'जब जिम्मेदार लोग ही हमें घुसपैठिए बोल रहे तो उनके दरवाजे कैसे जाएं', जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना मदनी का बयान
मौलाना महमूद मदनी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि जब देश के बड़े-बड़े लोग हमें घुसपैठिए बोल रहे हैं तो उनके दरवाजे कैसे जाएंगे? हमारे दरवाजे सारे राजनीतिक दलों के लिए खुले हुए हैं लेकिन कुछ राजनीतिक दल हमारी पहचान ही खत्म करना चाहते हैं। ऐसे में उनसे बात कैसे हो सकती है? हालांकि जो लोग समझदार हैं उनसे बात होनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक गुरुवार को शुरू हुई। इसमें जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने बैठक को संबोधित किया। बैठक में देशभर में मुसलमानों के प्रति हंसा, अपराध, घरों पर बुलडोजर चलाने जैसी घटनाओं का जिक्र किया गया। वहीं विभिन्न राज्यों से आए पदाधिकारियों ने बताया कि जमीयत ने किस तरह ऐसे मामलों में उनकी कानूनी और आर्थिक तौर पर मदद की।
मदनी ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि जब देश के बड़े-बड़े लोग हमें घुसपैठिए बोल रहे हैं तो उनके दरवाजे कैसे जाएंगे? हमारे दरवाजे सारे राजनीतिक दलों के लिए खुले हुए हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल हमारी पहचान ही खत्म करना चाहते हैं। ऐसे में उनसे बात कैसे हो सकती है? हालांकि जो लोग समझदार हैं, उनसे बात होनी चाहिए। सिर्फ सीमित फायदे के लिए देश में इस तरह की राजनीति हो रही है, जो देश के लिए ठीक नहीं है।
बच्चों के धर्म से हो रहा खिलवाड़: मदनी
उन्होंने कहा कि हम स्कूलों में सूर्य नमस्कार के खिलाफ हैं। यहां पर बच्चों के धर्म से खिलवाड़ किया जा रहा है। लोकतंत्र में जब आप अपनी बात कहना चाह रहे हैं तो उसमें भी रुकावट डाली जा रही है। आज युवाओं को मायूस होने की नहीं बल्कि मेहनत कर मुल्क में हिस्सेदारी हासिल करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि मुसलमानों को घुसपैठिया और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला कहा जा रहा है। ऐसे में इज्जत नहीं बल्कि बेइज्जती ज्यादा महसूस होती है। आखिर हम तकलीफ का इजहार कैसे करें? हमारे पास कोई शब्द नहीं है। हम सभी राजनीतिक दलों से कहते हैं कि बातचीत होनी चाहिए। इस पर मुल्क को सोचना चाहिए कि छोटे से राजनीतिक फायदे के लिए देश के लिए बड़ा नुकसान हो रहा है।
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