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JNUSU ने क्यों लिया भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला? जेएनयू प्रशासन ने यूजीसी को लिखा है पत्र

JNU News जेएनयू में 17 दिन से चल रही भूख हड़ताल खत्म हो गई है। जेएनयू प्रशासन ने छात्रों की कुछ मांगों पर सहमति जताई है। वहीं भूख हड़ताल करने वालों की बिगड़ती सेहत को देखते हुए जेएनयूएसयू ने भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है। पढ़िए आखिर जेएनयू प्रशासन ने छात्रों की किन-किन मांगों पर सहमति जताई है।

By uday jagtap Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 28 Aug 2024 10:11 AM (IST)
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू JNUSU) ने अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ 17 दिनों के विरोध प्रदर्शन के बाद अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।

छात्र संघ के अनुसार, सोमवार को जेएनयू प्रशासन द्वारा उसकी कई प्रमुख मांगों पर सहमति जताने और अन्य पर मौखिक आश्वासन देने के बाद भूख हड़ताल खत्म कर दी गई।

जेएनयूएसयू ने इसलिए लिया फैसला 

भूख हड़ताल करने वालों की बिगड़ती सेहत को देखते हुए जेएनयूएसयू ने भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है। जेएनयूएसयू ने हका, हमारा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। विरोध का तरीका बदल गया है, लेकिन हमारी मांगों के लिए लड़ाई नए दृढ़ संकल्प के साथ जारी है।

11 अगस्त से शुरू हुई थी हड़ताल

विरोध प्रदर्शन, जो 11 अगस्त को 16 छात्रों के अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने के साथ शुरू हुआ था, केवल दो प्रतिभागियों - जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय और काउंसलर नीतीश कुमार के साथ समाप्त हो गया, क्योंकि कई छात्रों को अपनी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों के कारण पीछे हटना पड़ा।

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बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) से संबद्ध, जेएनयूएसयू की महासचिव प्रियांशी आर्य ने विरोध प्रदर्शन से खुद को अलग कर लिया और आरोप लगाया कि जेएनयूएसयू के वाम-संबद्ध सदस्यों ने कई मामलों में उनकी सहमति नहीं ली। हालांकि, वाम संगठनों ने आरोपों को खारिज किया है।

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जेएनयू प्रशासन ने मेरिट-कम-मीन्स (एमसीएम) छात्रवृत्ति बढ़ाने के लिए यूजीसी को पत्र लिखा है। छात्रों का जातिवार डाटा जारी करने पर सहमति जताई है। प्राक्टोरियल जांच के अधीन छात्रों को राहत देने का वादा किया है। पार्थ सारथी राक को खोल दिया गया है। इसके बाद ही हड़ताल खत्म की गई है।

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