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JNU Students Protest: BJP सांसद का विवादित बयान, JNU में दो साल के लिए लगा दो ताला

JNU Students Protest भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने इस विश्वविद्यालय में कुछ सालों के लिए ताला लगाने की वकालत की है।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 27 Nov 2019 12:05 PM (IST)
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JNU Students Protest: BJP सांसद का विवादित बयान, JNU में दो साल के लिए लगा दो ताला

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। JNU Students Protest: जेएनयू में वामपंथी छात्र संगठनों के उग्र आंदोलन के समर्थन में माकपा के भी कूद पड़ने के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने इस विश्वविद्यालय में कुछ सालों के लिए ताला लगाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को दो साल के लिए बंद कर देना चाहिए। इसके साथ ही वहां ‘सफाई’ अभियान चलाकर असमाजिक तत्वों को बाहर निकाल देना चाहिए, जिससे वहां का माहौल स्वच्छ हो सके, तब जेएनयू को फिर से खोला जाना चाहिए।

वह एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में लोकसभा व दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा?’ के विमोचन के अवसर पर कहीं। स्वामी ने जेएनयू का नाम बदलने की भी वकालत की है। उन्होंने कहा कि नेहरू जैसे कई प्रधानमंत्री हुए हैं। पर नेहरू के नाम पर कई इमारतें हैं। ऐसे में जेएनयू का नाम बदलकर आजादी के आंदोलन के महान नेता सुभाष चंद्र बोस के नाम पर कर दिया जाना चाहिए।

बता दें कि जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर छात्र संगठनों का आंदोलन जारी है। इसके समर्थन में माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात भी उतर आए हैं। समारोह में सुब्रमण्यम स्वामी ने राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसी तरह अयोध्या और काशी में भी जमीन देकर सैकड़ों वर्षों के विवादों को खत्म किया जा सकता है।

वहीं, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बार फिर दोहराया कि अयोध्या में बिना किसी बाधा के मंदिर बने तो अच्छा है। पुस्तक के बारे में बताते हुए एसके शर्मा ने कहा कि संविधान भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के हक में नहीं है। संविधान सभा की समिति में इसपर चर्चा हुई थी। तब सदस्यों ने कहा था कि दिल्ली पूरे देश का मुख्यालय रहेगा, इसलिए इसे किसी स्थानीय प्रशासन के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। इस पर केंद्र का ही अधिकार होना चाहिए। यह नोट संविधान के साथ नत्थी किया गया था, जिसपर बाद में किसी का ध्यान नहीं गया। जबकि उन्होंने राष्ट्रीय अभिलेखागार से इस नोट को ढूंढ़ निकाला। पुस्तक में इन्हीं तथ्यों का जिक्र है। महाराज अग्रसेन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. नंदकिशोर गर्ग समेत अन्य वक्ताओं ने भी समारोह को संबोधित किया।

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