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आसान नहीं AAP नेता अलका लांबा की घर वापसी, शीला मानीं तो साहनी कह सकते हैं 'NO'

अलका लांबा की कांग्रेस में वापसी को लेकर चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व विधायक तो इसके विरोध में हैं ही पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी इसके लिए सहज महसूस नहीं करते।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 29 May 2019 11:14 AM (IST)
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आसान नहीं AAP नेता अलका लांबा की घर वापसी, शीला मानीं तो साहनी कह सकते हैं 'NO'
नई दिल्ली, जेएनएन। चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) की विधायक अलका लांबा (alka lamba) भले ही पार्टी छोड़ने और कांग्रेस में वापसी के संकेत दे रही हों, लेकिन उनकी घर वापसी इतनी भी आसान नहीं है। इसी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व विधायक तो इसके विरोध में हैं ही, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी इसके लिए सहज महसूस नहीं करते।

इसमें संदेह नहीं कि छात्र जीवन से ही अलका कांग्रेस से जुड़ी रही हैं, लेकिन जिस तरह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव पद से हटाए जाने के बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हुई थीं, वह आज भी बहुत से कांग्रेसियों के गले नहीं उतरा है।

पार्टी नेताओं का यह भी कहना है कि अलका भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए आम आदमी पार्टी में शामिल हुई थीं। क्या वह लड़ाई खत्म हो गई है या फिर अब उन्हें कांग्रेस से कोई शिकायत नहीं रह गई है?

पार्टी सूत्र बताते हैं कि अलका न केवल फिर से कांग्रेस में आना चाहती हैं, बल्कि चांदनी चौक से विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहती हैं। वहीं, प्रदेश कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है।

इसकी प्रमुख वजह कांग्रेस की टिकट पर यहां से विधायक रह चुके वरिष्ठ नेता प्रहलाद सिंह साहनी का प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित से नजदीकी होना भी है। साहनी न तो इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार हैं और न ही अलका की वापसी के लिए सहमत हैं। शीला भी प्रहलाद सिंह साहनी के खिलाफ जाकर कोई फैसला नहीं लेंगी।

अलका के आम आदमी पार्टी में शामिल होने के समय प्रदेश कांग्रेस का पद अरविंदर सिंह लवली संभाल रहे थे। उनका कहना है कि एआइसीसी सचिव पद से हटाया जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसके विरोध में अलका को पार्टी छोड़नी ही नहीं चाहिए थी।

इसी तरह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ कहते हैं कि किसी भी नेता की पार्टी में दोबारा से वापसी के लिए प्रदेश स्तर पर सहमति भी जरूरी है। अगर साथ काम करने वाले नेता ही असहज महसूस करेंगे तो काम ही नहीं हो पाएगा। कहा यह भी जा रहा है कि जब तक प्रदेश स्तर पर सर्वसम्मति नहीं बनेगी, एआइसीसी की सिफारिश पर भी अलका की घर वापसी नहीं हो पाएगी।

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