Kisan Andolan: राकेश टिकैत का नया अल्टीमेटम, कहा- 'मोदी सरकार के पास सिर्फ 30 दिन का टाइम'
Kisan Andolan राकेश टिकैत ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर अगले साल 26 जनवरी से पहले तक किसानों की सभी बची 6 मांगें मान ली जाएंगीं तो वे दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु शाहजहांपुर टीकरी और गाजीपुर) से चले जाएंगे।
By Jp YadavEdited By: Updated: Wed, 24 Nov 2021 01:23 PM (IST)
नई दिल्ली/गाजियाबाद [शाहनवाज अली/आनलाइन डेस्क]। दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बार्डर (यूपी गेट) पर किसानों के धरना प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दिल्ली बार्डर खाली करने के लिए अब नई शर्त रख दी है। इस शर्त के बाबत राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को इशारों-इशारों में नया अल्टीमेटम दिया है। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को साफ शब्दों में कहा है कि अगर अगले साल 26 जनवरी से पहले तक किसानों की सभी बची 6 मांगें मान ली जाएंगीं तो वे दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, शाहजहांपुर, टीकरी और गाजीपुर) से चले जाएंगे।
गाजियाबाद के सदर गांव में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने घोषणा की है तो वो प्रस्ताव ला सकते हैं लेकिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और 700 किसानों की मृत्यु भी हमारा मुद्दा है। सरकार को इसपर भी बात करनी चाहिए। 26 जनवरी से पहले तक अगर सरकार मान जाएगी तो हम चले जाएंगे। चुनाव के विषय में हम चुनाव आचार संहिता लगने के बाद बताएंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि संघर्ष से ही समाधान का रास्ता मिल निकला है तभी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिया है। ऐसे में अब सरकार के पास 35 दिन का टाइम है। अपने घोषणा पत्र के मुताबिक एक जनवरी 2022 में वह किसानों की आमदनी दोगुना करने वाली थी जो नहीं कर पाई एक जनवरी से किसानों की मांगों में यह मांग भी जुड़ जाएगी।
वह बुधवार को गांव सदरपुर में मधुबन बापूधाम आवासीय योजना में जीडीए से बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों के बीच कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने किसानों से अपनी मांगों को मनवाने के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने हमारा जिला हमारा कलेक्ट्रेट का नारा देते हुए कलेक्ट्रेट को घेरने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि किसान की मांग एमएसपी गारंटी कानून की है। किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेने की है बिजली अमेंडमेंट बिल की है, जिनको सरकार ने अभी तक वापस नहीं लिया है। तीन कैसी कानून जो सरकार ने वापस लिए हैं । वह जनता के हित में नहीं थे किसान हित की लड़ाई अभी जारी है।
- केंद्र सरकार के प्रतिनिधि किसान संगठनों (संयुक्त किसान मोर्चा) से बात करे।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो।
- प्रदर्शनकारी हजारों किसानों और उनके नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस हों।
- लखीपुरखीरी कांड के पीड़ितों को न्याय मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो।
- बिजली बिल का मुद्दा
- वायु प्रदूषण को लेकर मुद्दा, जो किसानों के पराली जलाने से जुड़ा है।