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Air Pollution: दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर सख्त नहीं है कानून, 'सांसों के संकट' के बीच धड़ल्ले से हो रहा उल्लंघन

Delhi Crackers Ban दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पिछले छह साल से भी अधिक समय से हर साल पटाखों के निर्माण भंडारण बिक्री व छोड़ने पर प्रतिबंध तो लगाया जाता है लेकिन प्रतिबंध असरदार साबित नहीं हो पाता है। कानून कमजोर होने के कारण पटाखा बेचने व छोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती है।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sat, 14 Oct 2023 08:02 PM (IST)
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कानून कमजोर होने के कारण पटाखा बेचने व छोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi Crackers Ban: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पिछले छह साल से भी अधिक समय से हर साल पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री व छोड़ने पर प्रतिबंध तो लगाया जाता है लेकिन प्रतिबंध असरदार साबित नहीं हो पाता है। कानून कमजोर होने के कारण पटाखा बेचने व छोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई नहीं कर पाती है। लोग धड़ल्ले से सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हैं।

दिल्ली-एनसीआर में तमिलनाडु के विरुदुनगर जिले के शिवकाशी से ही अधिकतर पटाखे आते हैं। शिवकाशी को भारत के पटाखा उद्योग की राजधानी कहा जाता है जहां 8000 बड़े-छोटे कारखाने हैं। शिवकाशी व उसके आसपास दर्जनों छोटे-छोटे कस्बे हैं जहां पटाखे का निर्माण किया जाता है। कहा जाता है कि 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन वहीं होता है।

लोनी में बनाया था गोदाम

दिल्ली-एनसीआर में लोनी के फारूख नगर में भी अवैध रूप से पटाखे बनाए जाते हैं। दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगने पर सदर बाजार व जामा मस्जिद के कई पटाखा कारोबारियों ने लोनी में पटाखा रखने के लिए गोदाम बना लिया था।

पहले सदर बाजार के कुतुब रोड पर पटाखों का भंडारण करने के लिए कारोबारियों ने गोदाम बना रखा था। पुलिस को कहा गया है कि वे मुखबिरों से पता लगाएं कि पटाखा रखने के लिए दिल्ली में कहां-कहां गोदाम बनाया गया है। वहां पर छापा मार पटाखे को जब्त कर लें।

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मामले को लेकर पुलिस ने क्या कहा? 

पुलिस का कहना है कि पिछले साल भी प्रतिबंध के बावजूद पटाखा बेचने के आरोप में 50 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए थे। उनके कब्जे से 10 हजार किलो पटाखे जब्त किए गए थे। जिसे बाद में नष्ट कर दिया गया। पटाखा बेचने पर पुलिस विस्फोटक अधिनियम 9 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार करती है।

कम मात्रा में पटाखा मिलने पर आरोपितों को थाने से ही जमानत मिल जाती है। उक्त मामले में एक साल जेल या जुर्माने की सजा का प्रविधान है। पटाखा छोड़ने पर सरकारी आदेश का उल्लंघन करने की धारा में मुकदमा दर्ज किया जाता है।

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इसमें भी थाने से ही जमानत मिल जाती है। उक्त मामले में तीन माह जेल अथवा जुर्माने की सजा का प्रविधान है। पटाखा छोड़ने के अधिकतर मामलों में पुलिस आरोपपत्र ही दायर नहीं करती है। जिन मामलों में आरोप पत्र दायर कर दिया जाता है उसमें कोर्ट के सामने पेश होकर गलती मानने पर मामूली जुर्माने पर छोड़ दिया जाता है। यही वजह है कि लोगों में कानून व पुलिस की कार्रवाई को लेकर डर नहीं रहता है।

रिपोर्ट इनपुट - राकेश कुमार सिंह  

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