जानिए गुरूद्वारे का इतिहास जहां पहुंचकर पीएम मोदी ने टेका मत्था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचकर मत्था टेका। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। गुरु जी का शनिवार को शहीदी दिवस था। प्रधानमंत्री ने रकाबगंज गुरुद्वारा जाने की तस्वीरें टि्वटर पर जारी की।
By Vinay TiwariEdited By: Updated: Sun, 20 Dec 2020 02:22 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद भवन के नजदीक स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब का निर्माण वर्ष 1783 में हुआ था। इस पवित्र स्थान पर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था। गुरु जी का जन्म 1 अप्रैल,1621 में अमृतसर में हुआ था। वर्ष 1675 में मुगल शासक औरंगजेब की सेना से लड़ते हुए चांदनी चौक में शहीद हुए थे। उनकी शहादत वाले स्थान पर गुरुद्वारा शीशगंज साहिब स्थित है। औरंगजेब ने गुरु जी को इस्लाम धर्म अपनाने को कहा और इन्कार करने पर उनका सिर कलम करा दिया था। इस गुरूद्वारे का ऐतिहासिक महत्व है।
उनके शिष्य भाई जैता जी किसी तरह से उनका सिर लेकर चक्क नानकी ले गए जिसे आनंदपुर साहिब के नाम से जाना जाता है। औरंगजेब ने गुरु जी का शरीर देने से इन्कार करने के साथ ही दाह संस्कार करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। गुरुजी के एक शिष्य लखी शाह बंजारा ने किसी तरह से गुरुजी के शरीर को अंधेरे में लेकर अपने घर पहुंचा और अंतिम संस्कार करने के लिए घर को जला दिया। वर्ष 1783 में बाबा बघेल सिंह के दिल्ली फतेह करने के बाद इस स्थान पर गुरुद्वारा बनाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह अचानक गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचकर मत्था टेका। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। गुरु जी का शनिवार को शहीदी दिवस था। प्रधानमंत्री ने रकाबगंज गुरुद्वारा जाने की तस्वीरें टि्वटर पर जारी की। उन्होंने गुरुमुखी में संदेश भी ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि –आज सुबह मैंने ऐतिहासिक गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में जाकर प्रार्थना की, यहां पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के पवित्र शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था। मैं बेहद आनंद महसूस कर रहा हूं।
विश्व के लाखों लोगों की तरह मैं भी गुरु तेग बहादुर जी के करुणा और दया से प्रेरित हूं। यह गुरुजी की विशेष कृपा है कि हमारी सरकार के कार्यकाल में उनका 400 वां प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक मौके पर गुरु तेग बहादुर जी के आदर्शों को याद करते हुए उनका प्रकाश पर्व मनाएं। प्रधानमंत्री का यह दौरा अचानक हुआ था। कड़ाके की ठंड के बीच वो आम संगत की तरह गुरुद्वारा पहुंचे और वहां मत्था टेका। उनके गुरुद्वारा पहुंचने के दौरान किसी तरह का विशेष पुलिस बंदोबस्त या यातायात अवरोधक नहीं लगाए गए थे। इस समय जबकि सिंघु बार्डर, टीकरी बार्डर सहित दिल्ली की अन्य सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है प्रधानमंत्री का गुरुद्वारा पहुंचकर मत्था टेकना विशेष महत्व रखता है। कृषि कानूनो के विरोध में प्रदर्शन करने वाले अधिकांश किसान पंजाब के सिख हैं। इस आंदोलन के बहाने कुछ लोग हिंदू व सिख के बीच खाई पैदा करने की भी कोशिश कर रहे हैं।
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