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'थप्‍पड़कांड' का पूरा सच, पहले रची गई साजिश, फिर की गई मुख्य सचिव की पिटाई!

पुलिस को शक है कि पहले मुख्यमंत्री आवास में योजना बनाई गई और फिर कैमरे के साथ छेड़छाड़ करने के बाद मुख्य सचिव को आधी रात में बुलाकर उनके साथ मारपीट की गई।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 25 Feb 2018 09:38 AM (IST)
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'थप्‍पड़कांड' का पूरा सच, पहले रची गई साजिश, फिर की गई मुख्य सचिव की पिटाई!

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की पिटाई के मामले में अब तक की जांच से पता चलता है यह पूर्व नियोजित था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास में घटना वाले कमरे की जांच करने पहुंची पुलिस को वहां हैरान करने वाली जानकारी मिली है। यहां लगे सभी 14 सीसीटीवी कैमरे को समय से 40 मिनट 42 सेकेंड पीछे कर दिया गया था।

डीवीआर में पूरे एक माह की रिकार्डिंग

पुलिस को शक है कि पहले मुख्यमंत्री आवास में योजना बनाई गई और फिर कैमरे के साथ छेड़छाड़ करने के बाद मुख्य सचिव को आधी रात में बुलाकर उनके साथ मारपीट की गई। पुलिस मुख्यमंत्री आवास से कैमरे का एक डीवीआर जब्त कर जांच के लिए अपने साथ ले गई है। उस डीवीआर में पूरे एक माह की रिकार्डिंग है।

कैमरे के डीवीआर में छेड़छाड़ की गई है

एडिशनल डीसीपी उत्तरी जिला हरेंद्र कुमार का कहना है कि उन्हें शक है कि कैमरे के डीवीआर में छेड़छाड़ की गई है। जांच में इसकी पुष्टि होने पर केस में सबूत मिटाने की धारा 201 भी जोड़ दी जाएगी। केजरीवाल के आवास में कुल 21 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिसमें से महत्वपूर्ण जगहों पर लगे 7 कैमरे बंद पाए गए। वहींं, मुख्यमंत्री आवास के गेट पर लगे सबसे अहम मूविंग कैमरे के खराब पाए जाने के मामले ने पुलिस को और हैरान कर दिया है।

साजिश रचने के बाद वारदात को अंजाम दिया गया

पुलिस यह भी जांच करेगी कि उक्त कैमरे कब से बंद पड़े हैं। क्योंकि यह भी संभव है घटना को अंजाम देने के लिए उक्त कैमरे को खराब कर दिया गया हो। घटना के पहले ही दिन से पुलिस को शक था कि साजिश रचने के बाद वारदात को अंजाम दिया गया है। इसलिए केस में आपराधिक साजिश रचने की धारा 120बी लगा दी गई।

केजरीवाल अंदर मौजूद थे

हरेंद्र कुमार का कहना है कि घटना की गंभीरता को देखते हुए 20 फरवरी को ही पुलिस ने मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क कर जांच के लिए डीवीआर देने की मांग की थी। मगर न तो केजरीवाल और न ही उनके कार्यालय से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर की। इसलिए शुक्रवार को पुलिस को डीवीआर लेने वहां आना पड़ा। जिस वक्त जांच की जा रही थी केजरीवाल अंदर मौजूद थे। कुछ देर बाद जब वो बाहर निकले तो मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्हें खुशी है कि जांच हो रही है।

आ रही है साजिश की बू

घटना के अगले दिन 20 फरवरी को मीडिया में जब यह मामला तूल पकड़ा तब मुख्यमंत्री आवास से एक फुटेज लीक कर यह दर्शाने की कोशिश की गई कि मुख्य सचिव के आरोप झूठे हैं। दरअसल वह फुटेज रात 12 बजे की ही थी। कैमरे का समय 40 मिनट 42 सेकेंड पीछे सेट होने के कारण आरोप के समय में अंतर था। मुख्यमंत्री आवास से कुछ विश्वस्त चैनलकर्मियों को ही यह फुटेज उपलब्ध कराई गई। इस फुटेज में दिख रहा है कि घटना के बाद अंशु प्रकाश पैदल ही बाहर निकल गए। पीछे से उनकी कार जब बाहर आई तब वह बैठकर वहां से भागे।

पहले मांगी थी पांच दिन की फुटेज

पहले पुलिस ने घटना से पांच दिन पहले की फुटेज देने की मांग की थी। नहीं देने पर भारी तादात में पुलिसकर्मियों ने शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री आवास पहुंच कर एक महीने की रिकॉर्डिंग वाले डीवीआर को जब्त कर लिया। 11.40 बजे हरेंद्र कुमार व एसीपी सिविल लाइंस अशोक त्यागी के नेतृत्व में करीब 50 पुलिसकर्मी सीएम आवास पहुंचे। साथ में फोरेंसिक की टीम भी थी। थानाध्यक्ष सिविल लाइंस ने अपने नाम से सीएम आवास के कर्मचारियों को लिखित में जांच करने की सूचना दी। कहीं कोई आरोप न लगे कि बगैर पूछे तलाशी अभियान की वीडियो रिकार्डिंग कराई गई।

वीडियोग्राफी कराई गई

दिल्ली पुलिस की तरफ से तीन व फोरेंसिक विभाग की तरफ से भी तीन वीडियो कैमरे की टीम साथ गई थी। एक-एक जगह की वीडियोग्राफी कराई गई। जहां से कैमरे हटे हटे थे उस स्थान के पेंट की जांच की जा रही थी। सीएम आवास में मौजूद कर्मचारियों से जब पूछताछ की जा रही थी उसी दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं ने ट्वीट कर यह आरोप लगाने शुरू कर दिए कि पुलिस प्रताड़ित करने के मकसद से जांच कर रही है। ईंट, पेंट व प्लास्टर के बारे में पूछताछ कर रही है। दोपहर 1.36 बजे पुलिस टीम जांच कर बाहर निकली। करीब दो घंटे तक मुख्यमंत्री आवास की जांच की गई। पुलिसकर्मियों ने घटनाक्रम का रिक्रिएशन किया। 

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