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दिल्लीः मंडी हाउस में देखकर सीखी पेंटिंग और बन गए कलाकार

पेंटिंग सीखने के लिए विनीत सागर शुरुआत में युवाओं को फ्री में अंडे खिलाते थे। आज वह बेहतर पेंटिंग बनाने की काबिलियत रखते हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 02 Jun 2018 11:18 AM (IST)
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दिल्लीः मंडी हाउस में देखकर सीखी पेंटिंग और बन गए कलाकार
नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो सारी बाधाएं भी बौनी साबित होने लगती हैं। बाधाओं के बीच से रास्ता बनाकर किसी मंजिल तक पहुंचना न सिर्फ सुकून देता है, बल्कि यह सफलता दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन जाती है। निजी कारणों से आठवीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़कर मंडी हाउस में अंडे बेचने वाले 20 वर्षीय विनीत सागर ने इसे साबित कर दिखाया। यह वही मंडी हाउस है, जिसने बॉलीवुड को नवाजुद्दीन जैसे दिलकश कलाकार दिए और इसी जगह ने विनीत की भी जिंदगी बदल दी। आज विनीत एक अच्छे पेंटर हैं और उनकी कला न सिर्फ दिल्ली, बल्कि विदेशों तक में रंग बिखेर रही है।

विनीत बताते हैं कि स्कूल छोड़ने के बाद उनके माता-पिता ने मंडी हाउस स्थित मामा की अंडे की दुकान पर काम पर लगा दिया। जहां दुकान थी, वहां से कुछ ही दूरी पर कुछ युवा रोजाना पेंटिंग करते थे और वह उन्हें बड़े ध्यान से देखा करते थे। धीरे-धीरे इसका शौक हुआ और कोशिश शुरू की। पेंटिंग सीखने के लिए वह युवाओं को फ्री में अंडे खिलाते थे। आज वह बेहतर पेंटिंग बनाने की काबिलियत रखते हैं।

रंग खरीदने को पैसे नहीं थे तो कोयले से पेंटिंग बनाने की शुरुआत की

विनीत बताते हैं कि शुरुआती दौर में रंग खरीदने के पैसे नहीं थे तो कोयले से पेंटिंग बनानी शुरू की। कोयले से ही उन्होंने कई बॉलीवुड स्टार, नेताओं व संगीतकारों की पेंटिंग बनाई। जब उन्हें अच्छी तरह पेंटिंग बनानी आ गई, तब कनॉट प्लेस में सड़क पर बैठकर कोयले से लोगों के स्केच बनाने लगे। आज एनएच-9 पर एनएचएआइ द्वारा और डलावघरों पर पूर्वी निगम द्वारा जो पेंटिंग बनवाई गई हैं।

जेब खाली थी तो इंडिया गेट पर सैलानियों के स्केच बना जुटाए 100 रुपये

विनीत ने बताया कि वह शाम को मंडी हाउस से इंडिया गेट चले जाते थे। एक दिन ऐसा हुआ कि उनकी जेब में घर वापस जाने के लिए भी पैसे नहीं थे, लेकिन स्केच बनाने की सामग्री थी। उस वक्त तमिलनाडु के दो लोगों ने उनसे स्कैच बनवाए और बदले में 100 रुपये दिए। यह कला के क्षेत्र में उनके जीवन की पहली कमाई थी। उसी पैसे से वह घर लौटे। इसके बाद पेंटिंग-स्केच बनाने का सिलसिला चल पड़ा। उनकी बनाई पेंटिंग साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया तक गई हैं।

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