Kidney Transplant Racket: ऐसे चल रहा था किडनी का गंदा खेल, अपोलो अस्पताल की सर्जन शामिल; जानिए बांग्लादेश से भारत तक का कनेक्शन
Kidney Transplant Racket इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में 15 साल से किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर डी. विजया राजकुमारी तैनात थी। इनके दो नर्सिंग कर्मचारी भी गिरफ्तार हुए हैं। डॉक्टर विजया को जाली कागजात के आधार पर आरोपितों द्वारा किए जा रहे अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी थी। डॉक्टर डी. विजया राजकुमारी नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर के बड़े निजी अस्पतालों में चल रहे अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ कर सरिता विहार स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की महिला किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर डी विजया राजकुमारी व रैकेट का सरगना समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सरगना समेत तीन आरोपित बांग्लादेश के रहने वाले हैं।
गिरफ्तार आरोपितों में दो आरोपित डॉक्टर विजया के नर्सिंग कर्मचारी शामिल हैं। विजया को जाली कागजात के आधार पर आरोपितों द्वारा किए जा रहे अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी रहती थी। वह अस्पताल प्रबंधन को भी साजिश में शामिल करके वर्षों से किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चला रही थी अथवा नहीं। पुलिस के लिए यह गंभीर जांच का विषय है।
गुरुग्राम व जयपुर में पकड़े गिरोह से जुड़े तार
दिल्ली में पकड़े गए इस गिरोह के तार दो-तीन माह पूर्व गुरुग्राम व जयपुर में पकड़े गए बांग्लादेशी गिरोह से जुड़े हुए हैं। लेकिन यह गिरोह दिल्ली व नोएडा के अस्पतालों में रैकेट चला रहा था। उन दोनों जगहों से पकड़े गए आरोपितों से ही जांच के दौरान दिल्ली में चलने वाले इस गिरोह के बारे में पुलिस को जानकारी मिली थी उसके बाद सूचना को विकसित कर दिल्ली पुलिस ने सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है।16 जून को तीन बांग्लादेशी गिरफ्तार
डीसीपी अमित गोयल के अनुसार, 16 जून को क्राइम ब्रांच के एसीपी रमेश लांबा व इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन की टीम ने पहले चार आरोपित रसेल, रोकोन व सुमोन मिया को जसोला इलाके से गिरफ्तार किया। तीनों बांग्लादेशी नागरिक हैं। इनसे पूछताछ के बाद त्रिपुरा के रहने वाले रतेश पाल को गिरफ्तार किया गया।
बांग्लादेश में मरीजों को बनाते शिकार
चारों से पूछताछ में तीन किडनी चाहने वालों और तीन दाताओं की पहचान की गई। पूछताछ से पता चला कि ये लोग बांग्लादेश में डायलिसिस केंद्रों पर जाकर बांग्लादेश के किडनी रोग से पीड़ित मरीजों को शिकार बनाते थे। इन्होंने बांग्लादेश से डोनर की व्यवस्था की, उनकी खराब वित्तीय पृष्ठभूमि का फायदा उठाया और उन्हें भारत में नौकरी दिलाने के बहाने उनका शोषण किया।भारत पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए। इसके बाद रसेल और इफ्ति ने अपने सहयोगियों मोहम्मद सुमन मियां, मोहम्मद रोकोन उर्फ राहुल सरकार और रतेश पाल के माध्यम से मरीजों व किडनी दाता के बीच संबंध दिखाने के लिए उनके जाली दस्तावेज तैयार किए क्योंकि यह अनिवार्य है कि केवल करीबी रिश्तेदार ही किडनी दाता हो सकता है।
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