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Kidney Transplant Racket: ऐसे चल रहा था किडनी का गंदा खेल, अपोलो अस्पताल की सर्जन शामिल; जानिए बांग्लादेश से भारत तक का कनेक्शन

Kidney Transplant Racket इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में 15 साल से किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर डी. विजया राजकुमारी तैनात थी। इनके दो नर्सिंग कर्मचारी भी गिरफ्तार हुए हैं। डॉक्टर विजया को जाली कागजात के आधार पर आरोपितों द्वारा किए जा रहे अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी थी। डॉक्टर डी. विजया राजकुमारी नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट थी।

By Rakesh Kumar Singh Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 10 Jul 2024 12:46 AM (IST)
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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा किडनी रैकेट में शामिल गिरफ्तार तीन आरोपित। सौजन्य-पुलिस

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर के बड़े निजी अस्पतालों में चल रहे अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ कर सरिता विहार स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की महिला किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर डी विजया राजकुमारी व रैकेट का सरगना समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सरगना समेत तीन आरोपित बांग्लादेश के रहने वाले हैं।

गिरफ्तार आरोपितों में दो आरोपित डॉक्टर विजया के नर्सिंग कर्मचारी शामिल हैं। विजया को जाली कागजात के आधार पर आरोपितों द्वारा किए जा रहे अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी रहती थी। वह अस्पताल प्रबंधन को भी साजिश में शामिल करके वर्षों से किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चला रही थी अथवा नहीं। पुलिस के लिए यह गंभीर जांच का विषय है।

गुरुग्राम व जयपुर में पकड़े गिरोह से जुड़े तार

दिल्ली में पकड़े गए इस गिरोह के तार दो-तीन माह पूर्व गुरुग्राम व जयपुर में पकड़े गए बांग्लादेशी गिरोह से जुड़े हुए हैं। लेकिन यह गिरोह दिल्ली व नोएडा के अस्पतालों में रैकेट चला रहा था। उन दोनों जगहों से पकड़े गए आरोपितों से ही जांच के दौरान दिल्ली में चलने वाले इस गिरोह के बारे में पुलिस को जानकारी मिली थी उसके बाद सूचना को विकसित कर दिल्ली पुलिस ने सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

16 जून को तीन बांग्लादेशी गिरफ्तार

डीसीपी अमित गोयल के अनुसार, 16 जून को क्राइम ब्रांच के एसीपी रमेश लांबा व इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन की टीम ने पहले चार आरोपित रसेल, रोकोन व सुमोन मिया को जसोला इलाके से गिरफ्तार किया। तीनों बांग्लादेशी नागरिक हैं। इनसे पूछताछ के बाद त्रिपुरा के रहने वाले रतेश पाल को गिरफ्तार किया गया।

बांग्लादेश में मरीजों को बनाते शिकार

चारों से पूछताछ में तीन किडनी चाहने वालों और तीन दाताओं की पहचान की गई। पूछताछ से पता चला कि ये लोग बांग्लादेश में डायलिसिस केंद्रों पर जाकर बांग्लादेश के किडनी रोग से पीड़ित मरीजों को शिकार बनाते थे। इन्होंने बांग्लादेश से डोनर की व्यवस्था की, उनकी खराब वित्तीय पृष्ठभूमि का फायदा उठाया और उन्हें भारत में नौकरी दिलाने के बहाने उनका शोषण किया।

भारत पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए। इसके बाद रसेल और इफ्ति ने अपने सहयोगियों मोहम्मद सुमन मियां, मोहम्मद रोकोन उर्फ राहुल सरकार और रतेश पाल के माध्यम से मरीजों व किडनी दाता के बीच संबंध दिखाने के लिए उनके जाली दस्तावेज तैयार किए क्योंकि यह अनिवार्य है कि केवल करीबी रिश्तेदार ही किडनी दाता हो सकता है।

इस तरह करते थे खेल

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने अस्पतालों से अपनी प्रारंभिक चिकित्सीय जांच कराई और किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन कराया। जांच में पाया गया कि डॉक्टर डी. विजया राजकुमारी का निजी सहायक विक्रम सिंह, मरीज की फाइलें तैयार करने में सहायता करता था और मरीज और दाता का शपथ पत्र तैयार करने में मदद करता था।

विक्रम सिंह आरोपितों से प्रति मरीज 20,000 लेता था। रसेल ने अपने सहयोगियों में से एक मोहम्मद शारिक के नाम के बारे में ताया है। मोहम्मद शारिक, डॉ. डी. विजया राजकुमारी से मरीजों का अप्वाइंटमेंट लेता था और पैथोलाजिकल टेस्ट करवाता था और डॉक्टर की टीम से संपर्क रखता था। मोहम्मद शारिक प्रति मरीज 50,000-60,000 लेता था।

छानबीन के बाद 23 जून को विक्रम सिंह और मोहम्मद शारिक को गिरफ्तार कर लिया गया। रसेल अहमद, विक्रम सिंह और शारिक ने बताया कि डी विजया राजकुमारी को जाली कागजात के आधार पर इन लोगों द्वारा किए जा रहे प्रत्येक अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी थी। जिसके बाद एक जुलाई को डॉक्टर डी विजया राजकुमारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

वह मूलरूप से चेन्नई की रहने वाली है और पिछले 15 सालों से इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन थी। नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ अस्पताल में वह विजिटिंग कंसल्टेंट डॉक्टर भी थी। 2021 से 2023 तक विजया ने यथार्थ में करीब 15 किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी करने की बात कही है। पुलिस इसके आगे की भूमिका की जांच कर रही है।

डॉक्टर व उनका स्टाफ फर्जी तरीके से मरीजों के दस्तावेज तैयार करवाते थे। एक मरीज से ये लोग 20-25 लाख रुपये किडनी ट्रांसप्लांट करवाने का वसूलते थे। अब तक इस गिरोह द्वारा कितने लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट कराए गए पुलिस इसकी जांच कर रही है।

अपोलो अस्पताल प्रबंधन का पक्ष

डॉ. डी विजया राजकुमारी, अस्पताल के पेरोल पर नहीं बल्कि शुल्क-सेवा के आधार पर नियुक्त किया गया था। यह कार्रवाई किसी अन्य अस्पताल में की गई प्रक्रियाओं से संबंधित जांच के बाद की गई है और प्रथम दृष्टया इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में किसी भी कार्रवाई या कृत्य से संबंधित नहीं है।

पुलिस की इस कार्रवाई को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टर डी विजया को निलंबित कर दिया है। जांच के दौरान अस्पताल प्रबंधन से पुलिस ने जो जानकारी मांगी उसे प्रदान किया गया। हम राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय सभी रोगियों के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं के संबंध में सभी कानूनों, नियमों का पालन करने के लिए अत्यधिक प्रतिबद्धता दोहराते हैं।

अपोलो अस्पताल समूह ने 25000 से अधिक प्रत्यारोपण किए हैं और सभी नियमों का पालन किया है। हमारी प्रक्रियाओं की समीक्षा सक्षम सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई है जिन्होंने अनुपालन के हमारे रिकार्ड को बरकरार रखा है। अस्पताल प्रबंधन इस मामले में जांच अधिकारियों को पूरा सहयोग प्रदान करेगा।

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