इन 10 मांगों के साथ दिल्ली में 3 साल के बाद फिर से किसान आंदोलन, रामलीला मैदान में जुटे हजारों अन्नदाता
Kisan Mahapanchayat In Delhi संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के विभिन्न राज्यों से अन्नदाता दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल होने पहुंचे हैं। इस दौरान किसान नेताओं ने केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताया है।
By Nimish HemantEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 20 Mar 2023 01:53 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। तीन साल बाद एक बार आज सोमवार को देश के विभिन्न राज्यों से हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे हैं। रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम)के बैनर तले किसानों की महापंचायत चल रही है।
इसमें एसकेएम नेताओं ने केंद्र सरकार के कॉरपोरेट-समर्थक “विकास” की निंदा कर रहे हैं, उनका आरोप है कि यह कृषि आय को कम कर रहा है और कॉर्पोरेट लाभ के लिए खेत, वन और प्राकृतिक संसाधनों को छीनने के लिए है।संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ने महापंचायत में किसान, आदिवासी किसान, महिला किसान, खेत मजदूर और प्रवासी मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, बेरोजगारी, और बढ़ती निर्वाह व्यय और घटती क्रय शक्ति पर इन नीतियों के प्रभाव के बारे में बात रख रहे हैं।
केंद्र सरकार से किसानों की ये हैं प्रमुख मांगें
1. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लाया और लागू किया जाए।2. एसकेएम ने कई बार स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित एजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति का गठन किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा वादा किया गया था।
3. कृषि में बढ़ती लागत और फसल के लिए लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80% से अधिक किसान कर्ज में डूब चुके हैं और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी की मांग करता है।4. संयुक्त संसदीय समिति को विचारार्थ भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने एसकेएम को लिखित आश्वासन दिया था कि मोर्चा के साथ विमर्श के बाद ही विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इसे बिना किसी चर्चा के संसद में पेश कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली की मांग को फिर दोहराता है।
5. लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।6. किसान आंदोलन के दौरान दम तोड़ने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने के वादे को सरकार पूरा करे।7. अप्रभावी और वस्तुतः परित्यक्त प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करे। नुकसान का आकलन व्यक्तिगत भूखंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।
8. सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए पांच हजार रुपये प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।9. किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाए।10. सिंघु मोर्चा पर किसानों के लिए एक स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन किया जाए।
महापंचायत के लिए जुटे किसान नेता चेतावनी देते हुए कह रहे हैं कि महापंचायत के माध्यम से भारत के किसान अपनी आवाज बुलंद करेंगे, और अपनी मांगें पूरी न होने तक चुप नहीं बैठेंगे।"दिल्ली में सरकार को चेतावनी देने आए हैं किसान"इस दौरान जय किसान आंदोलन व समन्वय समिति सदस्य संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष अविक साहा ने कहा कि किसान की जीत अभी अधूरी थी, क्योंकि किसान आंदोलन तीन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी पर कानून बनाने को लेकर शुरू हुआ था। एमएसपी गारंटी की मांग खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2011 में उठाई थी, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एमएसपी को कानूनी गारंटी मिले, यहीं हम चाहते हैं। सरकार का अहंकार गया नहीं है, चालाकी और तिकड़म अभी खत्म नहीं हुई। इसलिए किसान संघर्ष जारी रखेगा। आज दिल्ली में किसान फिर से सरकार को चेतावनी देने आए हैं।
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