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दिल्ली में मुस्लिमों ने पेश की मिसाल, कानूनी लड़ाई लड़ संरक्षित कराया जामिया नगर का मंदिर

Delhi News देश की राजधानी दिल्ली के मुस्लिमों ने जामिया नगर के नूर नगर स्थित एक मंदिर को संरक्षित कराने की लड़ाई लड़कर मिसाल पेश की। याचिकाकर्ता द्वारा धर्मशाला को तोड़ने से जुड़ी तस्वीरें पेश की गई हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 26 Sep 2021 07:56 AM (IST)
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मुस्लिमों ने हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़कर संरक्षित कराया जामिया नगर का मंदिर, पेश की मिसाल
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। देश की राजधानी दिल्ली के मुस्लिमों ने जामिया नगर के नूर नगर स्थित एक मंदिर को संरक्षित कराने की लड़ाई लड़कर मिसाल पेश की। वार्ड कमेटी जामिया नगर की तरफ से अध्यक्ष सैयद फौजुल अजीम (अर्शी) की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने कहा कि ले-आउट प्लान के हिसाब से उक्त स्थान पर मंदिर है और इस पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार, पुलिस आयुक्त व जामिया नगर के थाना प्रभारी ने पीठ को आश्वस्त किया कि वे सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में मंदिर परिसर में कोई अवैध अतिक्रमण नहीं होगा। साथ ही वहां पर कानून-व्यवस्था की भी कोई समस्या नहीं होगी।

इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे। पीठ ने याचिकाकर्ता की उस दलील को रिकार्ड पर लिया जिसमें अधिवक्ता नितिन सलूजा के माध्यम से कहा गया कि मंदिर की धर्मशाला को रातों-रात गिरा कर जमीन को लेवल कर दिया गया ताकि बिल्डरों द्वारा इस पर कब्जा किया जा सके। याचिकाकर्ता द्वारा धर्मशाला को तोड़ने से जुड़ी तस्वीरें पेश की गई हैं। साथ ही यह भी बताया गया कि दिल्ली सरकार के शहरी विकास की वेबसाइट पर उपलब्ध ले-आउट प्लान के हिसाब से नूर नगर एक्सटेंशन जामिया नगर में उक्त स्थान पर मंदिर है।

वहीं, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि निगम द्वारा ध्वस्तीकरण की कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि उक्त स्थान का निरीक्षण किया गया और वहां पर कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा है। दिल्ली सरकार व पुलिस की दलील को रिकार्ड पर लेते हुए पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।

यह है मामला

याचिका में कहा गया था कि जामिया नगर के नूर नगर स्थित मंदिर की धर्मशाला की जमीन माखन लाल के पुत्र जौहरी लाल की थी। मंदिर की स्थापना माखन लाख ने वर्ष 1970 में की थी। मुस्लिम बाहुल क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां 50 साल से लोग पूजा करने आते थे। मंदिर की देखरेख करने वाले ने पहले तो धर्मशाला को गिरा दिया और मंदिर को भी गिराकर रिहायशी काम्प्लेक्स बनाना चाहते हैं। अर्शी ने इस बाबत 20 सितंबर 2021 को पुलिस को भी शिकायत भी दी थी, लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

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