Delhi Fire: विवेक विहार अस्पताल में लगी आग मामले में श्रम विभाग ने सौंपी रिपोर्ट, पुलिस ने लौटाई; जानें क्या है कारण
25 मई की रात को अस्पताल में आग लगने से छह नवजातों की मौत हो गई थी। एक बच्चे की हादसे से दो घंटे पहले बीमारी हो मौत हो गई थी। पांच नवजातों को सुरक्षित बचा लिया गया था। पुलिस ने अस्पताल संचालक डा. नवीन खीची और अस्पताल के डा. आकाश को गिरफ्तार किया था। आग कैसे लगी थी यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। विवेक विहार के बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग लगने के मामले में श्रम विभाग ने जांच करके दिल्ली पुलिस को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। पुलिस ने उस रिपोर्ट को वापस लौटा दिया है। उस रिपोर्ट में आग के कारणों का निष्कर्ष नहीं था। दोबारा से रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही पुलिस ने एफआईआर में किशोर न्याय संरक्षण अधिनियम की धारा (जेजे एक्ट) भी जोड़ी है।
25 मई की रात को अस्पताल में आग लगने से छह नवजातों की मौत हो गई थी। एक बच्चे की हादसे से दो घंटे पहले बीमारी हो मौत हो गई थी। पांच नवजातों को सुरक्षित बचा लिया गया था। पुलिस ने अस्पताल संचालक डा. नवीन खीची और अस्पताल के डा. आकाश को गिरफ्तार किया था। आग कैसे लगी थी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
रिपोर्ट में आग का कारण बिल्कुल स्पष्ट नहीं
नगर निगम ने पुलिस को सूचना दी है कि अस्पताल की ऊंचाई सात मीटर है। पुलिस ने श्रम विभाग की विद्युत विंग से अस्पताल में आग के कारणों की पड़ताल करने के लिए कहा था। पुलिस सूत्रों ने कहा कि श्रम विभाग ने निरीक्षण करके अपनी एक रिपोर्ट बनाकर पुलिस को सौंपी है। उस रिपोर्ट में आग का कारण बिल्कुल स्पष्ट नहीं था। कुछ सवालों के साथ रिपोर्ट विभाग को वापस कर दी गई है। उसमें पूछा गया है कि आग का कारण शार्ट सर्किट था या कोई दूसरा। आग कहां से लगनी शुरू हुई थी।आकाश के खाते में आता था वेतन
पुलिस सूत्रों ने बताया कि हादसे के वक्त डॉ. आकाश अस्पताल में ड्यूटी इंचार्ज था। वह बीएएमएस है। नियम के अनुसार वह नवजातों का इलाज नहीं कर सकता था। उसके बैंक खाते में हर माह अस्पताल से वेतन आता था। अस्पताल के 20 कर्मचारियों से ली गई डिग्री जांच के लिए विश्वविद्यालयों को भेज दी गई हैं। सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग से पता कर रही है उनकी टीम ने कब-कब अस्पताल का निरीक्षण किया। अगर निरीक्षण किया तो उन्हें कभी कोई खामी दिखाई नहीं दी। पांच बेड के अस्पताल में 20-20 नवजातों को कैसे भर्ती किया जा रहा था।
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