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Kargil Vijay Diwas: कारगिल में दुश्मन के सामने सीना तानकर डटे रहे फतेह सिंह, चार पहाड़ियों पर लहराया था तिरंगा

Kargil Vijay Diwas 2023 कारगिल विजय दिवस का दिन देश के वीर सपूतों को नमन करने का दिवस है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर देश के दुश्मनों से लोहा लिया। ऐसे ही वीर जांबाज हैं सूबेदार मेजर फतेह सिंह। रोहिणी के एनसीसी निदेशालय ग्रुप-बी मुख्यालय के छह-दिल्ली बटालियन में तैनात फतेह सिंह आज भी कारगिल के वो युद्ध को याद करते हुए जोश से भर जाते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 26 Jul 2023 12:37 PM (IST)
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Kargil Vijay Diwas: शौर्य की कहानी... कारगिल में दुश्मनों के सामने सीना तानकर डटे रहे फतेह सिंह
बाहरी दिल्ली [शिप्रा सुमन]। Kargil Vijay Diwas 2023 : कारगिल विजय दिवस का दिन देश के वीर सपूतों को नमन करने का दिवस है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर देश के दुश्मनों से लोहा लिया।

ऐसे ही वीर जांबाज हैं सूबेदार मेजर फतेह सिंह। रोहिणी के एनसीसी निदेशालय ग्रुप-बी मुख्यालय के छह-दिल्ली बटालियन में तैनात फतेह सिंह आज भी कारगिल के वो युद्ध को याद करते हुए जोश से भर जाते हैं।

कारगिल युद्ध के बारे में बात करते हुए उनके चेहरे पर एक अलग तरह की चमक होती है। उनका कहते हैं कि विजय दिवस के तौर पर वह कहते हैं कि हमारे कई साथियों ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपनी शहादत दी, हम जब भी उस दौर को याद करते है आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

कारगिल में चार पहाड़ियों पर टास्क मिला था

कारगिल युद्ध के दौरान फतेह सिंह 13 कुमांऊ रंजागला बटालियन में लांस नायक पद पर तैनात थे, और उनकी उम्र 27 वर्ष थी। इस उम्र में उन्हें कारगिल युद्ध में चार पहाड़ियों पर टास्क मिला था। तुरतुक सेक्टर (कैप्टन हनीफ सेक्टर) मौजूद नाम पर फतेह सिंह की पोस्टिंग थी। इस दौरान फतेह सिंह और उनकी टीम का प्वाइंट पर कब्जा करने का टास्क मिला।

सीनियर अधिकारी कैप्टन हरकमल अटवाल, कैप्टन पठानिया, सूबेदार रोहतास यादव के नेतृत्व में 20 जवान को इस छोटी पर चढ़ना था। 20-20 की टुकड़ी में इस पहाड़ी को घेरना था। फतेह सिंह बताते हैं कि हम पहाड़ी के निचले हिस्से में थे हमें ऊपर चढ़ना था।

ऊपर दुश्मनों ने बड़ी मात्रा में हथियार जमा कर रखे थे। लगातार फायरिंग हो रही थी, हम रात के अंधेरे में रणनीति बनाकर ऊपर पहाड़ियों की चोटी पर चढ़ाई करते थे। सभी ने बहादुरी के साथ आगे बढ़ते हुए और गोलियों का सामना किया और प्वाइंट पर कब्जा कर दुश्मनों को खदेड़ दिया।

साथी जवान हमले में हुआ घायल

फतेह सिंह बताते है की दुश्मनों द्वारा बारूदी सुरंग बिछाई गई थी (एंटी पर्सनल माइन) के अचानक ब्लास्ट होने से उनकी टुकड़ी में सिपाही उमेद घायल हो गए। उसका हाथ ब्लास्ट हो गया जिसके बाद हमने सतर्कता बरती और दो घुसपैठ को मार गिराया, जिससे बाकी बचे दुश्मन पोस्ट छोड़कर भाग खड़े हुए।

इस दौरान फतेह सिंह को उनकी बैटल फील्ड नर्सिंग के तहत अटैक के साथ साथियों को दवा देकर उनको सुरक्षित ठिकाने पर ले जाने की जिम्मेदारी दी गई। हम घायल साथियों को सुरक्षित ठिकानों पर छोड़ हम भी कवरिंग फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहे थे क्योंकि वहां बारूदी सुरंग बिछी थी जिससे ज्यादा खतरा थ ।

उन्हेांने बताया कि हमने पहाड़ी पर चार दिन बाद सुबह पांच बजे कब्जा कर लिया। इस सफलता के बाद हथियार, एचएमजी, मोटार, एक-47 मैगजीन, और जरूरी सामान को कब्जे में ले लिया। सीमित संसाधन में डटे रहे फतेह सिंह बताते हैं कि हम लोगों के पास उस समय सीमित संसाधन थे जिसमें खाना, पानी, मेडिकल आदि के समान को पिट्ठू पर लादकर अपने मंजिल की तरफ बढ़ रहें है।

इस दौरान सभी सिपाही भारत माता के जयघोष के साथ मंजिल को पाने के उम्मीद से आगे बढ़ रहें थे आखिरकार हमारे साथियों के जोश और जुनून के साथ हमने दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए उन्हें पराजित कर दिया जिसमे कुछ मारे गए बाकी बचे पोस्ट छोड़ भाग गए।।

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