Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Kolkata Doctor Case: दिल्ली के अस्पतालों में लगातार पांचवें दिन डॉक्टरों की हड़ताल, मरीज बेहाल; OPD और OT सेवाएं ठप

Kolkata Doctor Murder Case कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल लगातार जारी है। जिस कारण से अस्पतालों में इलाज कराने आ रहे मरीजों को कठिनाई हो रही है। बिना इलाज कराए उन्हें लौटना पड़ रहा है। बता दें इमरजेंसी को छोड़कर ओपीडी मरीजों की भर्ती ऑपरेशन थियेटर(OT) सब बंद ठप है।

By Nikhil Pathak Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sat, 17 Aug 2024 08:53 AM (IST)
Hero Image
हड़ताल की वजह से दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में प्रतीक्षालय में मौजूद मरीज। जागरण

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में यमुनापार के कई अस्पतालों में पांचवें दिन यानी शुक्रवार को भी रेजिडेंट डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन व हड़ताल ( resident doctor strike) जारी रही। इसकी वजह से इमरजेंसी को छोड़कर ओपीडी, मरीजों की भर्ती, ऑपरेशन, रेडियोलॉजी में सेवाएं ठप रहीं।

ओपीडी बंद होने की वजह से मरीज अस्पतालों में उपचार के लिए भटकते नजर आए। हड़ताल के कारण सबसे अधिक दिक्कत ऑपरेशन वाले मरीजों को हो रही हैं। शुक्रवार को स्वामी दयानंद अस्पताल की ओपीडी बिल्कुल खाली पड़ी रही। वहीं जीटीबी में ओपीडी के गेट पर ताला लगा (OPD-IPD Services Closed Today) मिला।

दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में उपचार के लिए हापुड़ के नजदीक इलाके से आयीं सुनीता ने बताया कि उनके घुटनों के नीचे गांठ हो रखी है। बीते डेढ़ महीने से उपचार शुरू कराने के लिए जांच में ही समय व्यतीत हो रहा है। इतनी दूर से बार-बार आना संभव नहीं हो पाता है।

ऐसे में अस्पताल में एक बेड लेकर प्रतीक्षालय में पड़ी रहती हैं। देर शाम को सुरक्षागार्ड वहां से भी हट जाने के लिए कहते हैं। रातभर मच्छर काट-काटकर बुरा हाल कर देते हैं। ऐसे ही जीटीबी में अपने 16 वर्षीय साले के इलाज के लिए गाजियाबाद से आए नफीस ने बताया कि साले के दोनों पैरों की नसें ब्ल़ॉक हो गई हैं।

वह सही से खड़ा नहीं हो पाता है। शुक्रवार को इमरजेंसी में देखा तो सही, लेकिन बिना किसी दवा और उपचार के लौटा दिया। हड़ताल की वजह से भर्ती करने की तो मना ही कर दी है।

मार्च निकालकर छह अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने जताया विरोध

कोलकाता वाले मामले में सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को यमुनापार के छह सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डाक्टरों ने पोस्टर व बैनर के साथ मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया।

इस मार्च में दिलशाद गार्डन स्थित यूनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) व गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल, मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास), स्वामी दयानंद अस्पताल, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, झिलमिल स्थित ईएसआइसी अस्पताल, ताहिरपुर स्थित राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर शामिल थे। आरडीए का समर्थन करते हुए जीटीबी व इहबास की नर्सिंग यूनियन के लोग भी मौजूद रहे।

जीटीबी से शुरू हुआ मार्च इहबास, स्वामी दयानंद होता हुआ वापिस जीटीबी पर समाप्त हुआ। इस दौरान ‘डॉक्टरों ने कानून व्यवस्था सो रही है, देश की बेटी रो रही है’, ‘प्रशासन तुम करो विचार, कब तक सहें हम अत्याचार’ जैसे नारे भी लगाए।

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की सर्विसेज डॉक्टर्स फोरम के संयोजक डा धनंजय कुमार ने बताया की कोलकाता की घटना को लेकर देश के सभी चिकित्सकों में आक्रोश है। प्रधानमंत्री से पूरे देश में चिकित्सकों के लिए सुरक्षित माहौल बनवाने का अनुरोध किया है।

इलाज कराने आए मरीजों और इनके परिजनों की प्रतिक्रिया 

दिमाग में सुन्नपन है। मैं तो वैसे ही बैसाखी के सहारे चलता हूं। जीटीबी में पहुंचकर हड़ताल की वजह से बिना उपचार के घर लौटना पड़ रहा है।

- ब्रह्मचारी, सीमापुरी निवासी

बच्ची का एक्स-रे कराना था। सुबह से इमरजेंसी व अन्य विभागों में धक्के खा लिए, लेकिन एक्स-रे नहीं हो सका।

- आसमां, कांधला निवासी

दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में मुंह में कैंसर का इलाज चल रहा है। शुक्रवार को सिकाई होनी थी, लेकिन हड़ताल के चलते काम नहीं बना।

- शाहिद, बदायूं निवासी

स्वामी दयानंद अस्पताल में ईएनटी विभाग में शुक्रवार को मेरा ऑपरेशन होना था। नौकरी से छुट्टी लेना और किराए में पैसा बर्बाद ही हुआ है।

- सत्येंद्र, मंडोली सेवाधाम निवासी

बृहस्पतिवार की रात से ही उल्टी और दस्त की वजह से काफी कमजोरी आ गई है। स्वामी दयानंद अस्पताल में इमरजेंसी में भी देखने से मना कर दिया है।

- लोकेश, शाहदरा निवासी

ये भी पढ़ें: Manish Sisodia Padyatra: महिला ने राखी बांध पूछा- भाई कैसे हो आप? भावुक हुए सिसोदिया; सलाखों के पीछे कटे 17 माह

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर