हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर, अब पराली से होगी आमदनी
ईपीसीए का कहना है कि पराली को किसान के खेत से लेकर यदि संयंत्र तक पहुंचाया जाए तो उसका फायदेमंद इस्तेमाल हो सकता है और इससे लोगों को प्रदूषण से भी काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Stubble Burning: हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अब फसल ही नहीं बल्कि कृषि अवशेष यानि पराली भी आमदनी का जरिया बनेगी। बड़ी-बड़ी कंपनियां पराली खरीदेंगी और इससे बायो सीएनजी तथा बिजली बनाएंगी। इन हालातों में पराली जलाने की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा और दिल्ली एनसीआर की हवा भी प्रदूषित नहीं होगी।
गौरतलब है कि पराली का धुआं दिल्ली एनसीआर के लिए नासूर बनता जा रहा है। हर साल सर्दियों की शुरुआत में अक्टूबर माह से ही इसका धुआं यहां की हवा को जहरीली बना देता है। हालांकि, केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं रोकने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना भी लगाया जाता है और उन्हें जागरूक करने के साथ -साथ पराली नहीं जलाने के लिए आर्थिक सहायता तथा संसाधन भी उपलब्ध कराए जाते हैं, लेकिन हर साल पराली जलाने के हजारों मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईपीसीए लगातार पराली संकट का स्थायी समाधान ढूंढ़ने के लिए प्रयासरत है। हर दो सप्ताह में उक्त राज्यों सहित कृषि मंत्रालय, इंडियन ऑयल कॉर्पाेरेशन, एनटीपीसी और दिल्ली के अधिकारियों संग भी बैठकें कर रहा है।
वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये हो रही इन बैठकों में शामिल ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल और सदस्य सुनीता नारायण का कहना है कि पराली को एक उपयोगी सामान (यूटिलिटी) में बदलने की जरूरत है। अगर पराली बिकने लगेगी तो फिर किसान इसे जलाएंगे नहीं। इंडियन ऑयल कॉर्पाेरेशन और एनटीपीसी पराली से एथनॉल निकालने की सहमति पहले ही दे चुके हैं। लिहाजा, ईपीसीए ने अब इसके लिए सभी सरकारों और विभागों को पूरी व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया है। इसके लिए पराली को खेतों से उठाने, गोदाम तैयार करने और संयंत्रों के जरिये उन्हें बिजली अथवा बायो-सीएनजी में तब्दील करने का एक पूरा ढांचा विकसित करने को कहा गया है। ईपीसीए का कहना है कि पराली को किसान के खेत से लेकर यदि संयंत्र तक पहुंचाया जाए तो उसका फायदेमंद इस्तेमाल भी हो सकता है और इससे लोगों को प्रदूषण से भी काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा।
भूरेलाल (अध्यक्ष, ईपीसीए) का कहना है कि पंजाब में 97 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है। अगर इसी प्रयोग को विस्तार दिया जाए तो पराली की समस्या से काफी हद तक मुक्ति पाई जा सकती है। दो सप्ताह बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। प्रयास है कि सर्दियों से पहले ही दिल्ली एनसीआर को पराली के धुएं से बचाने की ठोस व्यवस्था हो जाए।