Move to Jagran APP

अब डरावना नहीं रहा भूली भटियारी का महल, कभी यहां पर भटकती था रानी की आत्मा !

इस महल में अजीबोगरीब घटनाएं होती रही हैं। कहते हैं इस महल में नकारात्मक शक्तियों का कब्जा है। यहां एक रानी की आत्मा भटकती है जिसने यहां दम तोड़ा था मगर दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के अधिकारी इसे अफवाह बताते हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 12 Dec 2020 01:30 PM (IST)
Hero Image
भूली भटियारी का महल लाल पत्थर से बना एक छोटा सा किला है, जो कभी शाही लोगों की शिकारगाह थी।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। कराेलबाग के पास जंगल में स्थित भूली भटियारी का महल अब डरावना नहीं रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा संरक्षण कार्य कराए जाने के बाद स्मारक का लुक बदल गया है। यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। अब लोग यहां पिकनिक मनाने भी पहुंचते हैं। यह इमारत दिल्ली की करीब सात सौ साल पुरानी इस्लामिक विरासत का नमूना है, जिसका नाम दिल्ली के डरावने स्थलों में शुमार है। दरअसल, भूली भटियारी का महल लाल पत्थर से बना एक छोटा सा किला है, जो कभी शाही लोगों की शिकारगाह थी। इस किले के दो प्रवेश द्वार हैं। पहले प्रवेश द्वार से अंदर घुसने के बाद एक बहुत छोटा सा अहाता आता है और उसके बाद इस महल में प्रवेश करने का द्वार आता है। जो एक बड़े आंगन में ले जाता है। इस आंगन के चारों ओर छोटे छोटे कमरे बने हैं। ऐसा माना जाता है कि जो यहां रुकने वाले लोगों के ठहरने के काम आते होंगे। इस महल के उत्तर की ओर सीढ़ियां हैं, जो एक चबूतरे की ओर ले जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सुल्तान यहां बैठ कर किले में होने वाले उत्सव को देखता होगा।

क्या है भूली भटियारी के महल का इतिहास

भूली भटियारी का महल तुगलक वंश के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने 14वीं शाताब्दी में बनवाया था। फिरोज शाह तुगलक (1351-1388) ने दिल्ली में यमुना के पास अपनी नई राजधानी बसाई थी और वहां एक किले का निर्माण करवाया था, जो किला अब फिरोज शाह कोटला के नाम से जाना जाता है। इस तरह की बातें कही जाती रही हैं इस महल में अजीबोगरीब घटनाएं होती रही हैं। कहते हैं इस महल में नकारात्मक शक्तियों का कब्जा है। यहां एक रानी की आत्मा भटकती है, जिसने यहां दम तोड़ा था, मगर दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के अधिकारी इसे अफवाह बताते हैं। वह कहते हैं कि करीब चार साल पहले इसका संरक्षण कराया गया है। इससे पहले इसके अंदर जंगल था। घास उग गई थी। झाड़ियां थीं। अंदर पहुंच पाना ही मुश्किल था। लोग पहुंच नहीं पाते थे। अब महल का संरक्षण का दिया गया है। घास हटाई गई है। झाड़ियां अब नहीं हैं। एक सुरक्षा कर्मी लगाया गया है जो दिन के समय तैनात रहता है। वह कहते हैं कि यह तहल जंगल में है। इसलिए रात में तो वहां कोई नहीं रुक सकता है।

वहीं, दिल्ली पुलिस के यहां के बीट अफसर ने बताया कि इस महल के पास से जंगल शुरू होता है। कुछ साल पहले तक यहां एक सूचना बोर्ड लगाया गया था। उसका मकसद यह था कि लोग रात में यहां न आएं क्योंकि यहां लूटपाट का अंदेशा रहता है। मगर कुछ लोगों ने उस बोर्ड को इस महल से जोड़ दिया। जबकि उस बोर्ड का इस महल से काेई संबंध नहीं था। उन्होंने बताया कि यहां कोई आत्मा नहीं रहती है, वे लोग तो रात के समय भी इधर से आते जाते हैं। 

कैसे पड़ा भूली भटियारी नाम

बताया जाता है कि राजस्थान से भूरी नामक एक भटियारी जनजाति की महिला रास्ता भटक कर यहां आ गई और इस वीरान महल में रहने लगी। इस कारण इसे भूली भटियारी का महल कहा जाने लगा। 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।