पढ़िए किस बात पर कवि कुमार विश्वास ने कहा कि नागरिकों की बेचैनी का मर जाना लोकतंत्र का शोकपर्व है
पूरी दुनिया ने देश में उस समय के माहौल को देखा और महसूस किया। उसी के बाद विदेशों से भी तमाम तरह की मेडिकल सुविधाएं देश को मुहैया कराई गई। अब एक रिपोर्ट को लेकर फिर से बवाल मचा हुआ है।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 23 Jul 2021 12:21 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन सिलेंडर, कंसंट्रेटर, रेमडेसिवियर, बेड, आइसीयू और कुछ अन्य चीजों को लेकर किस तरह से मारामारी थी ये किसी से छिपा नहीं है। पूरी दुनिया ने देश में उस समय के माहौल को देखा और महसूस किया। उसी के बाद विदेशों से भी तमाम तरह की मेडिकल सुविधाएं देश को मुहैया कराई गई। अब एक रिपोर्ट को लेकर फिर से बवाल मचा हुआ है। अब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ा मुद्दा बनी आक्सीजन फिर से राजनीति का केंद्र बन गई है।
इस मामले में कवि कुमार विश्वास ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया और कहा कि मुझे सरकारों-नेताओं की बेशर्मी का दुख नहीं है। उस संवेदनहीनता का तो दीर्घकालिक निजी अनुभव है। मुझे कष्ट उन हज़ारों फ़ोन करने वालों की ख़ामोशी का है जो उन कठिन दिनों में सिलेंडर/कन्सन्ट्रेटर की एक मिनट की देरी पर दस कॉल करते थे। नागरिकों की बेचैनी का मर जाना लोकतंत्र का शोकपर्व है।
इसके बाद एक पत्रकार और उनके एक मित्र उमाशंकर सिंह ने भी उनको टैग करते हुए ट्वीट किया। उमाशंकर सिंह ने लिखा कि आक्सीजन के लिए फ़ोन करने वालों के अपने या तो दुनिया में नहीं रहे या फिर किसी तरह उनकी जान बच गई। दोनों तरह के लोग इस विपदा से निकल गए हैं। उनको क्या ज़रुरत है शोर मचाने की? जब तक कि, ईश्वर न करें, फिर ऐसी कोई ज़रुरत पड़े। उनको पता है कि मदद के लिए @DrKumarVishwas फिर खड़ा मिलेगा। उनके इस ट्वीट पर फिर कुमार विश्वास ने जवाब दिया।मुझे सरकारों-नेताओं की बेशर्मी का दुख नहीं है। उस संवेदनहीनता का तो दीर्घकालिक निजी अनुभव है।मुझे कष्ट उन हज़ारों फ़ोन करने वालों की ख़ामोशी का है जो उन कठिन दिनों में सिलेंडर/कन्सन्ट्रेटर की एक मिनट की देरी पर दस कॉल करते थे। नागरिकों की बेचैनी का मर जाना लोकतंत्र का शोकपर्व है😢
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 21, 2021
हाँ खड़े तो थे ही, खड़े भी रहेंगे ही।न मैदान छोड़ेंगे न पीठ दिखाएँगे।इस निर्लज्ज समय में ‘मनुष्य’ बने रहने के लिए इतने ज़ख़्म तो खाने ही होंगे 😢🇮🇳🙏 https://t.co/t23PQSglqK
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 21, 2021
उधर इस मामले में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि दिल्ली और महाराष्ट्र की सरकारों ने संबंधित हाई कोर्टो में दिए हलफनामे में कहा है कि आक्सीजन की कमी के कारण एक भी मौत नहीं हुई। भाजपा उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह अपने मुख्यमंत्री से क्यों नहीं पूछते कि वहां कितनी मौतें आक्सीजन की कमी से हुईं।
राजनीति से बाज नहीं आ रहे विपक्षी दल
पात्रा ने कहा कि विपक्षी दल इस संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं। अगर केंद्र दखल देना शुरू करे तो आरोप लगाते हैं कि उनके अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप हो रहा है। मौत के आंकड़े राज्य भेज रहे हैं लेकिन सवाल केंद्र से पूछा जा रहा है। केंद्र की ओर से मदद देने के बावजूद दिल्ली सरकार आक्सीजन की आपूर्ति में चूकी। यह तथ्य है कि उस समय अस्पतालों की ओर से दिल्ली सरकार को काल किए जा रहे थे लेकिन वह समय से आक्सीजन नहीं पहुंचा पा रही थी। बता दें कि स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को राज्यसभा में स्पष्ट कहा था कि किसी भी प्रदेश ने केंद्र को यह नहीं बताया कि किसी की मौत आक्सीजन की कमी से हुई है।
राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की कोई जानकारी नहीं दी राज्यसभा में दिए गए केंद्र सरकार के बयान को सही बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और केंद्र सरकार अपने स्तर पर कोई रिकार्ड तैयार नहीं करती। राज्यों की ओर से रिकार्ड भेजे जाते हैं और केंद्र उनका संकलन करता है। केंद्र की ओर से यही कहा गया कि किसी भी राज्य ने अब तक केंद्र को नहीं बताया कि उनके यहां कोई भी मौत आक्सीजन की कमी से हुई थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र सरकार और राहुल गांधी से उन्होंने सीधा सवाल किया कि उन्होंने कोई जानकारी क्यों नहीं दी।
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