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जानिये- कौन हैं पूर्णिमा तिवारी, जो इंटरनेट संबंधी नीतियों पर UN में करेंगीं देश का प्रतिनिधित्व

Purnima Tiwari पूर्णिमा तिवारी संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पोलैंड के केटोवाइस शहर में छह से 10 दिसंबर के बीच आयोजित होने वाले 16वें यूनाइटेड नेशंस गवर्नेंस फोरम 2021 में बतौर युवा राजदूत भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 07 Oct 2021 10:40 AM (IST)
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जानिये- कौन हैं पूर्णिमा तिवारी, जो इंटरनेट संबंधी नीतियों पर UN में करेंगीं देश का प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। अपनी शिक्षा और मेहनत के बल पर बेटियां हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं। ये अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व कर न सिर्फ अपने अभिभावकों, बल्कि देश का भी मान बढ़ा रही हैं। दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा पूर्णिमा तिवारी भी इन्हीं में से एक हैं। पूर्णिमा संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पोलैंड के केटोवाइस शहर में छह से 10 दिसंबर के बीच आयोजित होने वाले 16वें यूनाइटेड नेशंस गवर्नेंस फोरम, 2021 में बतौर युवा राजदूत भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

पोलैंड में यूएन इंटरनेट गवर्नेस फोरम के लिए 193 देशों में से चयनित 30 लोगों में हैं शामिल

इस दौरान पूर्णिमा तिवारी इंटरनेट यूनाइटेड विषय पर इंटरनेट की समाज में भूमिका और इससे संबंधित नीतियों को लेकर अपने विचार सभी के समक्ष रखेंगी। उनके मुताबिक इस फोरम का हिस्सा बनने के लिए 193 देशों के लोग आगे आए थे, जिनमें से सिर्फ 30 लोगों का ही चयन किया गया।

पूर्णिमा ने किया था सरकार की योजनाओं का जिक्र

पूर्णिमा बताती हैं कि इस फोरम के लिए तीन से चार राउंड हुए थे। अंतिम राउंड में इंटरनेट गवर्नेस पर कुल आठ पन्ने लिखने थे। इस राउंड में उन्होंने भारत में इंटरनेट की उपलब्धता, जमीनी स्तर पर इंटरनेट को लेकर सरकार की ओर से शुरू की गई परियोजनाओं, तकनीक, निगरानी और गोपनीयता के साथ इंटरनेट गवर्नेंस के क्षेत्र में और कितना विस्तार करने की जरूरत है, जैसे पहलुओं का उल्लेख किया था।

डिजिटल मीडिया साक्षरता को लेकर युवाओं को कर रही हैं जागरूक

पूर्णिमा के मुताबिक हम इंटरनेट युग में जी रहे हैं, जहां बस एक क्लिक पर हम दुनिया के किसी एक कोने से दूसरे कोने पर संपर्क साध सकते हैं। हमें इस बात के लिए खुद पर गर्व होना चाहिए कि हम इंटरनेट युग की नीतियों को लिखने वाली पीढ़ी हैं, लेकिन इन नीतियों को लिखने से पहले इंटरनेट का ज्ञान होना भी जरूरी है। वे कहती हैं कि ज्यादातर युवाओं के लिए इंटरनेट का मतलब केवल फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप और गूगल ही है। उन्हें पता ही नहीं कि कैसे इंटरनेट मीडिया एक रुपये से भी कम में उनका डाटा निजी कंपनियों को बेच देता है। ऐसे में पूर्णिमा ने इंटरनेट गवर्नेस को बढ़ावा देने के लिए युवाओं, स्कूली छात्रों और कुछ प्रमुख समुदायों के बीच डिजिटल मीडिया साक्षरता को लेकर अभियान छेड़ा है। उनका मकसद है देश के हर व्यक्ति को इंटरनेट की सुविधा मिले और वो डिजिटल मीडिया के प्रयोग को लेकर जागरूक हो। उसे पता हो कि वह किस प्लेटफार्म को अपना क्या डाटा दे रहा है और जो डाटा उसे देना उचित नहीं लगता, उसकी अनुमति न देना भी सीखे।

छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं पूर्णिमा तिवारी

पूर्णिमा मूलत: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की रहने वाली हैं। यहां से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि से जनसंचार में स्नातक और फिर जामिया मिलिया इस्लामिया के सेंटर फार कल्चर से मीडिया गवर्नेंस में एमए किया। वे कहती हैं कि उनको शुरू से ही किताबें पढ़ना, भाषण व वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना पसंद है। उनके मुताबिक एमसीएनयूजेसी के प्रोफेसरों ने सामान्य रूप से सार्वजनिक नीति और विशेष रूप से मीडिया नीति और शासन के प्रति उनके विचारों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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