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K Kavitha Bail: 'क्या शिक्षित महिला को बेल नहीं दी जा सकती?' सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की हाईकोर्ट के आदेश की कड़ी निंदा?

Delhi Excise Policy Scam Case में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता K. Kavitha को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। इस मामले में ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) ने के. कविता को आरोपी बनाया गया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ईडी और सीबीआई को जमकर लताड़ा। साथ ही हाईकोर्ट की भी कड़ी निंदा की।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Tue, 27 Aug 2024 06:29 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की कड़ी निंदा की। फाइल फोटो
पीटीआई, नई दिल्ली। Delhi Excise Policy Scam Case बीआरएस नेता के. कविता (K. Kavita) को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में उन्हें जमानत दे दी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा के. कविता की जमानत याचिका को खारिज करने के आदेश की कड़ी आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के मुताबिक तो किसी शिक्षित महिला को जमानत नहीं मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या ऐसा मुमकिन है?

सुनवाई के दौरान SC ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों पर निर्णय लेते समय न्यायालयों को न्यायिक रूप से विवेक का प्रयोग करना चाहिए। न्यायालय यह नहीं कहता कि केवल इसलिए कि कोई महिला अच्छी तरह से शिक्षित या परिष्कृत है या संसद सदस्य या विधान परिषद का सदस्य है, वह पीएमएलए अधिनियम की धारा 45 के प्रावधान के लाभ की हकदार नहीं है। हम पाते हैं कि विद्वान एकल पीठ ने खुद को पूरी तरह से गलत दिशा में निर्देशित किया है।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक जुलाई को के. कविता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एक तरफ तो के. कविता के शिक्षित होने की काफी तारीफ की थी, लेकिन वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने कहा था कि के. कविता कोई कमजोर महिला नहीं हैं जो उन्हें धनशोधन विरोधी कानून पीएमएलए की धारा 45 के प्रावधानों के तहत महिलाओं को दी गई छूट का लाभ दिया जाए। कोर्ट ने इसी का हवाला देते हुए कविता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कविता करीब पांच महीने से हिरासत में थी और इन मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ED) द्वारा उसके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी थी।

पीठ ने कहा, "ऐसे में, जांच के उद्देश्य से अपीलकर्ता (कविता) की हिरासत आवश्यक नहीं है।" इसने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक जुलाई के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें दोनों मामलों में बीआरएस नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने कविता की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रथम दृष्टया दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन से संबंधित आपराधिक साजिश में मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे दोनों मामलों में 10-10 लाख रुपये के जमानत बांड भरने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसियों को जमकर फटकार लगाई

कविता को अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करने के लिए कहते हुए पीठ ने कहा कि वह सबूतों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं करेंगी। सुनवाई के दौरान पीठ ने इन मामलों की जांच में जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया और उन्हें "चुनने और चुनने" के लिए फटकार लगाई।

पीठ ने ईडी और सीबीआई से भी पूछा कि उनके पास वह "सामग्री" क्या है जो यह दिखाती है कि कविता कथित घोटाले में शामिल थी। पीठ कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में कविता की जमानत की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कविता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि उनके खिलाफ दोनों एजेंसियों द्वारा जांच पहले ही पूरी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि वह ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पांच महीने से और सीबीआई के मामले में चार महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं।

रोहतगी ने दोनों मामलों में सह-आरोपी और वरिष्ठ आप नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देने के 9 अगस्त के शीर्ष अदालत के फैसले का भी हवाला दिया। जांच एजेंसियों की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि कविता ने अपना मोबाइल फोन नष्ट कर दिया था यानी फॉर्मेट कर दिया था और उनका आचरण सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के बराबर था।

रोहतगी ने आरोप को "फर्जी" करार दिया। ईडी ने कविता (46) को 15 मार्च को हैदराबाद में बंजारा हिल्स स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था और सीबीआई ने उन्हें 11 अप्रैल को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। कविता ने सभी आरोपों से इनकार किया है।

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