Holika Dahan 2022: दिल्ली और नोएडा समेत कई शहरों में 9 बजे के बाद किया गया होलिका दहन
Holika Dahan 2022 Timing Shubh मुहूर्त जानकारों का कहना था कि देश की राजधानी दिल्ली नोएडा गुरुग्राम फरीदाबाद जयपुर रेवाड़ी पटना समेत कई जगहों पर लोगों ने 9 बजकर 6 मिनट के बाद होलिका दहन किया।
By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 17 Mar 2022 10:43 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। होली का त्योहार दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में शुक्रवार को मनाया जाएगा, लेकिन उससे पहले बृहस्पतिवार को दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में होलिका दहन किया गया। होलिका दहन का एक मुहूर्त 6 बजकर 30 मिनट से शुरू हुआ और 8 बजे खत्म हो गया, जबकि दूसरा मुहुर्त 9 बजे के बाद शुरू हुआ, जो 10 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हुआ। दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम समेत कई शहरों में 9 बजे के बाद होलिका दहन किया गया।
गौरतलब है कि इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त दो चरणों में हो रहा है। पहला चरण बृहस्पतिवार शाम 6.30 से शुरू हुआ जो 8 बजे समाप्त हो गया। वहीं, शुभ मुहूर्त का दूसरा चरण रात 9.08 से शुरू होगा और फिर यह 10.08 तक रहेगा। 9 बजे के बाद भी होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त बताया गया है। जानकारों की मानें तो इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त बृहस्पतिवार रात को 9 बजकर 6 मिनट से शुरू हुआ और फिर 10 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हुआ। दिल्ली-एनसीआर में ज्यादातर लोगों ने इसी समय होलिका दहन किया। इस बार होलिका दहन भद्रा के साथ किया जाएगा।
दिल्ली में चांदनी चौक स्थित श्रीसत्यनारायण मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रमेश चंद शर्मा ने बताया कि वैसे तो बृहस्पतिवार को दोपहर 1.31 मिनट से भद्रकाल शुरू हुआ जो रात्रि 1.13 तक रहेगा, जिसमें शुभ कार्य नहीं होते हैं। इस तरह की असमंजस वाली स्थिति में धर्म सिंधु के अनुसार तब मुखकाल की जगह पूछकाल के हिसाब से गणना की जाती है। उसके अनुसार बृहस्पतिवार को शाम 6.30 से 8 बजे तक तथा रात्रि 9.08 से 10.08 होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त था। उन्होंने कहा कि जब होलिका जल जाती है तो उसके अगले दिन ही होली पड़ती है। ऐसे में होली शुक्रवार को ही मनाई जाएगी।
ऐसे करें पूजा
हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार होली मनाने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। यह पूजा पूरे श्रद्धा भाव से की जाती है, इसलिए पूजा शुद्ध मन से की जाए और इससे पहले स्नान करना श्रेयस्कर रहता है। स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। पूजा से पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनानी चाहिए। वहीं, पूजा की सामग्री के तौर पर रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे के साथ गुलाल और नारियल और 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी जरूर होना चाहिए। पूजा के दौरान मिठाइयां और फल जरूर चढ़ाना चाहिए। पूजा करने के क्रम में भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पूजा के अंतिम चरण में होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा आवश्यक माना जाता है।
हाइलाइ्टस
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- देशभर में हर साल फागुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस लिहाज से बृहस्पतिवार को होलिका दहन किया जा रहा है और शुक्रवार को होली मनाई जाएगी।
- ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन करने से आसपास की नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
- धार्मिक मान्यता है होलिका दहन के बिना होली का त्योहार नहीं मनाया जा सकता है।
- ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन में सभी लोग अपनी नकारात्मकता की आहुति देकर स्वयं के अंदर सकारात्मक शक्ति का संचार करते हैं।
- होली त्योहार से पहले होलिका दहन का विशेष महत्व है। माह भर पहले से ही सार्वजनिक स्थानों पर होलिका रखी जाने लगी थी। लोग लकड़ियों के साथ ही गोकाष्ठ लाकर रख रहे थे।
- होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त बेहद जरूरी है।