Kidney Transplant Racket: टीम के साथ यथार्थ जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करती थी डॉ. विजया, कुंवारी न रहने की वजह भी...
Kidney Transplant Racket डॉ. विजया छह लोगों की टीम लेकर ट्रांसप्लांट करने यथार्थ अस्पताल में जाती थी। वहीं पुलिस ने यथार्थ के मानव अंग प्रत्यारोपण अप्रूवल कमेटी के सदस्यों व चेयरमैन से पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है। सरगना रसेल और बिचौलिया मोहम्मद शारिक ने पूछताछ में डॉक्टर डी विजया से 20 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट कराने की बात कबूली है।
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. डी विजया राजकुमारी अपने साथ दिल्ली से छह सदस्यों की टीम लेकर किडनी मरीजों के ट्रांसप्लांट के लिए नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ हॉस्पिटल में जाती थीं। उन्होंने सभी ट्रांसप्लांट यथार्थ अस्पताल में ही किए थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के सात आरोपियों से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है।
पूछताछ में पता चला है कि डॉ. डी विजया की टीम में उनके निजी सहायक व कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य होते थे, जिनके पास मरीजों के बारे में पूरी जानकारी होती थी। ऑपरेशन में यथार्थ के नर्सिंग स्टाफ का भी सहयोग लिया जाता था।
टीम के अन्य चार सदस्यों से पूछताछ जारी
पुलिस डी. विजया की टीम के दो सदस्य मोहम्मद शारिक व विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन टीम में शामिल चार अन्य से भी पूछताछ कर पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उन्हें इस बात की जानकारी थी या नहीं कि डॉक्टर विजया किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाने वाले एक गिरोह के लिए नियम कानून को ताक पर रखकर काम कर रहीं हैं। इनकी संलिप्तता का पता चलने पर चारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।रैकेट के सरगना और डॉक्टर समेत आरोपी गिरफ्तार
पुलिस अधिकारी का कहना है कि प्रथम दृष्टया जांच के बाद रैकेट के सरगना व साजिश में शामिल आरोपी समेत डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। चेन्नई की रहने वाली जानी मानी किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. डी विजया राजकुमारी किसी भी अस्पताल से स्थायी तौर पर जुड़कर प्रैक्टिस नहीं करना चाहतीं थीं।
अधिक पैसे कमाने को विजिटिंग कंसल्टेंट के तौर पर करती थी काम
अधिक पैसा कमाने के लिए वह कई अस्पतालों में विजिटिंग कंसल्टेंट के तौर पर काम करतीं थीं। पेशे में कोई बाधा न आए इसके लिए उन्होंने शादी भी नहीं की है। सरिता विहार स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल व नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ अस्पताल में वह विजिटिंग कंसल्टेंट ही थीं। अपोलो की स्थायी डॉक्टर नहीं थीं। अपोलो प्रबंधन को विजया के बारे में पता चलने पर उन्हें निकाल भी दिया गया।अपोलो और यथार्थ की भूमिका की जांच जारी
डीसीपी क्राइम ब्रांच अमित गोयल का कहना है कि किडनी रैकेट में अपोलो व यथार्थ अस्पताल की भूमिका की जांच की जा रही है। पुलिस ने यथार्थ के मानव अंग प्रत्यारोपण अप्रूवल कमेटी के सदस्यों व चेयरमैन से पूछताछ के लिए उन्हें नोटिस भेजा है। पुलिस अधिकारी का कहना हे कि हर अस्पताल में मानव अंग प्रत्यारोपण कमेटी होती है, जिसमें सेवानिवृत्त डॉक्टर, अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर व एनजीओ आदि के कर्मचारी सदस्य होते हैं।
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