत में लेते हैं ताकि उन्हें कानून के शासन और न्यायाधीशों व वकीलों के कामों का जीवंत अनुभव हो और उसका महत्व पता चले।

चीफ जस्टिस ने सभी से संग्रहालय आने और देखने का अनुरोध किया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके उत्तराधिकारी अगले सप्ताह युवा पीढ़ी के लिए भी जगह खोलेंगे। संग्रहालय में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की शुरू से आज तक प्रयुक्त होने वाली कुर्सियां भी रखी हैं। अदालत और कानून से संबंधित बहुत सी चीजें यहां प्रदर्शित हैं।

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