Shaurya Gaatha: सियाचिन ग्लेशियर पर जिंदा और टिके रहना ही है जीत: मेजर बीपी सिंह
मेजर बीपी सिंह बताते हैं कि सियाचिन ग्लेशियर पर जिंदा व टिके रहना ही जीत है। देशसेवा की भावना से जुड़े रहे मेजर डा. बीपी वर्तमान में चाइल्ड पीजीआइ में सीनियर इमरजेंसी मेडिकल आफिसर हैं। कोरोनाकाल में उन्होंने संक्रमितों का इलाज भी किया।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 26 Jul 2021 12:40 PM (IST)
नई दिल्ली/ नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। ‘देशभक्तों से ही देश की शान है। देशभक्तों से ही देश का मान है। हम उस देश के फूल हैं यारों, जिस देश का नाम हिंदुस्तान हैं।’ कुछ इन्हीं भावनाओं को साथ लेकर डाक्टर मेजर बीपी सिंह दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर बने युद्धस्थल पर साढ़े चार माह तक डटे रहे थे। देश की सुरक्षा जवानों की अग्रिम पंक्ति करती है। इन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सकों की टीम रहती है। तीन माह के लिए पोस्टिंग के बावजूद उन्होंने साढ़े चार माह का समय वहां गुजारा था। उस समय उनके ब्रिगेडियर वहां पहुंचे, लेकिन मौसम खराब होने से रात में वहीं रुकना पड़ा। उस दौरान उन्हें तैनाती से अधिक समय तक वहां रुकने की बात पता लगी, तो वह डा. मेजर बीपी सिंह को अपने साथ हेलीकाप्टर से वापस लेकर आए थे।
सेना में उनकी भर्ती 1986 में कैप्टन पद पर हुई थी। पहली तैनाती दिल्ली के बेस हास्पिटल में थी। सेना में जाने से पूर्व ही वह एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के ही मौलाना आजाद मेडिकल कालेज में जूनियर रेजिडेंट डाक्टर थे। बेस हास्पिटल के बाद उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में कर दी गई। वर्ष 1990 के करीब उनकी तैनाती सियाचिन ग्लेशियर पर की गई। वह सियाचिन ग्लेशियर के सबसे ऊंचे भीम पोस्ट पर साढ़े चार माह तक रहे। समुद्र तल से औसतन इसकी ऊंचाई 24 हजार फीट है। वहां का तापमान माइनस 55 डिग्री है। सियाचिन ग्लेशियर पर प्रतिदिन दुश्मन देशों की ओर से बमबारी की जाती थी। गोले सिर के ऊपर से होकर गुजरते थे। हर समय जान जाने का खतरा बना रहता था। सियाचिन ग्लेशियर पर सिर्फ चारों तरफ बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। बीपी सिंह बताते हैं कि सियाचिन ग्लेशियर पर जिंदा व टिके रहना ही जीत है। देशसेवा की भावना से जुड़े रहे मेजर डा. बीपी वर्तमान में चाइल्ड पीजीआइ में सीनियर इमरजेंसी मेडिकल आफिसर हैं। कोरोनाकाल में उन्होंने संक्रमितों का इलाज भी किया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।