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अनिवार्य उपस्थिति पर जनमत संग्रहः JNU प्रशासन को झटका, 98 फीसद छात्रों ने खिलाफ किया वोट

छात्रों का आरोप था कि जेएनयू प्रशासन जबरदस्ती पॉलिसीज थोप रहा है। जेएनयू प्रशासन बैक डेट से सर्कुलर जारी कर देता है, जो छात्रों के हितों के खिलाफ है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 08 Mar 2018 08:00 PM (IST)
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अनिवार्य उपस्थिति पर जनमत संग्रहः JNU प्रशासन को झटका, 98 फीसद छात्रों ने खिलाफ किया वोट

नई दिल्ली (जेएनएन)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन को बृहस्पतिवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब अनिवार्य उपस्थिति को लेकर कराए गए जनमत संग्रह में 98 फीसद छात्रों ने इसके खिलाफ मतदान किया। JNU छात्र संघ की ओर से कहा गया है कि इस जनमत संग्रह में खिलाफ में 4428 छात्र-छात्राओं ने मतदान किया है। आंकड़ों के मुताबिक, 98.47 फीसद छात्र-छात्राओं ने जेएनयू प्रशासन द्वारा अनिवार्य उपस्थिति के खिलाफ वोट दिया है। छात्र संघ ने यह भी जानकारी दी है कि मतगणना में 27 वोट इनवैलिड मिले।

यहां पर बता दें कि जेएनयू प्रशासन की ओर से अनिवार्य उपस्थिति को छात्र मानें या रिजेक्ट करें इसे लेकर छात्रों ने बुधवार को जेएनयू कैंपस में जनमत संग्रह किया गया था।

कई विभागों के बाहर छात्रों ने टेबल-कुर्सियां, बैलेट बॉक्स की व्यवस्था कर रखी थी। सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक छात्रों ने जनमत संग्रह में हिस्सा लेते हुए मतदान किया था।

छात्रों का आरोप था कि जेएनयू प्रशासन जबरन अपने नियम छात्रों पर थोप रहा है। जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष सिमोन जोया के मुताबिक, बुधवार को दो चरणों में छात्रों ने हाजिरी अनिवार्य के खिलाफ जनमत संग्रह में हिस्सा लेते हुए वोटिंग की। जेएनयू छात्र संघ की ओर से छात्रों को येलो पेपर दिया गया। इसमें रेफरेंडम का संदेश लिखा हुआ था।

इसमें बताया गया था कि अनिवार्य उपस्थिति को जेएनयू प्रशासन की ओर से छात्रों पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है और छात्र इस फैसले को रिजेक्ट करें। हर विभाग के बाहर दो बैलेट बॉक्स लगाए गए थे।

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