करवाचौथः निकला चांद तो उनका भी दीदार हुआ, फिर दिल से निकली दुआ- तुम जिया हजारों साल
कार्यक्रम में महिलाएं परिवार व पति के साथ पूजन के लिए पहुंचीं। पूजन के बाद महिलाएं पंजाबी गीतों पर थिरकतीं नजर आई।
By Edited By: Updated: Sat, 27 Oct 2018 09:51 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। पंजाबी लोक गीतों की धुन पर नाचती लोक कलाकार और बड़ी संख्या में सजी-संवरी महिलाएं। यह दृश्य है महिला जागृति संघ, जनकपुरी के तत्वावधान में आयोजित करवा चौथ उत्सव का है। जनकपुरी दशहरा ग्राउंड में सामूहिक रूप से 20वें करवा चौथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी कंचन गडकरी, असम के राज्यपाल प्रो.जगदीश मुखी व प्रेम मुखी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
समारोह में जनकपुरी व आसपास के क्षेत्र से आई महिलाओं ने करवा चौथ व्रत की कथा सुनी और चांद का दीदार कर व्रत का समापन किया। कार्यक्रम में महिलाएं परिवार व पति के साथ पूजन के लिए पहुंचीं। पूजन के बाद महिलाएं पंजाबी गीतों पर थिरकतीं नजर आई। व्रती महिलाओं को व्रत के दौरान तक किसी किस्म का तनाव न हो, इसके लिए यहां साहित्य कला परिषद के लोक कलाकारों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इसके साथ ही नव-विवाहित जोड़ों के बीच कई तरह की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें उन्होंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
प्रतियोगिता के अंत में महिला जागृति संघ की अध्यक्ष पारुल मुखी की ओर से सभी को उपहार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रेम मुखी ने कहा कि पति व पत्नी के बीच अटूट रिश्ता को दर्शाने वाला यह पर्व महिलाओं के जीवन में विशेष स्थान रखता है। हमारे देश की महिलाएं पति की लंबी उम्र एवं खुशहाली की कामना लिए यह निर्जला व्रत रखती हैं। यह बात हमारे देश की पारिवारिक व्यवस्था की सुंदरता को दर्शाता है।
इस व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता सहिष्णुता व त्याग की भावना है, वहीं पारुल मुखी ने बताया कि आधुनिकता व व्यस्त जिंदगी के बीच भी परंपरा का अपना महत्व है। आयोजन में इतनी संख्या में महिलाओं का शरीक होना इस बात को दर्शाता है कि आज भी संस्कारों के मामले में भारतीय महिला संकल्प व श्रद्धा के साथ कटिबद्ध हैं।
इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात थी। क्षेत्र में अन्य जगहों पर भी महिलाएं करवा चौथ के लिए बन-ठन कर तैयार हुई। शाम को पूजन के बाद उन्होंने चांद का दीदार कर व्रत का समापन किया। इसके बाद कई महिलाएं परिवार के साथ बाहर रेस्टोरेंट में खाना खाने पहुंचीं तो वहीं कुछ ने घर में ही पारंपरिक भोजन ग्रहण किया।
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