झुक रही है फतेहपुरी मस्जिद की मीनार, शाहजहां ने अपनी बेगम के नाम पर कराया था निर्माण
यह मस्जिद 374 साल पुरानी है। मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम फतेहपुरी के नाम पर इस मस्जिद का निर्माण 1645 में कराया था।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 20 Nov 2019 10:25 AM (IST)
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। लालकिला से फतेहपुरी मस्जिद, यही चांदनी चौक का वजूद है, पर फतेहपुरी मस्जिद बदहाली के अंधेरे में अंतिम सांसें गिन रही है। सदियों पहले बड़ी शिद्दत से तराशे गए खूबसूरत लाल पत्थरों से बनी इस मस्जिद की एक मीनार झुकती जा रही है। वजू खाने की छत बरसात में झरना बन जाती है।
शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद कहते हैं कि बस इसकी तस्वीर दुरुस्त की जाए, ताकि जब चांदनी चौक पुनर्विकास के बाद चमकदार होकर सामने आए तो फतेहपुरी मस्जिद उसपर दाग की तरह न लगे। चांदनी चौक को चमकाने के लिए शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम (एसआरडीसी) द्वारा काम कराया जा रहा है।यह मस्जिद 374 साल पुरानी है। मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम फतेहपुरी के नाम पर इस मस्जिद का निर्माण 1645 में कराया था। लालकिला और जामा मस्जिद की तरह इसका निर्माण भी लाल पत्थरों से किया गया है। इसकी देखरेख का जिम्मा दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास है। यह देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह ऐतिहासिक मस्जिद भी अंग्रेजों के कहर से नहीं बच पाई थी। अंग्रेजों ने इसपर कब्जा कर इसे छावनी में तब्दील कर दिया था। मस्जिद परिसर में घोड़े बांधे जाते थे। 1875 में यह आजाद हुई। तब से यह मस्जिद के रूप में आबाद है, लेकिन रखरखाव के अभाव में खराब स्थिति में पहुंच गई है। 2004 में लोगों की मदद से जमीन के पत्थर बदले गए।मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया कि कई बार दिल्ली वक्फ बोर्ड को मरम्मत के लिए पत्र लिखा गया। इसी तरह अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तथा केंद्रीय वक्फ परिषद से भी पत्रचार हुआ है। वह कहते हैं कि मस्जिद की मरम्मत कोई भी कराए पर होनी चाहिए।
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