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संसद भवन की सुरक्षा फिर सवालों के घेरे में, 2001 में हमले के बाद किया गया था बदलाव; जानें क्या है हालिया व्यवस्था

2001 में संसद भवन पर जैश ए मोहम्मद के आतंकियों द्वारा हमले के बाद संसद भवन की सुरक्षा में बदलाव कर दिया गया था। पहले संसद भवन के गेट पर और अंदर भी दिल्ली पुलिस और अन्य पैरामिलिट्री के जवानों को ड्यूटी रहती थी। किंतु उस घटना के बाद संसद भवन की सुरक्षा के लिए अलग से जवानों की भर्ती की गई।

By Jagran NewsEdited By: Sonu SumanUpdated: Wed, 13 Dec 2023 06:55 PM (IST)
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संसद भवन की सुरक्षा तीन स्तरों पर की जाती है। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद भवन में बुधवार को दो लोग सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए संसद सदस्य के बीच पहुंच गए। आरोपियों ने टियर गैस कनस्तर का छिड़काव किया। हालांकि इससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इसने सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है। सबसे बड़ी बात है कि 2001 में संसद पर हमले की आज बरसी भी थी। इसके बाद भी सुरक्षा में चूक हुई। आखिर संसद की सुरक्षा की व्यवस्था किस तरह है? आइए इस बारे में जानते हैं।

2001 में संसद भवन पर जैश ए मोहम्मद के आतंकियों द्वारा हमले के बाद संसद भवन की सुरक्षा में बदलाव कर दिया गया था। पहले संसद भवन के गेट पर और अंदर भी दिल्ली पुलिस और अन्य पैरामिलिट्री के जवानों को ड्यूटी रहती थी। किंतु उस घटना के बाद संसद भवन की सुरक्षा के लिए अलग से जवानों की भर्ती की गई। 

वहीं संसद भवन के अंदर जाने वाले लोगों की सुरक्षा जांच की सारी जिम्मेदारी पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी फोर्स के जिम्मे ही होती है।

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तीन स्तरों पर होती है संसद की सुरक्षा व्यवस्था

संसद की सुरक्षा में जो बदलाव किए गए हैं, उसमें तीन स्तर बनाए गए हैं। पहला स्तर भवन के बाहर की है, जिसका जिम्मा दिल्ली पुलिस के पास होता है। दिल्ली पुलिस बाहरी सुरक्षा को देखती है। वहीं दूसरा स्तर पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप का होता है। वहीं तीसरा स्तर पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस का होता है। बता दें, पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस विशेषकर राज्यसभा और लोकसभा के लिए होता है। इसका काम आम लोगों और पत्रकारों की जांच करना और उन्हें नियंत्रित करना है। 

पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस की अहम भूमिका

पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस के जिम्मे ही सभी सांसदों की पहचान करना, उनके सामानों की जांच करना होता है। यही वह स्तर होता है, जहां आम लोगों की गहनता से जांच की जाती है। संदिग्ध वस्तुओं की जांच तो दिल्ली पुलिस करती है, लेकिन बाद में ये भी उसकी जांच पुनः करते हैं। वहीं पार्लियामेंट्री ड्यूटी ग्रुप संसद परिसर के अंदर की गतिविधियों पर नजर बनाए रखते हैं। 

घुसपैठियों के लिए थर्मल इमेजिंग सिस्टम

बात दें,इसी साल नई संसद का उद्घाटन हुआ है। इसी हिसाब से इसमें सुरक्षा के नवीनतम इंतजाम किए गए थे। घुसपैठियों को रोकने के लिए थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगाया गया था। यह सिस्टम दूर से ही संदिग्ध की पहचान कर लेता है। इसके अलावा किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए एक मजबूत फायर अलार्म सिस्टम भी स्थापित किया गया है। कुल मिलाकर संसद की सुरक्षा पूरी तरह चाक-चौबंध रखी गई है।

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