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Land For Job Scam: लालू यादव के निजी सचिव पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, CBI ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जोड़े तीन और नाम

जमीन के बदले रेलवे में नौकरी घोटाले (Land For Job Scam) में सीबीआई ने बुधवार को अदालत में पूरक आरोप पत्र दायर किया। राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने इस पर दलीलें सुनने के लिए 14 मार्च की तारीख तय की है। सीबीआई ने तीन आरोपितों अशोक कुमार बबीता और भोला यादव के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।

By Ritika Mishra Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 06 Mar 2024 08:19 PM (IST)
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जमीन के बदले नौकरी घोटाला: लालू यादव के निजी सचिव पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले (Land For Job Scam) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत में पूरक आरोप पत्र दायर किया। राउज एवेन्यू कोर्ट में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने मामले को 14 मार्च को संज्ञान लेने पर दलीलें सुनने के लिए सूचीबद्ध किया है।

सीबीआई ने इन तीनों को बनाया आरोपी

सीबीआई ने तीन आरोपितों अशोक कुमार, बबीता और भोला यादव के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। भोला यादव लालू प्रसाद यादव के निजी सचिव थे। विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि भोला यादव लालू के सचिव थे, वे ही प्रबंधन कर रहे थे और उनके निर्देश ही अधिकारियों तक जाते थे। भोला यादव के कंप्यूटर से कुछ दस्तावेजी साक्ष्य भी प्राप्त किए गए थे।

अदालत ने मामले में बीते वर्ष पूर्व केंद्रीय रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ समन जारी किया था। सीबीआई ने इस घोटाले में बिहार के लालू, राबड़ी, उनकी बेटी मीसा भारती और 13 अन्य के खिलाफ अक्टूबर 2022 में मुख्य आरोप पत्र दायर किया था।

आरोप पत्र में कहा था कि आरोपितों ने तत्कालीन जीएम सेंट्रल रेलवे और सीपीओ सेंट्रल रेलवे के साथ साजिश में अपने नाम पर या अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर जमीन के बदले में व्यक्तियों को नियुक्त किया था। यह जमीन प्रचलित सर्कल दर से कम कीमत पर और बाजार दर से बहुत कम कीमत पर अधिग्रहण की गई थी।

घोटाले के वक्त रेलमंत्री थे लालू यादव

सीबीआई ने कहा कि घोटाला तब हुआ जब लालू वर्ष 2004 और 2009 के बीच रेल मंत्री थे। सीबीआई ने कहा था कि जांच से पता चला है कि उम्मीदवारों को स्थानापन्न की आवश्यकता के बिना उनकी नियुक्ति पर विचार किया गया था और उनकी नियुक्ति के लिए कोई तात्कालिकता नहीं थी जो कि स्थानापन्न की नियुक्ति के पीछे मुख्य मानदंडों में से एक था। उनकी नियुक्ति हुई और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया।

अभ्यर्थियों के आवेदन और संलग्न दस्तावेजों में कई विसंगतियां पाई गई, उनकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए थी, लेकिन फिर भी की गई। अधिकांश मामलों में, उम्मीदवारों ने बहुत बाद की तारीखों पर संबंधित प्रभागों में अपना पदभार संभाला, जिससे स्थानापन्नों की नियुक्ति का उद्देश्य विफल हो गया और कुछ मामलों में, उम्मीदवार आवश्यक श्रेणी के तहत अपनी मेडिकल परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सके, जिसमें उनकी नियुक्ति थी।

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