Kisan Andolan in Delhi: जानिए क्यों तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद थके-थके नजर आ रहे प्रदर्शनकारी
किसान खुद कुछ न बोलें लेकिन उनके थके हुए चेहरों पर साफ दिखाई दे रहा है कि वे परेशान हो गए हैं। अब वे घर जाना चाहते हैं। इसके अलावा सिंघु व टीकरी बार्डर पर कई किसानों की मौत भी हो गई है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 20 Dec 2020 01:57 PM (IST)
बाहरी दिल्ली [सोनू राणा]। तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद ¨सघु बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारी अब थके-थके नजर आने लगे हैं। एक तरफ धरना चल रहा होता है, मंच से नेता संबोधित कर रहे होते हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनकारी उनका संबोधन सुनते-सुनते धरना स्थल पर ही सो जाते हैं। वहीं, कई किसान ऐसे भी हैं, जो अब धरना स्थल की ओर जाते ही नहीं हैं। वह ट्रैक्टर-ट्रालियों में बैठे-बैठे आराम करते रहते हैं। जब भूख लगती है तो लंगर खाने चले जाते हैं। इसके बाद ट्रालियों में ही बैठकर फिल्में देखते रहते हैं। दरअसल, ¨सघु बॉर्डर पर 23 दिन से किसान धरना दे रहे हैं। न तो उनकी मांग पूरी हो रही है और न ही वे सरकार की ओर से दिए जा रहे प्रस्तावों को मान रहे हैं। किसानों के धरने का फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है।
धरना स्थल पर भी हर रोज वही बातें सुनने को मिल रही हैं, जो वह पहले दिन से सुन रहे हैं। ज्यादातर नेता तो ऐसे हैं जिनको वह जानते ही नहीं हैं। किसान खुद कुछ न बोलें, लेकिन उनके थके हुए चेहरों पर साफ दिखाई दे रहा है कि वे परेशान हो गए हैं। अब वे घर जाना चाहते हैं। इसके अलावा सिंघु व टीकरी बार्डर पर कई किसानों की मौत भी हो गई है।
इस वजह से भी किसानों को धक्का लगा है। ठंड से भी हो रही परेशानी बार्डर पर बैठे किसानों के लिए ठंड भी एक बड़ी परेशानी है। सर्दी के दिनों में बुजुर्गो को खांसी व जुकाम होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। यहां पर वह दिन तो किसी तरह गुजार लेते हैं, लेकिन रात के समय उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रात में टेंटों पर ओस गिरती है तो ज्यादा ठंड लगती है। बुजुर्गो की सेहत के लिहाज से हर रोज जोखिम भरा है और उनके बीमार होने का खतरा बढ़ता जा रह है।Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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