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जानिए दिल्ली के किस मार्केट में गणपति बप्पा की मूर्तियों में रंग भर रहे कलाकार, कितने परिवार है जुड़े

महापर्व गणेश चतुर्थी 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। गणपति बप्पा विराजेंगे और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर उन्हें विदाई दी जाएगी। इसके लिए सरोजनी नगर स्थित सिंधिया पोट्री कुम्हार गली लोगों की पसंदीदा मार्केट बनी हुई है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 06 Sep 2021 01:52 PM (IST)
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सरोजनी नगर में मार्केट में उमड़ती है लोगों की भीड़, इसी के पास है कुम्हार गली।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। महापर्व गणेश चतुर्थी 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। इसी दिन गणपति बप्पा विराजेंगे और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर उन्हें विदाई दी जाएगी। महापर्व के लिए लोगों ने बाजार से गणपति बप्पा की प्रतिमाएं खरीदना शुरू कर दिया है। इसके लिए सरोजनी नगर स्थित सिंधिया पोट्री कुम्हार गली लोगों की पसंदीदा मार्केट बनी हुई है। यहां करीब 50 कलाकार गणपति बप्पा की मिट्टी की मूर्तियों में रंग भरते नजर आ जाते हैं। यहां मूर्तियों की करीब 50 दुकानें हैं। इन कलाकारों में ज्यादातर महिलाएं हैं जो कि कला के हुनर से मूर्तियों को जीवंत कर रहीं हैं। ये कलाकार बनी-बनाई मूर्तियों में यहां रंग भरते हैं और उन्हें सजाते हैं।

पिछले करीब आठ सालों से इस काम से जुड़ी सोनी ने बताया कि उनके पति प्रताप सिंह कोलकाता, पटना व जोधपुर व लखनऊ से मिट्टी की बनी हुई मूर्तियां मंगवाते हैं। फिर सोनी अपनी टीम के साथ उनमें रंग भरती हैं। सोनी मूर्तियों को रंगने में एक्सपर्ट तो हैं ही, उन्हें बेचने की कला भी खूब सीख गई हैं। सोनी ने बताया कि गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा व विश्वकर्मा पूजा आदि के अवसर पर यहां बड़ी तादाद में ग्राहक आते हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण अब बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं इसलिए इस बार छोटी मूर्तियां ही ज्यादा बिक रही हैं। करीब 150 कुम्हार परिवार इस गली में रहते हैं। इसमें ज्यादातर संयुक्त परिवार हैं।

सोनी ने बताया कि वह 12वीं पास हैं। यह काम उन्हें पहले से ही आता था, लेकिन उनकी शादी यहीं के एक परिवार में हुई तो उन्होंने काम को और बारीकी से सीख लिया। मूर्तियों की साज-सज्जा में एक्सपर्ट बबीता ने बताया कि इस काम से उनकी रोजी-रोटी तो चलती ही है, इसी बहाने उन्हें अपने धार्मिक रीति-रिवाज से जुड़ने का मौका भी मिलता है। बबीता ने बताया कि यहां पर पूरे साल विभिन्न त्योहारों-उत्सवों के दौरान हर देवी-देवता की प्रतिमा में रंग भरने का मौका मिलता है। कलाकार लाली ने बताया कि मूर्तियां तैयार करते समय वह लोग पर्यावरण का भी पूरा ध्यान रखते हैं। प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियां यहां नहीं बनाई जाती हैं। कलाकार पीहू व मन्नू ने बताया कि किसी भी त्योहार से करीब एक माह पहले से यहां प्रतिमाओं को सजाने का काम शुरू कर दिया जाता है।

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