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Vegetable Price Hike: जानिये- दिल्ली और एनसीआर में आखिर क्यों बढ़ रहे हैं सब्जियों के दाम

Vegetable Price Hike मंडी में बिचौलियों को माशाखोर के नाम से पुकारा जाता है। ये आढ़ती से ज्यादा मात्रा में सस्ती दर पर सब्जियां खरीद कर उसमें अपना मुनाफा जोड़ कर खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं। जिसकी वजह से सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 12 Nov 2020 10:20 AM (IST)
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सब्जियों के दाम बढ़ा रहे हैं बिचौलिये।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। Vegetable Price Hike: पूर्वी दिल्ली स्थित गाजीपुर फल व सब्जी मंडी में बिचौलियों की सक्रियता के चलते खुदरा बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। मंडी में इन बिचौलियों को माशाखोर के नाम से पुकारा जाता है। ये आढ़ती से ज्यादा मात्रा में सस्ती दर पर सब्जियां खरीद कर उसमें अपना मुनाफा जोड़ कर खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं। जिसकी वजह से सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। 

खुदरा बाजार में भिंडी के दाम 45 रुपये प्रति किलो तक

मंडी में बुधवार को भिंडी का थोक का भाव 20 से 22 रुपये किलो रहा, जबकि खुदरा बाजार में भिंडी 35 से 45 रुपये किलो बिकी। यानी किला 15 से 23 रुपये अधिक में लोगों को खरीदनी पड़ी। ऐसे ही बात करें टमाटर की तो इसका थोक भाव 24 से 36 रुपये रहा। खुदरा बाजार में इसकी बिक्री 40 से 55 रुपये किलो तक हुई। यानी टमाटर 16 से 19 रुपये प्रति किलो ज्यादा दाम में लोगों तक पहुंचा। थोक में आठ से 12 रुपये किलो मिली लौकी को खुदरा में 20 से 30 रुपये किलो में बेचा जा रहा है। थोक में 25 से 27 रुपये किलो में मिलने वाली शिमला मिर्च को खुदरा विक्रेता 45 से 60 रुपये किलो में बेच रहे हैं, क्योंकि खुदरा विक्रेताओं को सब्जियां थोक दाम के बजाए, माशाखोर द्वारा तय रेट में मिलती हैं। गाजीपुर फल व सब्जी मंडी विपणन समिति के अधिकारियों का कहना है कि माशाखोरों के लिए मंडी में कोई जगह नहीं है। उन पर कार्रवाई भी होती है। फिर भी कोई नहीं मान रहा तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा।

कानूनी तौर पर माशाखोरों को नहीं इजाजत

कृषि उपज विपणन अधिनियम के तहत थोक मंडी में केवल आढ़ती सीधे विक्रेताओं को सब्जी बेच सकते हैं। मंडी में माशाखाेरों के बैठने की कानूनी तौर पर कोई व्यवस्था नहीं है। फिर भी आढ़तियों की आढ़त के बाहर ही माशाखाेर सक्रिय रहते हैं। हालांकि इन पर कई बार कार्रवाई हुई है। लेकिन उतनी प्रभावी तौर पर नहीं कि माशाखोरों का खेल रुक सके।

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