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आसान नहीं है चांदनी चौक को मोटर वाहन मुक्त करना, उठने लगे हैं विरोध के स्वर

चांदनी चौक को मोटर वाहन मुक्त करने की जानकारी मिलते ही इसके विरोध में आवाज उठने लगी है। दिल्ली-एनसीआर से रोजाना 20 से 22 हजार गाड़ियां यहां आतीं हैं

By Amit MishraEdited By: Updated: Thu, 30 Aug 2018 07:35 AM (IST)
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आसान नहीं है चांदनी चौक को मोटर वाहन मुक्त करना, उठने लगे हैं विरोध के स्वर
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। चांदनी चौक को मोटर वाहन मुक्त करने की योजना फिर फाइलों से बाहर निकल आई है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इसकी मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि छह माह से एक साल में इसे अमल में लाया जाएगा।

वैसे, यह पहला प्रयास नहीं है। करीब 27 माह पहले भी इस योजना को चांदनी चौक में आजमाने का प्रयास हुआ था। तब इसे प्रयोग के तौर पर मात्र 10 दिनों तक ही लागू करने का प्रस्ताव था, लेकिन दुकानदारों और स्थानीय निवासियों के भारी विरोध के कारण कदम पीछे खींचने पड़ गए थे। इसी तरह लोडिंग, अनलोडिंग पर प्रतिबंध के साथ सड़क पर नान मोटर व्हीकल लेन बनाने जैसे प्रयोग भी हुए। हाल ही में नगर निगम ने भी सड़क पर अवैध पार्किंग के खिलाफ वृह्द अभियान छेड़ा और पकड़े गए वाहनों से भारी भरकम जुर्माना वसूलना शुरू किया, लेकिन कुछ माह बाद वह भी पूरी तरह से पटरी से उतर गया है। अब जबकि मोटर वाहन पर प्रतिबंध का फैसला लिया गया है तो यह कितना जमीन पर उतर पाएगा इसे लेकर संशय बरकरार है।

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विरोध में उठने लगी आवाज 

चांदनी चौक को मोटर वाहन मुक्त करने की जानकारी मिलते ही इसके विरोध में आवाज उठने लगी है। चांदनी चौक नागरिक मंच के सचिव प्रवीण शंकर कपूर ने कटाक्ष करते हुए कहा कि इस योजना को 420वीं योजना कहना उचित होगा, क्योंकि गत 20 वर्ष में अधिकारियों व बाबुओं ने बिना यहां के निवासियों और व्यापारियों की समस्याओं को समझे अब तक 419 प्लान बनाएं। उन्होंने कहा कि बिना चांदनी चौक के लोगों की सहमति से तैयार यह 420वीं योजना भी सफल नहीं होगी।

केवल रिक्शा ही चल सकेंगे

इसे लेकर उन्होंने केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद डॉ. हर्षवर्धन से हस्तक्षेप की मांग की है। मोटर वाहन मुक्त करने की योजना के विरोध में चांदनी चौक के लोगों का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही उनसे मिलने की भी तैयारी कर रहा है। उपराज्यपाल ने जिस योजना को मंजूरी दी है उसमें सुबह नौ बजे से रात्रि नौ बजे तक मोटर वाहन चांदनी चौक में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। केवल रिक्शा ही चल सकेंगे। सबसे बड़ा सवाल वाहनों की पार्किंग के साथ यहां रहने वाले लोगों का है।

2016 में भी हुआ था प्रयास  

बता दें कि इसके पहले वर्ष 2016 में 22 से 29 मई तक चांदनी चौक को मोटर वाहन मुक्त करने की योजना बनी थी, लेकिन व्यापारियों और स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद दिल्ली सरकार ने यह फैसला बिना लागू किए ही वापस ले लिया था।

सख्ती से दूर हो सकती है समस्या 

इस बीच चांदनी चौक नागरिक मंच ने केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद डा. हर्षवर्धन को लिखे पत्र में अवैध पार्किंग, गंदगी, व्यावसायिक वाहन, रिक्शे व सुंदरीकरण के लिए नगर निगम व दिल्ली यातायात पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि यह समस्या सख्ती से भी दूर हो सकती है। इसके लिए मोटर वाहनों पर प्रतिबंध का सख्त कदम अव्यावहारिक है।

रोजाना आते हैं 20 से 22 हजार वाहन 

दिल्ली यातायात पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक चांदनी चौक में दिल्ली-एनसीआर से रोजाना 20 से 22 हजार गाड़ियां यहां आतीं हैं, जबकि 400 से 500 गाडिय़ां अवैध रूप से चांदनी चौक से फतेहपुरी मस्जिद के बीच हर वक्त पार्क रहतीं हैं। वहीं औसतन सात से आठ हजार पैदल यात्रियों की मौजूदगी रहती है।

स्थानीय लोग कैसे करेंगे लाहनों का इस्तेमाल 

जानकारों की माने तो निर्माणाधीन गांधी मैदान, प्रस्तावित दंगल मैदान व मल्टीलेवल परेड ग्राउंड पार्किंग में एक साथ अधिकतम 10 हजार कारें खड़ी हो सकेंगी। कहा जा रहा है कि दशहरा के बाद लालकिला के बाहर भी पार्किंग की जगह मिलेगी, लेकिन निर्माणाधीन और प्रस्तावित मल्टीलेवल पार्किंग कब प्रयोग में आएंगे यह कोई दावे से नहीं कह सकता है। इसके अलावा यहां लोग रहते हैं, वह अपने वाहनों का इस्तेमाल किस तरह कर सकेंगे यह स्पष्ट नहीं है।

पक्ष में भी है दम 

चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने विरोध को अनुचित बताते हुए कहा कि पार्किंग को लेकर विरोध अनुचित है, क्योंकि डेढ़ किमी में जितने पार्किंग है उतने दिल्ली के किसी अन्य बाजार में नहीं है। दूसरे, इसके लागू होने से चांदनी चौक के व्यापार और पर्यटन में बढ़ोतरी ही आएगी, क्योंकि तब यहां लोग पैदल टहलते हुए आराम से खरीदारी कर सकेंगे। इसके लिए चौड़े सुंंदर फुटपाथ होंगे। हाथ रिक्शे की भी संख्या सीमित होगी। बैठने के लिए कुर्सियों के साथ हरियाली और प्रकाश की उचित व्यवस्था होगी।

दिल्ली का है मुख्य थोक व खुदरा बाजार 

चांदनी चौक एक ऐतिहासिक शहर के अलावा दिल्ली का मुख्य थोक व खुदरा बाजार भी है। दो दर्जन से अधिक कटरों में एक लाख से अधिक दुकानें हैं, जिनमें साइकिल, कैमरा, दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक, ज्वेलरी, गिफ्ट आइटम, किनारी, चश्मा, चूड़ी, किताबें, जूते, कपड़े समेत अन्य सामान मिलते हैं। यहां दिल्ली के अलावा देश के दूसरे भागों से भी लोग खरीदारी करने आते हैं। दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के पूर्व प्रधान सुरेश बिंदल के मुताबिक यह फैसला पूरी तरह से अव्यावहारिक है, क्योंकि दिनभर दुकानदार दुकानों पर बैठेंगे फिर रात में भी लोडिंग, अनलोडिंग के लिए रुकेंगे। इससे तो अधिकांश दुकानदारों का पारिवारिक जीवन तबाह हो जाएगा।

कनॉट प्लेस को मोटर वाहनमुक्त करने की योजना भी ठंडे बस्ते में

पिछले वर्ष 20 फरवरी से ही कनॉट प्लेस के इनर और मीडिल सर्कल को मोटर वाहन मुक्त किया जाना था, लेकिन नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के इस फैसले का वहां के दुकानदारों ने विरोध करना तेज कर दिया, जिसके बाद एनडीएमसी ने फैसले को वापस ले लिया। 

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