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साहित्य-संगीत से गुलजार रहा जश्न-ए हिंद उत्सव, ळोगों ने उठाया आनंद

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) में आयोजित कला महोत्सव ‘जश्न-ए-हिंद-भारतीय लोकाचार का कला उत्सव’ का दूसरा दिन रंगारंग कार्यक्रम हुआ।

By Pooja SinghEdited By: Updated: Sun, 23 Feb 2020 11:04 AM (IST)
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साहित्य-संगीत से गुलजार रहा जश्न-ए हिंद उत्सव, ळोगों ने उठाया आनंद
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) में आयोजित कला महोत्सव ‘जश्न-ए-हिंद-भारतीय लोकाचार का कला उत्सव’ का दूसरा दिन रंगारंग कार्यक्रम, गीत, गजल, कव्वाली, नृत्य-संगीत, कथा, कविताओं, परिचर्चाओं व कवि सम्मेलन से गुलजार रहा। दिनभर श्रोताओं ने इन आयोजनों का खूब आनंद उठाया। दूसरे दिन की शुरुआत उभरते कलाकार राजीब अली के गायन से हुई। उसके बाद पंडित अजय प्रसन्ना के बांसुरी वादन और उस्ताद इमरान खान की गजल गायिकी, संचिता एब्रॉल के नृत्य व उस्ताद अब्दुल हमीद साबरी की कव्वाली ने लोगों का दिल जीत लिया।

जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता गया यह रंगारंग कार्यक्रमों से गुलजार होता गया। जहां यामिनी व भावना रेड्डी के नृत्य व गीता चंद्रन के टोलियों के नृत्य के साथ ही पंडित बिरजू महाराज के कलाश्रम के निपुण कलाकारों ने मनमोहक नृत्य से लोगों का मन मोह लिया, वहीं मधुप मुद्गल की भजन सरिता से लोग सराबोर हो गए।देशप्रेम से ओतप्रोत जाने-माने रंगकर्मी अर¨वद गौर की ओर से निर्देशित राजेश कुमार की नाटक पगड़ी संभाल जट्टा ने लोगों को खूब लुभाया। शाम होते ही ‘जश्न-ए-हिंद’ गजल प्रेमियों के लिए यादगार हो गया जब पिनाज मसानी व हुसैन बंधु के गजलों ने लोगों का दिल जीत लिया। लक्ष्मी शंकर वाजपेयी के 25 विधाओं में कविता पर संवाद तथा कवि सम्मेलन का भी लोगों ने खूब आनंद उठाया।

सांस्कृतिक विरासत व कला के लिए समर्पित स्वयंसेवी संस्था साक्षी की ओर से आयोजित ‘जश्न-ए-हंिदू’ के दूसरे दिन का समापन हयात सूफी ब्रदर्स के कव्वाली, एएलएस की ओर से सेलिब्रेटिंग गांधी कार्यक्रम व दास्तानगोई संगीतमय कार्यक्रम से हुआ। इस अवसर पर साक्षी की अध्यक्ष व महोत्सव की आयोजक डॉ. मृदुला टंडन ने कहा कि ‘जश्न-ए-हिंद’ एक मल्टीस्टेज कला महोत्सव है, जिसके माध्यम से भारत की कला-साहित्य, गीत-संगीत से आम लोगों को परिचित कराने की कोशिश है। आइजीएनसीए में महोत्सव के दूसरे दिन श्रोताओं ने खूब उठाया लुत्फ, गजलों ने लोगों का दिल जीता। लक्ष्मी शंकर वाजपेयी के 25 विधाओं में कविता पर संवाद और कवि सम्मेलन का भी लोगों ने लिया जमकर आनंद उठाया।

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