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जानिए राजस्थान में कहां विपश्यना केंद्र में साधना कर रहे सीएम अरविंद केजरीवाल, इन दिनों क्या है उनकी दिनचर्या

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों राजस्थान की राजधानी जयपुर के समीप गलता की पहाडि़यों में बने विपश्यना केंद्र में साधना कर रहे हैं। केजरीवाल की ध्यान साधना का गुरुवार को चौथा दिन था। वह सात सितंबर तक यहीं रहेंगे। साधना के दौरान वह किसी से नहीं मिल रहे हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 03 Sep 2021 12:44 PM (IST)
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मोबाइल, अखबार, टेलीविजन और राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहकर वह केवल साधना में लीन हैं।
दिल्ली / जयपुर [नरेन्द्र शर्मा]। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों राजस्थान की राजधानी जयपुर के समीप गलता की पहाडि़यों में बने विपश्यना केंद्र में साधना कर रहे हैं। केजरीवाल की ध्यान साधना का गुरुवार को चौथा दिन था। वह सात सितंबर तक यहीं रहेंगे। साधना के दौरान वह किसी से नहीं मिल रहे हैं। मोबाइल, अखबार, टेलीविजन और राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहकर वह केवल साधना में लीन हैं।

यहां के कड़े नियमों का पालन करते हुए वह आम साधकों की तरह रह रहे हैं। उनके साथ कोई सहायक नहीं है। सुरक्षाकर्मी और निजी सचिव सर्किट हाउस में रह रहे हैं, लेकिन चार दिन से उनकी इन लोगों से भी बात नहीं हुई है। यहां साधना करने वाले रामचंद्र और कमल अग्रवाल ने बताया कि केंद्र में साधक आपस में बातचीत नहीं करते हैं । केजरीवाल भी इस नियम का पालन कर रहे हैं।

क्या है विपश्यना

आज की दौड़भाग भरी जिंदगी में लोग सुबह से लेकर देर रात तक लोग व्यस्त रहते हैं, चाहे वो आम आदमी हो या वीआइपी। ऐसे में उनको बहुत अधिक शारीरिक और मानसिक थकान का सामना करना पड़ता है लोग इतने अधिक थक जाते हैं कि उनको लगता है कि किसी ऐसी जगह चला जाए जहां दुनिया से कोई वास्ता न रहे, दौड़भाग से कुछ दूर शांति सुकुन से कुछ दिन बिताया जा सके। ऐसी सोच वालों के लिए विपश्यना एक नई ऊर्जा देने का काम करता है। वैसे हमारे देश में ध्यान करने की पहले से ही विभिन्न पद्धतियां मौजूद है, जिसे लोग अपनी इच्छानुसार अपनाते और उसका पालन करते है। सीएम अरविंद केजरीवाल को विपश्यना से ही फायदा होता है इस वजह से वो इस विधि को अपनाते हैं।

क्या है दिनचर्या

केंद्र के नियमों के तहत प्रत्येक साधक को सुबह चार से छह बजे तक साधना कक्ष में पहुंचना होता है। वहां साधना के बाद करीब एक घंटे में स्नान और नाश्ता करना होता है। नाश्ते में मोठ, उबली हुई सब्जियां, चने, नींबू का रस व ग्रीन टी उपलब्ध कराई जाती है। इसके बाद सुबह सात से साढ़े सात बजे साधना कक्ष में पहुंचकर साधक को फिर ध्यान करना होता है। दोपहर भोजन का समय 12:30 से दो बजे के बीच करना होता है। भोजन पूरी तरह साधारण होता है।

इसके बाद थोड़ा विश्राम और फिर विपश्यना व साधना शुरू होती है। रात नौ बजे रात्रि विश्राम का समय हो जाता है। अलग-अलग सत्रों में केंद्र के गुरुजन साधकों को मन, शरीर और आत्मा के लिए पूर्ण उपचार करने का ज्ञान देते हैं। केंद्र में नियमित साधक राजेंद्र बंजारा ने बताया कि यहां पहुंचने के बाद कुछ दिन के लिए बाहरी दुनिया से व्यक्ति पूरी तरह दूर हो जाता है।

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