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Delhi NCR Inside Story: क्या है एनसीआर और क्यों इसे बनाया गया; पढ़िए इसकी कहानी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (UP SCR) बनेगा। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने यह फैसला लिया है। इसका मकसद प्रदेश की बढ़ती आबादी को समायोजित करना है। जानें क्‍या है दिल्‍ली एनसीआर

By Arijita SenEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 01:18 PM (IST)
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दिल्‍ली एनसीआर के बारे में जानें सब कुछ

नई दिल्‍ली, जागरण डिजिटल डेस्‍क। उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradseh) के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (Yogi Adityanath) ने प्रदेश की तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (UP SCR) बनाने का फैसला लिया है।

लखनऊ और कानपुर सहित इसमें सात जिले शामिल हो सकते हैं। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि इस संबंध में जल्द प्रस्ताव तैयार किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने लखनऊ मेट्रो रेल के दूसरे चरण का प्रस्ताव भी एक सप्ताह में तैयार करने के लिए भी कहा है।

इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें दिल्‍ली एनसीआर के बारे में अच्‍छे से जानना होगा। आइए देखते हैं कि आखिर दिल्‍ली एनसीआर क्‍या है? और इसे बनाने के पीछे क्‍या मकसद रहा है?

NCR का फुल फार्म क्‍या है

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) यानी एनसीआर में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के शहर शामिल हैं। दिल्ली से कई सौ किलोमीटर तक एनसीआर का विस्तार है। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, 1985 के नियोजन बोर्ड के कानून के मुताबिक, NCR में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुल 23 जिलों को शामिल किया गया है।

NCR बनाने के पीछे मकसद

अमूमन यह होता है कि लोग कामकाज की तलाश में या व्‍यवसाय के लिए किसी बड़े महागनर का रुख करते हैं। दिल्‍ली के साथ भी यही होता रहा। आजीविका के लिए यूपी, बिहार समेत देश के अन्‍य हिस्‍सों से लोग यहां आना शुरू करने लगे। ऐसे में दिल्‍ली के स्‍थायी निवासियों को घर, पानी, बिजली, काम जैसी कई बुनियादों सुविधाओं में कमी का सामना करना पड़ रहा था।

दिल्‍ली में लगातार बढ़ती आबादी के मद्देनजर और इसकी समस्‍या का समाधान करने के लिए 1962 में दिल्ली के लिए बने पहले मास्टर प्लान में यह सिफारिश की गई थी कि दिल्ली के एक बड़े क्षेत्र और इसके आसपास के शहरों को एक महानगरीय क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाए और इसी से NCR का विकास हुआ।

इसके बाद 1985 में नेशनल केपिटल रिजन प्लानिंग बोर्ड की शुरुआत की गई। इसमें इन क्षेत्रों के विकास के लिए योजना तैयार करने और इसके कार्यान्‍वयन से जुड़ी बातें शामिल की गईं ताकि NCR में शामिल किसी भी क्षेत्र का विकास अव्‍यवस्थित ढंग से न हो।

NCR में आने वाले क्षेत्र

हमें अब यह तो पता चल गया है कि NCR में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुल 23 जिले शामिल हैं, लेकिन ये कौन-कौन से हैं आइए एक बार इन पर नजर डालते हैं।

NCR में आने वाले उत्‍तर प्रदेश के जिले- बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर जिला (नोएडा और ग्रेटर नोएडा), गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़।

NCR में शामिल हरियाणा के जिले- करनाल, जिंद, महेंद्रगढ़, भिवानी, पलवल, चरखी, दादरी, गुड़गांव, फरीदाबाद, झज्‍जर, रेवाड़ी,, सोनीपत, पानीपत, रोहतक और नूंह।

NCR में आने वाले राजस्‍थान के जिले- अलवर और भरतपुर ये दोनों जिले एनसीआर क्षेत्र में शामिल हैं।

हरियाणा के पांच जिले अब होंगे NCR के दायरे से बाहर

मालूम हो कि हरियाणा में 22 जिले आते हैं और इनमें से 14 जिले दिल्‍ली-एनसीआर में शामिल हैं। अब इनमें से पांच जिलों को एनसीआर क्षेत्र से निकालने का प्रस्‍ताव तैयार कर लिया गया है। ये जिले करनाल, जिंद, भिवानी, महेंद्रगढ़, दादरी हैं।

क्‍यों होंगे बाहर

हरियाणा सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एनसीआर के दायरे में आने की वजह से इन जिलों को फायदा कम और नुकसान ज्‍यादा हो रहा है। प्रदेश सरकार के इस प्रस्‍ताव को एनसीआर प्‍लानिंग बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्‍तुत किया जाएगा। और अगर इसे मंजूरी मिल गई तो एनसीआर क्षेत्र में हरियाणा के 14 जिलों की संख्‍या अब घटकर नौ हो जाएगी।

एनसीआर के फायदे

एनसीआर में शामिल होने वाले क्षेत्रों का विकास अन्‍य जिलों व राज्‍यों के मुकाबले तेजी से होता है। यहां बुनियादी सुविधाएं बेहतर मिलती हैं, कनेक्टिविटी में आसानी होती है, काम करने के अवसर कहीं अधिक बढ़ जाते हैं, स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का भी लाभ मिलता है। विकास तेजी से होता है।

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