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Delhi Pollution: हेल्थ इमरजेंसी की ओर बढ़ रही है दिल्ली, गंभीर हो सकते हैं दिवाली के आसपास हालात

Delhi Pollution स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत कहते हैं कि हवा की दिशा और रफ्तार में भी बार बार-बदलाव हो रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में स्मॉग बढ़ने और प्रदूषक तत्व न छंटने से एयर इंडेक्स के गंभीर श्रेणी में जाने की प्रबल आशंका है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 05 Nov 2020 10:16 AM (IST)
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अगले सप्ताह बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंच सकता है राजधानी दिल्ली का एयर इंडेक्स।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। बुधवार को लोगों ने सांस लेने में तकलीफ के साथ आंखों में जलन की भी शिकायत की। बृहस्पतिवार को भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं और आगे भी स्थिति के सुधरने के कोई आसार नहीं हैं। वहीं, विशेषज्ञों की मानें तो पिछले महीने अक्टूबर में भले दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स इस साल एक भी दिन गंभीर श्रेणी में नहीं गया हो, लेकिन नवंबर में ऐसी राहत मिलने की संभावना नहीं है। दूसरी तरफ स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत कहते हैं कि तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। हवा की दिशा और रफ्तार में भी बार बार-बदलाव हो रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में स्मॉग बढ़ने और प्रदूषक तत्व न छंटने से एयर इंडेक्स के गंभीर श्रेणी में चले जाने की प्रबल आशंका है।

बढ़ सकती हैं पराली जलाने की घटनाएं

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन सफर इंडिया का कहना है कि पराली आमतौर पर 30 नवंबर तक जलती रहती है। बेशक इस साल यह सप्ताह-दस दिन पहले जलाई जाने लगी थी, लेकिन 20 नवंबर तक तो जलाई ही जाएगी। ऐसे में इसका चरम समय अब आने को ही है। दिवाली 14 नवंबर को है, लेकिन पटाखे अभी से जलने लगे हैं। कहने को ग्रीन पटाखे जलाने की ही छूट है, जबकि हकीकत में पुराने पटाखे भी चोरी-छिपे बिक रहे हैं और जलाए भी जा रहे हैं।

दिवाली के आसपास बढ़ेगी परेशानी

दिल्ली-एनसीआर में जहरीला धुंआ हालात को और भी गंभीर बना रहा है। वहीं, वायु प्रदूषण के साथ कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में इजाफे ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह राजधानी दिल्ली का एयर इंडेक्स बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंच सकता है तो दिवाली के आसपास दिल्ली में इस सीजन की पहली हेल्थ इमरजेंसी भी देखने को मिल सकती है। वजह, पटाखे जलाए जा रहे हैं और पराली जलने का चरम समय अभी आना अभी शेष है। वहीं, सफर इंडिया भी इससे इनर नहीं कर रहा। इस दृष्टि से दिवाली के आसपास के कुछ दिन कोरोना काल में काफी संवेदनशील बताए जा रहे हैं।

पराली की धुआं करेगा परेशान

वहीं, पर्यावरण के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था क्लाइमेट ट्रेंड ने पराली जलाने की घटनाओं को लेकर एक आकलन जारी किया है। इसमें 2017 से 2019 तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के क्रम का विश्लेषण किया गया है। आकलन 22 सितंबर से 30 नवंबर की अवधि के बीच का है। इसके मुताबिक तीन साल से नवंबर के पहले हफ्ते में ही पराली का चरम समय आता रहा है, जब पराली जलाने के मामले 5,000 से भी अधिक हो जाते हैं। अबकी बार भी अब तक का ट्रेंड बीते तीन साल से अलग नहीं है। ऐसे में संभावना है कि अगले कुछ दिनों में पराली का धुआं राजधानी दिल्ली की हवा को और अधिक प्रदूषित करने वाला है।

इस सीजन में पराली का सर्वाधिक प्रदूषण 40 फीसद एक नवंबर को देखा गया था, जबकि पिछले साल पांच नवंबर के आसपास पराली का प्रदूषण 46 फीसद तक पहुंचा था। 2019 में पराली का चरम पांच नवंबर को रहा था, जब पराली जलाने के करीब 5,500 मामले दर्ज हुए थे। 2018 में पराली का चरम आठ नवंबर को आया था, जब पराली के मामले 5,000 से अधिक दर्ज हुए। 2017 में चार नवंबर को 5,000 से भी अधिक मामले सामने आए थे।

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