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'वक्फ बोर्ड के साथ जामा मस्जिद और इसके आसपास की जगहों का हो सर्वे', दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जामा मस्जिद व इसके आसपास सर्वे-निरीक्षण करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि जामा मस्जिद एएसआई के अधीन क्यों नहीं थी। एएसआई ने दाखिल हलफनामा में कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के पर्याप्त प्रभाव होंगे।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Updated: Sun, 03 Nov 2024 05:50 PM (IST)
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जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जामा मस्जिद व इसके आसपास सर्वे-निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ एएसआइ को जामा मस्जिद का कोई स्केच या टेबल रिकार्ड पर पेश करके यह बताने को कहा है कि मस्जिद परिसर का उपयोग किन उद्देश्य के लिए हो रहा है। अदालत ने यह भी बताने को कहा कि राजस्व और दान का उपयोग किस तरह से किया जा रहा है।

चार सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश

पीठ ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को यह बताने के लिए कहा है कि क्या जामा की प्रबंध समिति के संविधान में कोई परिवर्तन किया गया है या नहीं। अदालत ने बोर्ड को जामा मस्जिद व इसके आसपास के संरक्षण या सुरक्षा के लिए सुझाव व प्रस्ताव भी पेश करने को कहा। मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित करते हुए अदालत ने चार सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया।

वक्फ बोर्ड की तरफ से संजय घोष हुए पेश

मामले पर सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने पीठ को सूचित किया कि 10 फरवरी 2015 को जारी आदेश के तहत मस्जिद की प्रबंध कमेटी में अध्यक्ष, उपायध्य, महासचिव के अलावा छह सदस्य हैं। वर्तमान कमेटी के संबंध में पीठ द्वारा पूछने पर अधिवक्ता ने कहा कि कमेटी के सदस्यों की वर्तमान स्थिति पर पूरी तरह से साफ नहीं है और वह इस पर निर्देश लेकर जवाब देंगे।

वहीं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता मनीष मोहन व अनिल सोनी ने कहा कि इस संबंध में एएसआइ महानिदेशक के साथ हुई बैठक में एसआईए ने कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

सुहैल अहमद खान और अजय गौतम ने दायर की थी याचिका

अदालत सुहैल अहमद खान और अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा शाही इमाम उपाधि के इस्तेमाल और उनके बेटे को नायब (उप) इमाम के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाओं में अधिकारियों को जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और उसके आसपास सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाओं में यह भी सवाल उठाया गया है कि जामा मस्जिद एएसआई के अधीन क्यों नहीं थी।

जामा मस्जिद के संरक्षण पर 13 साल में खर्च हुए 61.82 लाख

अधीक्षक पुरातत्वविद् ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि एएसआइ के अनुसार मूल फाइल नहीं मिल रही है। यह भी कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित किए बगैर एएसआई ने इसके पुनर्स्थापना और संरक्षण का काम किया। एएसआइ ने कहा कि मस्जिद के मरम्मत, नवीनीकरण, संरक्षण व अन्य कार्य में उनके द्वारा वर्ष 2007-08 से वर्ष 2021 तक कुल 61 लाख 82 हजार 816 रुपये खर्च किए गए हैं।

संरक्षित स्मारक घोषित करने के होंगे पर्याप्त प्रभाव

एएसआइ ने अदालत में दाखिल हलफनामा में कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के पर्याप्त प्रभाव होंगे। संरक्षित स्मारक घोषित करने पर 100 मीटर में निर्माण वर्जित होने संबंधी निषिद्ध क्षेत्र का प्रविधान लागू होगा। इसके अलावा विनियमित में क्षेत्र (निषिद्ध क्षेत्र से परे 200 मीटर क्षेत्र) सभी निर्माण संबंधी गतिविधियों को विनियमित किया जाता है और निर्माण के लिए सक्षम प्राधिकरण और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी। यह भी कहा कि ऐसे में स्मारक के चारों ओर 300 मीटर का क्षेत्र में केन्द्रीय सुरक्षा पर पर्याप्त प्रभाव होगा। इसके अलावा जामा मस्जिद संरक्षण वक्फ अधिनियम- 1995 के तहत दिल्ली वक्फ बोर्ड का है।

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