Delhi Metro Man E Sreedharan: अनुशासन और ईमानदारी की मिसाल हैं ई. श्रीधरन, तोड़ डाला एक मिथक
ई-श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो रेल निगम के निदेशक रहे और इन डेढ़ दशक के दौरान दिल्ली मेट्रो न केवल उत्तर प्रदेश के दो शहरों (नोएडा और गाजियाबाद) बल्कि हरियाणा के भी दो प्रमुख शहरों गाजियाबाद और नोएडा की शान बनी।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली ही नहीं देश भर में शायद ही कोई बड़ी परियोजना समय से पूरी हो पाती है। स्थिति यह है कि बुनियादी ढांचे के विकास की परियोजनाओं को विभिन्न विभागों से स्वीकृति दिलाने और जमीन की तलाश में ही वर्षों समय निकल जाता है। लेकिन ''''मेट्रो मैन'''' के नाम से विख्यात पद्म विभूषण ई. श्रीधरन ने इस मिथक को तोड़ा।
भले ही मौजूदा समय में सभी राजनीतिक दल दिल्ली मेट्रो के विकास का श्रेय लेते रहे हैं। फिर भी असल मायने में दिल्ली मेट्रो के निर्माता श्रीधरन हैं जिन्होंने नौकरशाही व राजनीतिक दबाव को मेट्रो परियोजनाओं में बाधक नहीं बनने दिया। निर्धारित लक्ष्य से पहले मेट्रो को ट्रैक पर उतारकर सार्वजनिक परिवहन को नई गति दी, जो अब देश में महानगरीय परिवहन का सबसे बेहतर माध्यम बन चुका है।
मूलरूप से केरल के रहने वाले 92 वर्षीय श्रीधरन ने 65 साल की उम्र में महाप्रबंधक के रूप में दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) की कमान संभाली और मेट्रो का विकास अपनी शर्तों पर किया। वर्ष 1997 के मध्यम में बतौर प्रबंध निदेशक (एमडी) उन्होंने दिल्ली मेट्रो की कमान संभाली। अपने 16 साल के कार्यकाल में उन्होंने मेट्रो फेज एक व फेज दो की परियोजनाओं को पूरा कराया।
इसके अलावा 31 दिसंबर 2011 को दिल्ली मेट्रो से सेवानिवृत होने से पहले उसी साल सितंबर में फेज तीन की परियोजनाओं को सरकार से स्वीकृति भी दिलाई। फेज एक की परियोजनाओं पर अक्टूबर 1998 में काम शुरू हुआ था। 10 साल में इसे पूरा करना था। लेकिन ई श्रीधरन के कुशल नेतृत्व के कारण निर्धारित लक्ष्य से करीब दो साल पहले निर्माण पूरा हो गया।
डीएमआरसी के अधिकारी बताते हैं कि उन्होंने राष्ट्रमंडल खेल 2010 से पहले दिल्ली में मेट्रो का बड़ा नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य रखा था। उनके कार्यकाल में ब्लू लाइन के निर्माण के दौरान लक्ष्मी नगर व वायलेट लाइन के निर्माण दौरान जमरूदपुर में दो बड़ी घटनाएं हुईं। फिर भी परियोजनाएं प्रभावित नहीं हुई और राष्ट्रमंडल खेल 2010 के ज्यादातर वेन्यू तक मेट्रो की पहुंच सुनिश्चित हो गई थी।
श्रीमद्भागवत गीता को मानते हैं प्रबंधन का आधार
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के अधिकारी बताते हैं कि वह गीता को एक धार्मिक ग्रंथ भर नहीं, बल्कि प्रबंधन का आधार मानकर उसका अनुसरण करते रहे हैं। '25 मैनेजमेंट स्ट्रैटजी फार दिल्ली मेट्रो: द श्रीधरन वे' किताब लिखने वाले डीएमआरसी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (जनसंपर्क) अनुज दयाल बताते हैं कि श्रीधरन जब दिल्ली मेट्रो के महाप्रबंधक थे तब भी हर रोज गीता पढ़ा करते थे। हर रोज समय से सुबह नौ बजे दफ्तर पहुंच जाते थे। शाम को निर्धारित समय से ज्यादा दफ्तर में बैठते नहीं थे। जब उनकी उम्र 79 साल थी तब भी वे 20 से 25 मीटर की गहराई में बनने वाली सुरंगों में निर्माण कार्य के निरीक्षण लिए उतर जाया करते थे। उन्होंने मेट्रो को समयबद्धता, पेशेवर अंदाज, कार्य के प्रति निष्ठा व पारदर्शिता का मूलमंत्र दिया है।
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सरकार द्वारा शर्त मानने पर एमडी बनने को हुए तैयार
तात्कालीन दिल्ली सरकार ने जब श्रीधरन से एमडी का पद संभालने के लिए कहा था तो उन्होंने सरकार के सामने यह शर्त रखी कि वे तभी एमडी का पद संभालेंगे जब उनके कामकाज में दखल नहीं होगा। मेट्रो की टीम गठित करने के लिए पूरी आजादी होनी चाहिए।
इन शर्तों को स्वीकार किए जाने पर ही उन्होंने एमडी का पद स्वीकार किया। इसके बाद राजनीतिक ²ष्टि से तैयार किए गए मेट्रो कारिडोर की योजनाओं को रद कराकर घनी आबादी वाले इलाकों से मेट्रो कारिडोर बनाने का फैसला हुआ। मेट्रो में अधिकारियों व कर्मचारियों के चयन के लिए अलग पारदर्शी प्रक्रिया बनाई। टेंडर प्रक्रिया भी महज 21 दिन में पूरी करने की नीति अपनाई, जिससे तेज गति से कार्य सुनिश्चित हुआ।
जमीन की कमी परियोजनाओं के आड़े नहीं आने दी, उनके सुझाव पर शुरू हुआ स्टैंडर्ड गेज के मेट्रो ट्रैक का निर्माण
रेलवे बोर्ड की सलाह पर मंत्री समूह ने ब्राड गेज का मेट्रो ट्रैक बनाने की ही स्वीकृति दी थी। जबकि श्रीधरन स्टैंडर्ड गेज का मेट्रो ट्रैक बनाना चाहते थे। रेलवे बोर्ड की सलाह माने जाने पर उन्होंने इस्तीफा देने की चेतावनी दी। इसके बाद स्टैंडर्ड गेज का मेट्रो ट्रैक बनाने की स्वीकृति दी गई। इसका फायदा यह है कि घनी आबादी वाले इलाकों में अधिक घुमावदार कारिडोर पर भी मेट्रो रफ्तार भर सकती है। अब देशभर में इसी तरह से मेट्रो ट्रैक का निर्माण हो रहा है।
- वर्तमान में दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का कुल नेटवर्क- 391 किलोमीटर व 286 स्टेशन
- फेज एक में दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क- 65 किलोमीटर, 59 स्टेशन
- फेज दो- करीब 125 किलोमीटर, 86 स्टेशनफोज तीन- करीब 160 किलोमीटर, 109 स्टेशन