दिल्ली नगर निगम की इस व्यवस्था से खुश हुए लाखों ट्रेड और फैक्ट्री लाइसेंस व्यापारी, गलती सुधारने के लिए भी दी गई व्यवस्था
लाइसेंस लेने वालों की संख्या भी बढ़ी हैं। अब सरलता से जारी हो रहे लाइसेंस से व्यापारी काफी खुश हैं। साथ ही एक पारदर्शी व्यवस्था से भ्रष्टाचार भी खत्म हुआ है। यही वजह है कि इससे होने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। फैक्ट्री व ट्रेड लाइसेंस के लिए निगम के दफ्तरों के चक्कर के साथ बिचौलियों से जूझना अब पुरानी बात हो गई है। अब आवेदन करते ही कुछ ही मिनटों में लाइसेंस जारी हो जाता है। यही वजह है कि लाइसेंस लेने वालों की संख्या भी बढ़ी हैं। अब सरलता से जारी हो रहे लाइसेंस से व्यापारी काफी खुश हैं। साथ ही एक पारदर्शी व्यवस्था से भ्रष्टाचार भी खत्म हुआ है। यही वजह है कि इससे होने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।
कोरोना के चलते थोड़ा राजस्व पर प्रभाव पड़ा है, जिसे आने वाले कुछ माह में ठीक करने के प्रयास चल रहे हैं। निगम की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। दक्षिणी निगम के महापौर मुकेश सुर्यान ने बताया कि वर्ष 2015 में निगम ने ट्रेड व फैक्ट्री लाइसेंस की प्रक्रिया को आनलाइन किया था। इसके बाद लोगों के सुझाव और प्रतिक्रिया पर इस पोर्टल में कई परिवर्तन किए गए। अब काफी हद तक लोगों के सुझावों को लागू कर दिया गया है, जिससे नागरिकों को इतनी सहूलियत हुई है।
कोरोना न होता तो बढ़ती संख्या
निगम की ओर से फैक्ट्री और ट्रेड लाइसेंस प्रक्रिया को आनलाइन करने से व्यापारियों को काफी राहत हुई। यही वजह है कि जो लाइसेंस तीन हजार रुपये तक जारी होते थे, 2019 में उसकी संख्या दोगुनी हो गई। 2020 में कोरोना के मामलों के चलते बीते दो वर्षो से इसकी संख्या कम हो रही है, वरना निगम को 10 हजार तक का यह आंकड़ा पहुंचने की उम्मीद थी। वर्ष 2019 में अकेले दक्षिणी निगम ने 5860 फैक्ट्री व ट्रेड लाइसेंस जारी किए थे। 2019 में रिन्यू हुए 5249 लाइसेंस की अपेक्षा 2020 में 6346 लाइसेंस रिन्यू हुए, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 7679 तक पहुंच गया था।
लाइसेंस में हुई गलती को सुधार के लिए बना पोर्टल
दक्षिणी निगम ने आनलाइन लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को सरल करने के साथ ही आवेदन में हुई गलती को सुधारने के लिए पोर्टल भी शुरू किया है। निगम ने लोगों के सुझाव पर इसे एक फरवरी 2022 से शुरू किया है। इसका उद्देश्य आनलाइन प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के अलावा व्यवस्था को पारदर्शी बनाना है।
आनलाइन प्रक्रिया होने से व्यवस्था पारदर्शी हुई है। हालांकि उन लोगों को दिक्कत होती है जिन्हें इंटरनेट चलाना नहीं आता। उन्हें साइबर कैफे पर जाकर एक हजार रुपये तक चुकाने होते हैं। इसलिए निगम को इसका भी शुल्क तय करना चाहिए। पहले बिचौलियों से काफी परेशानी होती थी।
-अशोक सकूजा, अध्यक्ष, मेहरचंद मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन
वित्तीय वर्ष- नए लाइसेंस जारी-नवीनीकरण-
राजस्व (करोड़ रु.)2018-19-2313-5249-11.85
2019-20-5860-6346-20.32
2020-21-2313-7679- 20.17
2021-22-2916-5400- 18.74