लगातार जहरीली हो रही हवा, क्या फिर गैस चैंबर बनने की राह पर है दिल्ली-NCR
सुबह व शाम को टहलना बंद कर दें। दोपहर में वातावरण साफ होने पर लोग टहल सकते हैं। इस समय पानी खूब पीना चाहिए ताकि शरीर का हाइड्रेशन ठीक रहे।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 29 Oct 2018 12:16 PM (IST)
नई दिल्ली [रणविजय सिंह] दिल्ली-एनसीआर में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। राजधानी दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर बनने की राह पर है। इसके मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने चेतावनी जारी की है। वहीं, स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव को देखते हुए इस संबंध में गंगाराम अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अरूप बसु से ने कहा कि प्रदूषण है साइलेंट किलर है। पांच साल से कम उम्र वाले बच्चे प्रदूषण के जद में आते हैं तो उन्हें ब्रांकाइटिस होती है। बड़े होने पर उन्हें फेफड़े की बीमारी हो सकती है और उनके विकास पर भी असर पड़ सकता है। इसके अलावा हृदय की बीमारी व फेफड़े का कैंसर हो सकता है।
डॉ. अरूप बसु की मानें तो सामान्य तौर पर नवंबर के पहले व दूसरे सप्ताह तक मौसम ठीक रहा करता है लेकिन, इस बार प्रदूषण काफी बढ़ गया है। ऐसे में बचाव जरूरी है। लोगों को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के साथ ही इसे रोकने का भी प्रयास करना चाहिए। पटाखे जलाने से बचना चाहिए। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सराहनीय है।
प्रदूषण स्वास्थ्य को पहुंच रहा है नुकसान
प्रदूषण से श्वसन तंत्र के उपरी हिस्सों पर असर जल्दी होता है। शुरुआत में सांस की नली में परेशानी, गले में खरास व ब्रांकाइटिस बीमारी होती है। इससे फेफड़े को भी नुकसान पहुंचता है। इस समय सांस व फेफड़े की बीमारियां बढ़ रही हैं। अस्थमा के पुराने मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। दिक्कत बढ़ने पर कुछ लोगों को आइसीयू में वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ता है। इसमें से कुछ लोगों की मौत तक हो जाती है। सामान्य लोगों में भी एलर्जी व सांस की बीमारियां देखी जाती है। खासतौर पर बच्चों को अधिक दिक्कत होती है।
प्रदूषण से श्वसन तंत्र के उपरी हिस्सों पर असर जल्दी होता है। शुरुआत में सांस की नली में परेशानी, गले में खरास व ब्रांकाइटिस बीमारी होती है। इससे फेफड़े को भी नुकसान पहुंचता है। इस समय सांस व फेफड़े की बीमारियां बढ़ रही हैं। अस्थमा के पुराने मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। दिक्कत बढ़ने पर कुछ लोगों को आइसीयू में वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ता है। इसमें से कुछ लोगों की मौत तक हो जाती है। सामान्य लोगों में भी एलर्जी व सांस की बीमारियां देखी जाती है। खासतौर पर बच्चों को अधिक दिक्कत होती है।
प्रदूषण से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी
प्रदूषण के कारण यह देखा जा रहा है कि ओपीडी में अभी से 15-25 फीसद मरीज बढ़ गए हैं। जो लोग पहले से इनहेलर या नेबुलाइजर इस्तेमाल करते हैं, वे प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होते हैं। ठीक से सांस नहीं ले पाने के कारण उनका दम फूलने लगता है। दवा का डोज बढ़ाने पर उसका साइड इफेक्ट होने का भी खतरा रहता है। इसलिए बहुत संभलकर दवा की खुराक बढ़ानी पड़ती है। निश्चित तौर पर, आइसीयू में अभी से मरीज बढ़ने लगे हैं। यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर आइसीयू में 25 फीसद तक मरीज बढ़ जाते हैं।
प्रदूषण के कारण यह देखा जा रहा है कि ओपीडी में अभी से 15-25 फीसद मरीज बढ़ गए हैं। जो लोग पहले से इनहेलर या नेबुलाइजर इस्तेमाल करते हैं, वे प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होते हैं। ठीक से सांस नहीं ले पाने के कारण उनका दम फूलने लगता है। दवा का डोज बढ़ाने पर उसका साइड इफेक्ट होने का भी खतरा रहता है। इसलिए बहुत संभलकर दवा की खुराक बढ़ानी पड़ती है। निश्चित तौर पर, आइसीयू में अभी से मरीज बढ़ने लगे हैं। यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर आइसीयू में 25 फीसद तक मरीज बढ़ जाते हैं।
प्रदूषण को कम करने रोकथाम जरूरी
वातावरण की स्वच्छता के लिए सामाजिक व सरकारी दोनों स्तरों पर प्रयास करने होंगे। सामाजिक प्रयास यह कि लोगों को पराली, कूड़ा जलाने व पटाखे फोड़ने से बचना चाहिए। वहीं सरकार को सख्ती से ऐसे नियम लागू करने होंगे जिससे प्रदूषण कम हों। ऐसे में प्रदूषण की जल्द रोकथाम जरूरी है। प्रदूषण के दुष्प्रभाव से ऐसे बचें
सुबह व शाम को टहलना बंद कर दें। दोपहर में वातावरण साफ होने पर लोग टहल सकते हैं। इस समय पानी खूब पीना चाहिए ताकि शरीर का हाइड्रेशन ठीक रहे। इससे शरीर से कई तरह के प्रदूषक तत्व बाहर आ जाते हैं। घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल किया जा सकता है पर इससे भी पूरा बचाव संभव नहीं है। छोटे बच्चों को इन दिनों घर से बाहर नहीं ले जाना चाहिए। कमरे में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।वातावरण की स्वच्छता के लिए सामाजिक व सरकारी दोनों स्तरों पर प्रयास करने होंगे। सामाजिक प्रयास यह कि लोगों को पराली, कूड़ा जलाने व पटाखे फोड़ने से बचना चाहिए। वहीं सरकार को सख्ती से ऐसे नियम लागू करने होंगे जिससे प्रदूषण कम हों। ऐसे में प्रदूषण की जल्द रोकथाम जरूरी है। प्रदूषण के दुष्प्रभाव से ऐसे बचें
सुबह व शाम को टहलना बंद कर दें। दोपहर में वातावरण साफ होने पर लोग टहल सकते हैं। इस समय पानी खूब पीना चाहिए ताकि शरीर का हाइड्रेशन ठीक रहे। इससे शरीर से कई तरह के प्रदूषक तत्व बाहर आ जाते हैं। घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल किया जा सकता है पर इससे भी पूरा बचाव संभव नहीं है। छोटे बच्चों को इन दिनों घर से बाहर नहीं ले जाना चाहिए। कमरे में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जा सकता है।