लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में 8 बार नाम दर्ज करवा चुके मदन की हैरान करने वाली कहानी
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के तहत इस बार मदन गोपाल को गोमफरीना पौधे के लिए मिला है, जिसकी लंबाई तीन फुट है। अमूमन यह पौधा एक फुट का ही होता है
नई दिल्ली (शिप्रा सुमन)। सात वर्ष से बागवानी में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मदन गोपाल कोहली को आठवीं बार भी लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का पुरस्कार दिया गया है। अलग-अलग किस्म के फल-फूल और औषधि के पौधों से सजी उनकी छोटी सी बगिया हर किसी का मन मोह लेती है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के तहत इस बार उन्हें गोमफरीना पौधे के लिए मिला है, जिसकी लंबाई तीन फुट है।
अमूमन यह पौधा एक फुट का ही होता है, लेकिन मदन कोहली ने इसे अपनी बगिया में तीन गुना लंबा कर दिया। उन्होंने बताया कि सजावटी पौधे के रूप में गोमफरीना को घर की बालकनी में अक्सर रखा जाता है, जिससे खूबसूरती बढ़ जाती है। अप्रैल-मई में उगाए जाने वाले इस पौधे में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती।
केशवपुरम के निवासी 75 वर्षीय मदन गोपाल को मानना है कि संसाधनों की दुहाई देकर पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि यदि इच्छाशक्ति हो तो पर्यावरण के विकास और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए कहीं से भी शुरुआत की जा सकती है और आज के दौर में इसकी आवश्यकता है।
बागवानी के क्षेत्र में अपनी लगन और प्रयासों का लोहा मनवा चुके कोहली उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं जो पर्यावरण के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहते हैं। उनके अनुसार प्रदूषण को दूर करने के लिए बागवानी सरल और प्रभावी माध्यम है। घर की छत पर गार्डन पिछले 35 वर्ष से घर की छत पर बागवानी कर रहे कोहली को बचपन से ही पौधों से प्यार है।
स्कूल के दिनों से वे पौधे से लगाव रखते थे और उन्हें देखकर आकर्षित होते थे और गुलाब उनका पसंदीदा हुआ करता था। उन्होंने बताया कि जब वे सातवीं कक्षा में पढ़ते थे तब दूसरों के घरों में अक्सर कई किस्म के पौधे और फूल देखकर वे यही सोचते थे कि इन्हें रखने वाले काफी धनवान होते हैं, लेकिन आज वे जान चुके हैं कि पौधे उगाने और उनकी देखभाल करने में धन से कहीं अधिक मन की शक्ति की आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पिता उन्हें मुगल गार्डन घुमाने ले जाते थे और उन्हें वह खूब भाता था और वे मजाक में कह जाते थे कि वे भी अपने घर में मुगल गार्डन बनाएंगे। आज अपने छोटे से घर की छत पर उन्होंने कई किस्मों के पौधे उगाए हैं, जिसमें फल, फूल, औषधि और पत्तियों वाले विभिन्न किस्म के पौधे शामिल हैं। वे अपने रूफ गार्डन में महंगे गमले या कोई बड़ी तकनीकी चीज का प्रयोग नहीं करते, बल्कि घरेलू और बेकार की चीजों का इस्तेमाल करते हैं।
इसमें पॉलिथिन बैग, सीमेंट के पुराने पाइप का टुकड़ा, थर्माकॉल के कॉटेज, बेकार के पुराने डिब्बे, बोतलें, प्लास्टिक की टूटी-फूटी टोकरियां व पुराने टिन के बक्से वगैरह शामिल हैं। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड की उपलब्धियां वर्ष 2006 में पहली बार उन्हें लिम्का बुक ऑफ अवार्ड के लिए चुना गया। 16 इंच लंबे और छह इंच चौड़े आम के पत्ते उगाने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
दूसरी बार वर्ष 2009 में दो मीटर 18 इंच यानी साढ़े छह फुट लंबा पुदीना (मिंट) का पौधा उगाने के लिए उन्होंने रिकार्ड बनाया। अक्सर पुदीना के पौधे की लंबाई सिर्फ एक फुट होती है। तीसरी बार वर्ष 2010 में छह फुट पांच इंच लंबा गेंदा (मैरीगोल्ड) का पौधा उगाकर उन्होंने यह रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया, जो अक्सर तीन-चार फुट का ही होता है।
इसके बाद वर्ष 2012 में छह फुट लंबे कासमास के फूल के पौधे को उगाने के लिए उनका नाम दर्ज किया गया, वहीं पांचवीं बार वर्ष 2013 में उन्होंने 23 इंच लंबे लोबिया की बेल को अपने घर की छत पर गमले में तैयार किया, जिसके लिए उनके नाम रिकॉर्ड दर्ज हुआ। छठी बार वर्ष 2014 में उन्होंने सूरजमुखी के एक ही पौधे में 22 फूल उगाए जो अपने आप में काफी बड़ा रिकॉर्ड है।
अमूमन एक पौधे में तीन-चार ही सूरजमुखी के फूल होते हैं। इसके बाद वर्ष 2016 में केवल 25 वर्ग मीटर की जगह की छोटी सी जगह में 25 हजार पौधे लगाने के अनूठे योगदान के लिए सातवीं बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में नाम दर्ज कराया।