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दिल्ली में 30 हजार से अधिक लोगों की जान खतरे में, जानिये- इसकी सबसे बड़ी वजह

आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की संख्या 31 हजार को भी पार कर गई है। बुजुर्गों के लिए दिल्ली पुलिस ने कई योजनाएं चला रखी हैं, लेकिन अपराध रुक नहीं रहे।

By Edited By: Updated: Fri, 26 Oct 2018 10:49 AM (IST)
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दिल्ली में 30 हजार से अधिक लोगों की जान खतरे में, जानिये- इसकी सबसे बड़ी वजह
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। बुजुर्गों के लिए दिल्ली पुलिस ने कई योजनाएं चला रखी हैं। न केवल उनकी हिफाजत, बल्कि दवा आदि का प्रबंध भी पुलिस की ओर से किया जाता है। सुरक्षा के तमाम इंतजामों के बावजूद अपराधी उन्हें आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। पुलिस दावा करती है कि अकेले रहने वाले बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहती है। उनसे लगातार संपर्क किया जाता है। उन्हें फोन किया जाता है और उनकी मदद के संबंध में जानकारी ली जाती है। बीट कॉन्सटेबल नियमित रूप से उनके संपर्क में रहते हैं, लेकिन ये दावे हवा-हवाई हैं।

बता दें कि पुलिस हर साल अपने आंकड़े दिखाने के लिए 3-4 हजार नए बुजुर्गों का पंजीकरण करती है। वर्ष 2017 में करीब 4000 नए पंजीकरण किए गए। पहचान पत्र भी दिए गए। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की संख्या करीब 31 हजार हो गई है।

दिल्ली पुलिस बुजुर्गों के लिए जितनी योजनाएं चलाने का दावा करती है, यदि उन पर सही में अमल किया जाए तो अपराधी उन्हें निशाना नहीं बना पाएंगे। बीट ऑफिसर नियमित रूप से बुजुर्गों का हालचाल ले तो लूटपाट जैसी घटनाएं नहीं होंगी।

दरअसल, इसके पीछे बड़ा कारण यह भी है कि दिल्ली पुलिस में कर्मचारियों की कमी है। बीट ऑफिसर थाने के ही नियमित काम में इतने व्यस्त होते हैं कि बुजुर्गों पर ध्यान नहीं रख पाते।

इस वर्ष सलाना प्रेस वार्ता में पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि बुजुर्गों के प्रति जघन्य अपराध में कमी आई है। वर्ष 2016 में जहां बुजुर्गों के साथ अलग-अलग तरह के 149 अपराध हुए थे, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 122 पर सिमट गया। बुजुर्गों की हत्या जैसे अपराध भी 2016 के मुकाबले कम हुए।

वार्षिक प्रेस वार्ता में पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने बुजुर्गों की सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए कई कदम उठाने के दावे किए थे। दावा किया गया था कि दिल्ली में रह रहे 31 हजार बुजुर्गों के सुरक्षा प्रबंध की जांच की गई। बीट ऑफिसर द्वारा 5 लाख 58 हजार से ज्यादा बार बुजुर्गों के घरों का दौरा करने की बात कही गई थी।

पुलिसकर्मियों द्वारा टेलीफोन से 3 लाख 92 हजार से ज्यादा बार बुजुर्गों से संपर्क साधने की बात भी कही गई थी। बताया गया था कि सीनियर सिटिजन मोबाइल एप से बुजुर्ग असानी से दिल्ली पुलिस से जुड़ रहे हैं। एप में सुरक्षा बटन भी है, जिसके दबाते ही इमरजेंसी कॉल सीनियर सिटिजन हेल्पलाइन नंबर पर चली जाएगी। बाद में इस संबंध में एसएमएस द्वारा थाने के एसएचओ और बीट ऑफिसर को भी सूचनाएं भेजी जाती हैं। छह हजार से ज्यादा बुजुर्ग एप को डाउनलोड कर चुके हैं। बीट ऑफिसर को बुजुर्ग के घर पर पहुंचकर सेल्फी मोबाइल एप पर अपलोड करनी होती है। एप पर एसएचओ सहित वरिष्ठ अधिकारियों की नजर रहती है। इन सब दावों के बावजूद बुजुर्गों के साथ वारदात हो रही हैं।

  • 17 सितंबर, 2017- छावला इलाके में वसंती देवी की चाकू घोंपकर हत्या
  • 21 जुलाई, 2017- मयूर विहार फेज-वन के समाचार अपार्टमेंट में बुजुर्ग महिला की हत्या
  • 26 नवंबर 2017- सरोजनी नगर के त्रिवेणी नगर में पूर्व दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी लूसी की हत्या
  • 04 नवंबर 2017- अंबेडकर नगर में राम लाल नामक बुजुर्ग की चाकू घोंपकर हत्या
  • 24 जून 2017- जगतपुरी इलाके में बुजुर्ग की चाकू घोंपकर हत्या
  • 07 सितंबर 2017- ख्याला इलाके में लक्ष्मी देवी की चाकू घोंपकर हत्या
  • 02 नवंबर 2017- अशोक विहार इलाके में दंपति रामलाल और उनकी पत्नी कौशल की हत्या 
एक संगीत की शिक्षक और दूसरी लाइब्रेरियन के पद से हुई थीं सेवानिवृत्त्त
पश्चिम विहार इलाके में बृहस्पतिवार को दो बुजुर्ग बहनों की हत्या कर दी गई। मृतकों की पहचान ऊषा (75) व आशा पाठक (70) के रूप में हुई है। वारदात के पीछे किसी जानकार का हाथ होने और लूट की आशंका जताई जा रही है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखवा दिया है। पुलिस प्रॉपर्टी विवाद, लूट सहित कई एंगल से मामले की जांच कर रही है।

दोनों बहनें 35 साल से पश्चिम विहार के ए-6 स्थित एक सोसायटी में तीसरी मंजिल पर बने फ्लैट में रहती थीं। आशा हापुड़ (उत्तर प्रदेश) के एक कॉलेज से संगीत की शिक्षक और ऊषा कृषि भवन से लाइब्रेरियन के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि दोनों अविवाहित थीं और साथ ही रहती थीं। इस बात की पुष्टि परिजनों से बात करने के बाद ही हो पाएगी।

पुलिस के अनुसार, गुरुवार दोपहर पड़ोस में रहने वाले एक शख्स ने देखा कि उनके फ्लैट का दरवाजा खुला हुआ है। उन्होंने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वह घर के अंदर गए तो दोनों बहनें मृत मिलीं। उन्होंने घटना की सूचना पुलिस को दी। फ्लैट के एक हिस्से में ऊषा और दूसरे हिस्से में आशा का शव था। ऊषा की गला घोंटकर हत्या की गई और आशा के सिर पर भारी वस्तु से वार किया गया। पुलिस ने बताया कि घर की हालत देखकर लग रहा है कि किसी जानकार ने वारदात को अंजाम दिया है।

हत्या के बाद आरोपित ने पूरे घर की तलाशी ली है, क्योंकि सामान अस्त-व्यस्त पड़ा है। अधिकारियों ने बताया कि घर से क्या गायब हुआ है अभी यह बताना मुश्किल है। हत्यारे या तो लूट के इरादे से आए थे या फिर किसी अन्य चीज की तलाश थी। मामले की जांच के लिए कई टीमें गठित की जाएंगी। पुलिस इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है।


कोई गिरोह है जो बुजुर्गों को बना रहा निशाना
पश्चिम विहार इलाके में कोई ऐसा गिरोह है जो घर में अकेले रह रहे बुजुर्गों को निशाना बना रहा है। बुजुर्ग बहनों की हत्या से पहले भी यहां इस तरह की वारदात हो चुकी है। मियांवाली नगर थाना क्षेत्र में 22 सितंबर को बुजुर्ग महिला व उनकी दिव्यांग बेटी की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में भी आरोपितों का घर में प्रवेश दोस्ताना माहौल में हुआ था। एक की हत्या गला घोंटकर और दूसरी की हत्या चाकू से गला रेतकर की गई थी। इस मामले में पुलिस के हाथ अभी पूरी तरह खाली हैं। कुछ दिन पहले मियांवाली इलाके में ही एक कोठी के अंदर बदमाशों ने बुजुर्ग को बंधक बनाकर लूटपाट की थी। इस तरह की वारदात पुलिस की मुस्तैदी पर सवालिया निशान लगा रही हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो मियांवाली में दो महिलाओं की हत्या और पश्चिम विहार में दोहरे हत्याकांड में आरोपितों के तार जुड़े हुए हो सकते हैं। दोनों ही जगहों पर केवल महिलाएं रहती थीं।

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