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जानिए क्या है साल 2010 में बनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड से गांधी परिवार का नाता, किसने उठाया था मामला?

इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 19 दिसंबर 2015 को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों को नियमित जमानत दी थी। आयकर विभाग और ईडी ने भी संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Thu, 02 Jun 2022 01:18 PM (IST)
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कांग्रेस आलाकमान पर हेराफेरी का आरोप लगाते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में शिकायत दी थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्ष 2010 में बनाई गई कंपनी यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बीते एक दशक से विवादों के घेरे में है और इस विवाद में गांधी परिवार से लेकर कई बड़े नाम जांच एजेंसी के घेरे में हैं। इस मामले को सबसे पहले साल 2012 में राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर हेराफेरी का आरोप लगाते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में शिकायत दी थी।

इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 19 दिसंबर 2015 को कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों को नियमित जमानत दी थी। आयकर विभाग और ईडी ने भी संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी। वर्ष 2014 में दर्ज हुए मामले में ईडी ने वर्ष 2019 में 64 करोड़ रुपये की संपत्ति भी सीज की थी।

निचली अदालत में यह है मामला

एक नवंबर 2012 को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दायर किया था। इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आरोपित बनाए गए। मोतीलाल वोरा व आस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है। अब यह मामला वर्तमान में राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत में चल रहा है। आरोप है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने एसोसिएटेड पत्रिकाओं के 90.25 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार प्राप्त किया, जबकि इस अधिकार को पाने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची कांग्रेस

आयकर विभाग द्वारा पुनर्मूल्यांकन नोटिस को चुनौती देने वाली सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य की याचिकाओं पर वर्तमान में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में एक याचिका हाई कोर्ट द्वारा नौ सितंबर 2018 को खारिज कर दी थी जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां कोर्ट ने आयकर विभाग की जांच को जारी रखा था और जांच पूरी होने तक कोई भी आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया था।

ईडी ने स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज किया मुकदमा

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दाखिल मुकदमे में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए साल 2014 में एक मामला दर्ज किया। ईडी ने सिर्फ यह देखने के लिए जांच शुरू की थी कि इस मामले में क्या कोई मनी लांड्रिंग हुई है? इस दौरान साल 2019 में ईडी ने केस से जुड़ी 64 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली थीं।

यह है हेराल्ड हाउस विवाद

कोर्ट में दाखिल अपनी निजी आपराधिक शिकायत में सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए गलत तरीके से एक निष्कि्रय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को अधिग्रहित किया। इसमें यंग इंडिया ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया। यह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर कांग्रेस का बकाया था, इसे अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दिया गया था। स्वामी का आरोप है यह राशि भी कांग्रेस नेताओं ने पार्टी फंड से दी थी, जोकि अवैध है।

क्रोनोलाजी-

एक नवंबर 2012- पटियाला हाउस कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया।

- 26 जून 2014- महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत सभी आरोपितों के खिलाफ समन जारी किया।

- एक अगस्त 2014- ईडी ने इस मामले में संज्ञान लिया और मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया।

- 19 दिसंबर 2015- इस केस में सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपितों को दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी।2016- सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को रद करने से इन्कार किया। हालांकि कोर्ट ने सभी आरोपितों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी।

9 सितंबर 2018- दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सोनिया और राहुल को करारा झटका दिया था। कोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी, लेकिन 4 दिसंबर 2018 को कोर्ट ने कहा कि आयकर की जांच जारी रहेगी।

- मई 2019- इस केस से जुड़ी 64 करोड़ की संपत्ति को ईडी ने जब्त किया।

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